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मझधार में फंसी कन्हैया की सियासत! पहले बेगूसराय से बेदखल, अब चुनाव लड़ने पर भी सस्पेंस - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

KANHAIYA KUMAR:बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले, कांग्रेस के फायरब्रांड नेता कन्हैया कुमार पर ये फिलहाल एकदम सटीक बैठ रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चर्चा के केंद्र बिंदु रहे कन्हैया कुमार सियासी फलक से गायब हैं, यहां तक कि उनके लोकसभा चुनाव लड़ने पर भी सस्पेंस कायम है, पढ़िये पूरी खबर,

कन्हैया के सियासी भविष्य पर सवाल
कन्हैया के सियासी भविष्य पर सवाल
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 3, 2024, 2:28 PM IST

कन्हैया के सियासी भविष्य पर सवाल

पटनाः जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने जब 2019 में बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ा तो पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं. कन्हैया के प्रचार के लिए देश के हर क्षेत्र की जानी मानी हस्तियां पहुंचीं, हालांकि कन्हैया कुमार मोदी मैजिक से पार नहीं पा सके और बहुत बड़े अंतर से चुनाव हार गये. अब 5 साल बाद फिर कन्हैया की चर्चा तो है लेकिन इस बात के लिए कि कन्हैया कहां गायब हो गये हैं, आखिर क्या होगा उनका सियासी भविष्य ?

2019 में हार के बाद कांग्रेस में आए कन्हैयाः 2019 में बेगूसराय से हार के बाद अपनी सियासत चमकाने के लिए कन्हैया कुमार ने बिहार में करीब-करीब हाशिये पर जा चुकी कांग्रेस ज्वाइन की. कांग्रेस नेतृत्व भी कन्हैया के आने से उत्साहित था, उसे लग रहा था कि बोलने में माहिर कन्हैया बिहार में पार्टी को पुनर्जीवित करने में कामयाब होंगे, लेकिन लालू-तेजस्वी की आंखों की किरकिरी बने कन्हैया धीरे-धीरे साइड लाइन कर दिए गये.

कभी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में थे कन्हैयाः कन्हैया कुमार के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद ये भी कयास लगाए जा रहे थे कि इस युवा और तेजतर्रार नेता को बिहार कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष तो बनाना दूर लालू-तेजस्वी के दबाव में उन्हें 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने कोई बड़ी भूमिका नहीं दी.

कहां है् कन्हैया कुमार ?: अपने सियासी भविष्य की तलाश में सीपीआई से कांग्रेस में आए कन्हैया कुमार फिलहाल सियासी फलक से गायब हैं. माना जा रहा था कि इस बार भी कन्हैया कुमार बेगूसराय से कांग्रेस के टिकट पर गिरिराज सिंह को चुनौती देंगे, लेकिन बेगूसराय सीट सीपीआई के खाते में चली गयी. जिसके बाद बेगूसराय तो छोड़ ही दीजिए कन्हैया कुमार के लोकसभा चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बना हुआ है.

बीजेपी ने कसा तंजः कन्हैया के अरमानों पर पानी फिरने के बाद बीजेपी और जेडीयू तंज कस रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल का कहना है कि लालू और तेजस्वी यादव का महागठबंधन में दबदबा है. उन्हें लगेगा कि कोई भी चुनौती दे रहा है तो उसे हाशिये पर पहुंचा दिया जाएगा. कन्हैया कुमार हो चाहे पप्पू यादव इसके उदाहरण हैं.

'कांग्रेस बेबस और लाचार': बीजेपी के साथ-साथ जेडीयू ने भी इस मामले को लेकर निशाना साधा है. जेडीयू प्रवक्ता हेमराज राम का कहना है कि "लालू यादव और तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को बेबस, लाचार और अपाहिज बना दिया है.कांग्रेस ने तेजस्वी यादव के इशारे पर कन्हैया और पप्पू यादव से विश्वासघात और धोखा किया है."

तेजस्वी के कारण कन्हैया दरकिनार !: इस मुद्दे पर राजनीतिक विशेषज्ञ प्रियरंजन भारती का कहना है कि "कन्हैया कुमार तेज तर्रार वक्ता हैं.युवा वर्ग को खास रूप से प्रभावित करते हैं. बिहार में तेजस्वी यादव भी युवा है लालू प्रसाद यादव नहीं चाहते हैं कि तेजस्वी के मुकाबले कोई भी युवा चेहरा सामने हो. 2020 में भी यह चर्चा में रहा कि कन्हैया कुमार को तेजस्वी के कारण ही बिहार में चुनाव प्रचार में तवज्जो नहीं दी गई."

"बिहार कांग्रेस में भी एक बड़ा गुट है जो कन्हैया कुमार के खिलाफ है और यह भी एक बड़ा कारण है कि कन्हैया को बिहार कांग्रेस में बहुत ज्यादा तरजीह नहीं दी जा रही है. 2019 में जब कन्हैया कुमार सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़े थे बेगूसराय से तो पूरे देश में चर्चा में आ गए थे उस समय भी लालू प्रसाद यादव ने कन्हैया कुमार को हराने के लिए आरजेडी का उम्मीदवार उतार दिया था."प्रियरंजन भारती,राजनीतिक विशेषज्ञ

कन्हैया के चुनाव लड़ने पर सस्पेंसः कन्हैया कुमार को बेगूसराय से टिकट तो मिला नहीं, बिहार की किसी भी सीट से उनके चुनाव लड़ने की संभावना न के बराबर है. हां, दिल्ली से कन्हैया के चुनाव लड़ने की चर्चा जरूर हो रही है, लेकिन अभी उस पर भी सस्पेंस बना हुआ है. ऐसे में सवाल है कि जिस सियासत को संवारने के लिए कन्हैया ने कांग्रेस ज्वाइन की थी, उसका क्या होगा ?

पप्पू यादव भी साइड लाइन !:कन्हैया इकलौते नेता नहीं है जिन्हें कांग्रेस में आने के बाद साइड लाइन कर दिया गया है. अभी हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए पप्पू यादव का भी वही हश्र हुआ जब उन्हें पूर्णिया लोकसभा सीट से महागठबंधन का उम्मीदवार नहीं बनाया गया.यहां तक कि पूर्णिया सीट भी कांग्रेस से ले गयी. मतलब साफ है- लालू और तेजस्वी की इच्छा के बिना चाहे कन्हैया हों या फिर पप्पू यादव बड़ी भूमिका नहीं निभा सकता है.

ये भी पढ़ेंःजोर का झटका धीरे से..! कन्हैया कुमार को नहीं मिला बेगूसराय से टिकट, CPI ने अवधेश कुमार राय की उम्मीदवारी का किया एलान - Begusarai Cpi Awadhesh Rai

ये भी पढ़ेंः'INDIA गठबंधन में सभी सीटों पर शेयरिंग संभव नहीं', CPI सचिव अमरजीत कौर का कन्हैया कुमार पर बड़ा बयान

ये भी पढ़ेंःOpposition Unity: विपक्षी दलों की बैठक से पहले महागठबंधन में दरार! तेजस्वी और कन्हैया की दूरी पर RJD ने दी सफाई

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कन्हैया के सियासी भविष्य पर सवाल

पटनाः जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने जब 2019 में बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ा तो पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं. कन्हैया के प्रचार के लिए देश के हर क्षेत्र की जानी मानी हस्तियां पहुंचीं, हालांकि कन्हैया कुमार मोदी मैजिक से पार नहीं पा सके और बहुत बड़े अंतर से चुनाव हार गये. अब 5 साल बाद फिर कन्हैया की चर्चा तो है लेकिन इस बात के लिए कि कन्हैया कहां गायब हो गये हैं, आखिर क्या होगा उनका सियासी भविष्य ?

2019 में हार के बाद कांग्रेस में आए कन्हैयाः 2019 में बेगूसराय से हार के बाद अपनी सियासत चमकाने के लिए कन्हैया कुमार ने बिहार में करीब-करीब हाशिये पर जा चुकी कांग्रेस ज्वाइन की. कांग्रेस नेतृत्व भी कन्हैया के आने से उत्साहित था, उसे लग रहा था कि बोलने में माहिर कन्हैया बिहार में पार्टी को पुनर्जीवित करने में कामयाब होंगे, लेकिन लालू-तेजस्वी की आंखों की किरकिरी बने कन्हैया धीरे-धीरे साइड लाइन कर दिए गये.

कभी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में थे कन्हैयाः कन्हैया कुमार के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद ये भी कयास लगाए जा रहे थे कि इस युवा और तेजतर्रार नेता को बिहार कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष तो बनाना दूर लालू-तेजस्वी के दबाव में उन्हें 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने कोई बड़ी भूमिका नहीं दी.

कहां है् कन्हैया कुमार ?: अपने सियासी भविष्य की तलाश में सीपीआई से कांग्रेस में आए कन्हैया कुमार फिलहाल सियासी फलक से गायब हैं. माना जा रहा था कि इस बार भी कन्हैया कुमार बेगूसराय से कांग्रेस के टिकट पर गिरिराज सिंह को चुनौती देंगे, लेकिन बेगूसराय सीट सीपीआई के खाते में चली गयी. जिसके बाद बेगूसराय तो छोड़ ही दीजिए कन्हैया कुमार के लोकसभा चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बना हुआ है.

बीजेपी ने कसा तंजः कन्हैया के अरमानों पर पानी फिरने के बाद बीजेपी और जेडीयू तंज कस रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल का कहना है कि लालू और तेजस्वी यादव का महागठबंधन में दबदबा है. उन्हें लगेगा कि कोई भी चुनौती दे रहा है तो उसे हाशिये पर पहुंचा दिया जाएगा. कन्हैया कुमार हो चाहे पप्पू यादव इसके उदाहरण हैं.

'कांग्रेस बेबस और लाचार': बीजेपी के साथ-साथ जेडीयू ने भी इस मामले को लेकर निशाना साधा है. जेडीयू प्रवक्ता हेमराज राम का कहना है कि "लालू यादव और तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को बेबस, लाचार और अपाहिज बना दिया है.कांग्रेस ने तेजस्वी यादव के इशारे पर कन्हैया और पप्पू यादव से विश्वासघात और धोखा किया है."

तेजस्वी के कारण कन्हैया दरकिनार !: इस मुद्दे पर राजनीतिक विशेषज्ञ प्रियरंजन भारती का कहना है कि "कन्हैया कुमार तेज तर्रार वक्ता हैं.युवा वर्ग को खास रूप से प्रभावित करते हैं. बिहार में तेजस्वी यादव भी युवा है लालू प्रसाद यादव नहीं चाहते हैं कि तेजस्वी के मुकाबले कोई भी युवा चेहरा सामने हो. 2020 में भी यह चर्चा में रहा कि कन्हैया कुमार को तेजस्वी के कारण ही बिहार में चुनाव प्रचार में तवज्जो नहीं दी गई."

"बिहार कांग्रेस में भी एक बड़ा गुट है जो कन्हैया कुमार के खिलाफ है और यह भी एक बड़ा कारण है कि कन्हैया को बिहार कांग्रेस में बहुत ज्यादा तरजीह नहीं दी जा रही है. 2019 में जब कन्हैया कुमार सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़े थे बेगूसराय से तो पूरे देश में चर्चा में आ गए थे उस समय भी लालू प्रसाद यादव ने कन्हैया कुमार को हराने के लिए आरजेडी का उम्मीदवार उतार दिया था."प्रियरंजन भारती,राजनीतिक विशेषज्ञ

कन्हैया के चुनाव लड़ने पर सस्पेंसः कन्हैया कुमार को बेगूसराय से टिकट तो मिला नहीं, बिहार की किसी भी सीट से उनके चुनाव लड़ने की संभावना न के बराबर है. हां, दिल्ली से कन्हैया के चुनाव लड़ने की चर्चा जरूर हो रही है, लेकिन अभी उस पर भी सस्पेंस बना हुआ है. ऐसे में सवाल है कि जिस सियासत को संवारने के लिए कन्हैया ने कांग्रेस ज्वाइन की थी, उसका क्या होगा ?

पप्पू यादव भी साइड लाइन !:कन्हैया इकलौते नेता नहीं है जिन्हें कांग्रेस में आने के बाद साइड लाइन कर दिया गया है. अभी हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए पप्पू यादव का भी वही हश्र हुआ जब उन्हें पूर्णिया लोकसभा सीट से महागठबंधन का उम्मीदवार नहीं बनाया गया.यहां तक कि पूर्णिया सीट भी कांग्रेस से ले गयी. मतलब साफ है- लालू और तेजस्वी की इच्छा के बिना चाहे कन्हैया हों या फिर पप्पू यादव बड़ी भूमिका नहीं निभा सकता है.

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