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रामानुजगंज में खैरवार आदिवासी समाज का महासम्मेलन, की गई ये खास मांग - Khairwar society in Ramanujganj

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 30, 2024, 7:40 PM IST

रामानुजगंज में खैरवार आदिवासी समाज का महासम्मेलन हुआ. इस दौरान पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह भी शामिल हुए. महासम्मेलन के दौरान खैरवार आदिवासी समाज के साथ ही खेरवार और खरवार को भी अनुसूचित जनजाति की अनुसूचि में शामिल करने की मांग की गई.

conference of Khairwar tribal society
खैरवार आदिवासी समाज का महासम्मेलन (ETV bharat)

पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह (ETV bharat)

बलरामपुर: रामानुजगंज में रविवार को खैरवार आदिवासी समाज का महासम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान समाज से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई. बलरामपुर रामानुजगंज जिले में खैरवार आदिवासी समाज की जनसंख्या अधिक है. यही कारण है कि सम्मेलन में भारी संख्या में खैरवार समाज के लोग शामिल हुए. इस दौरान समाज ने खैरवार के साथ ही खेरवार और खरवार को भी अनुसूचित जनजाति की अनुसूचि में शामिल करने की मांग की.

ये है समाज की मांग: दरअसल, रामानुजगंज के लरंगसाय कम्युनिटी हॉल में रविवार को खैरवार आदिवासी समाज की ओर से महासम्मेलन का आयोजन किया गया. बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ सहित पड़ोसी राज्य झारखंड और अन्य राज्यों के खैरवार आदिवासी भी शामिल हुए. इस दौरान खैरवार के साथ खेरवार और खरवार को अनुसूचित जनजाति की अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई.

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में खैरवार को ही आदिवासी माना गया है. खेरवार और खरवार का नोटिफिकेशन में नाम नहीं है. छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से हमें मान्यता मिल गई है. भारत सरकार के राजपत्र में शामिल नहीं होने के कारण समाज के होनहार छात्र-छात्राओं को अन्य राज्यों में शिक्षा ग्रहण, केन्द्रीय नौकरी, जनजाति के लाभ और सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है. इसलिए हमारी मांग है कि खैरवार के साथ खेरवार और खरवार को अनुसूचित जनजाति की अनुसूची में शामिल शामिल किया जाए. -बृहस्पति सिंह, पूर्व विधायक

बता दें कि अनुसूचित जनजाति की अनुसूची में दर्ज खैरवार जाति के साथ खेरवार और खरवार जाति को शामिल कर भारत के राजपत्र में प्रकाशित करने की मांग किया गया है. खैरवार आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि मात्रात्मक त्रुटि के कारण खेरवार और खरवार को अनुसूचित जनजाति की अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें भी जल्द इस सूची में शामिल कर भारत के राजपत्र में प्रकाशित की जाए.

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ये है समाज की मांग: दरअसल, रामानुजगंज के लरंगसाय कम्युनिटी हॉल में रविवार को खैरवार आदिवासी समाज की ओर से महासम्मेलन का आयोजन किया गया. बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ सहित पड़ोसी राज्य झारखंड और अन्य राज्यों के खैरवार आदिवासी भी शामिल हुए. इस दौरान खैरवार के साथ खेरवार और खरवार को अनुसूचित जनजाति की अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई.

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में खैरवार को ही आदिवासी माना गया है. खेरवार और खरवार का नोटिफिकेशन में नाम नहीं है. छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से हमें मान्यता मिल गई है. भारत सरकार के राजपत्र में शामिल नहीं होने के कारण समाज के होनहार छात्र-छात्राओं को अन्य राज्यों में शिक्षा ग्रहण, केन्द्रीय नौकरी, जनजाति के लाभ और सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है. इसलिए हमारी मांग है कि खैरवार के साथ खेरवार और खरवार को अनुसूचित जनजाति की अनुसूची में शामिल शामिल किया जाए. -बृहस्पति सिंह, पूर्व विधायक

बता दें कि अनुसूचित जनजाति की अनुसूची में दर्ज खैरवार जाति के साथ खेरवार और खरवार जाति को शामिल कर भारत के राजपत्र में प्रकाशित करने की मांग किया गया है. खैरवार आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि मात्रात्मक त्रुटि के कारण खेरवार और खरवार को अनुसूचित जनजाति की अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें भी जल्द इस सूची में शामिल कर भारत के राजपत्र में प्रकाशित की जाए.

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