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घटिया क्वालिटी के एरियल बंच कंडक्टर की शिकायत, पश्चिमांचल के बाद अब मध्यांचल में भी कार्रवाई की तैयारी

Up Electricity Problem : मध्यांचल प्रबंधन कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी कर रहा है.

अब मध्यांचल में भी कार्रवाई की तैयारी
अब मध्यांचल में भी कार्रवाई की तैयारी (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने अलग-अलग वितरण खंडों में एरियल बंच कंडक्टर लगाने का ठेका अलग-अलग कंपनियों को दिया है. इन कंपनियों ने घटिया क्वालिटी के एरियल बंच कंडक्टर लगाए. इसी का यह नतीजा रहा कि इस बार गर्मी में पहले की तुलना में ज्यादा केबल जली और इस बार सबसे ज्यादा बिजली संकट का भी सामना उपभोक्ताओं को करना पड़ा. मानक के अनुसार, कंपनियों ने केबल ही नहीं लगाई. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में ज्यादा केबल जलने की जब तकनीकी टीम ने जांच की तो सामने आया कि बेहद घटिया क्वालिटी की केबल कंपनियों ने लगाई थी. अब मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में भी जो कंपनी केबल लगाई जा रही है, जांच में उसकी भी कमी पाई गई है. अब मध्यांचल प्रबंधन इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी कर रहा है.



अब मध्यांचल में भी कार्रवाई की तैयारी (Video credit: ETV Bharat)

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना रिवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) जिसके अंतर्गत मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत पीलीभीत में एलटी एरियल बंच कंडक्टर की विभिन्न क्षमता की गुणवत्ता खराब होने की शिकायत सामने आई. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की तरफ से एक जांच समिति गठित कर फर्म के प्रतिनिधि व क्वालिटी कंट्रोल को चेक करने के लिए रखे गए थर्ड पार्टी सदस्य प्रतिनिधि की उपस्थिति में सात कंपनियों के सैंपल चेक कराए गए. चार फर्मों के सैंपल विभाग की तरफ से स्वीकृत जीटीपी के अनुसार गुणवत्ता के मानक पर सही नहीं पाए गए. इसके बाद बिजली कंपनियों में हड़कंप मच गया. तीन स्तरीय क्वालिटी कंट्रोल की व्यवस्था होने के बावजूद घटिया क्वालिटी के एरियल बच कंडक्टर क्यों लगाए गए, इसकी मॉनिटरिंग के लिए करोड़ों रुपए की थर्ड पार्टी एजेंसी लगाई गई. चार एलटी केबल कंपनियों की घटिया क्वालिटी की रिपोर्ट आने के बाद मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसी बीच उपभोक्ता परिषद ने इस पर बड़ा खुलासा कर दिया.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि चौंकाने वाला मामला सामने आया है. उन्होंने कहा कि कंपनियां जो तीनों फेस कंडक्टर की जीटीपी के अनुसार मिनिमम 972 किलोग्राम प्रति किलोमीटर जो उसका मानक के तहत भार होना चाहिए, उसमें 45 से 54 किलोग्राम तक भार कम पाया गया. मैसेंजर का जो केबल था, उसमें भी भार में कमी पाई गई. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने आरडीएसएस योजना की सीबीआई जांच की मांग की. अवधेश वर्मा का कहना है कि जब यह मुद्दा उठाया था कि घटिया क्वालिटी के काम हो रहे हैं तो कोई मानने को तैयार नहीं था और अब मामला सामने आ गया है. अभी कुछ दिन पहले मेरठ में घटिया क्वालिटी के एरियल बंच कंडक्टर के मामले में एक कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया गया था और उसके 300 से 400 करोड़ के टेंडर कैंसिल किए गए थे. अब इन चार कंपनियों की घटिया क्वालिटी का खुलासा होने के बाद हंगामा मचा है, क्योंकि यह भारत सरकार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. उसमें इस प्रकार की कमियां मिलने के बाद बिजली कंपनी सोच रही है कि क्या कार्रवाई की जाए.



यह भी पढ़ें : ग्रामीण क्षेत्र में बिजली कटौती के खिलाफ नियामक आयोग पहुंचा उपभोक्ता परिषद, कहा- दूसरे राज्यों को बेची जा रही बिजली - Electricity Regulatory Commission

यह भी पढ़ें : UP में इस वजह से भी गुल होती है बिजली, वजह जानकर चौक जाएंगे आप - up electricity

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने अलग-अलग वितरण खंडों में एरियल बंच कंडक्टर लगाने का ठेका अलग-अलग कंपनियों को दिया है. इन कंपनियों ने घटिया क्वालिटी के एरियल बंच कंडक्टर लगाए. इसी का यह नतीजा रहा कि इस बार गर्मी में पहले की तुलना में ज्यादा केबल जली और इस बार सबसे ज्यादा बिजली संकट का भी सामना उपभोक्ताओं को करना पड़ा. मानक के अनुसार, कंपनियों ने केबल ही नहीं लगाई. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में ज्यादा केबल जलने की जब तकनीकी टीम ने जांच की तो सामने आया कि बेहद घटिया क्वालिटी की केबल कंपनियों ने लगाई थी. अब मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में भी जो कंपनी केबल लगाई जा रही है, जांच में उसकी भी कमी पाई गई है. अब मध्यांचल प्रबंधन इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी कर रहा है.



अब मध्यांचल में भी कार्रवाई की तैयारी (Video credit: ETV Bharat)

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना रिवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) जिसके अंतर्गत मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत पीलीभीत में एलटी एरियल बंच कंडक्टर की विभिन्न क्षमता की गुणवत्ता खराब होने की शिकायत सामने आई. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की तरफ से एक जांच समिति गठित कर फर्म के प्रतिनिधि व क्वालिटी कंट्रोल को चेक करने के लिए रखे गए थर्ड पार्टी सदस्य प्रतिनिधि की उपस्थिति में सात कंपनियों के सैंपल चेक कराए गए. चार फर्मों के सैंपल विभाग की तरफ से स्वीकृत जीटीपी के अनुसार गुणवत्ता के मानक पर सही नहीं पाए गए. इसके बाद बिजली कंपनियों में हड़कंप मच गया. तीन स्तरीय क्वालिटी कंट्रोल की व्यवस्था होने के बावजूद घटिया क्वालिटी के एरियल बच कंडक्टर क्यों लगाए गए, इसकी मॉनिटरिंग के लिए करोड़ों रुपए की थर्ड पार्टी एजेंसी लगाई गई. चार एलटी केबल कंपनियों की घटिया क्वालिटी की रिपोर्ट आने के बाद मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसी बीच उपभोक्ता परिषद ने इस पर बड़ा खुलासा कर दिया.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि चौंकाने वाला मामला सामने आया है. उन्होंने कहा कि कंपनियां जो तीनों फेस कंडक्टर की जीटीपी के अनुसार मिनिमम 972 किलोग्राम प्रति किलोमीटर जो उसका मानक के तहत भार होना चाहिए, उसमें 45 से 54 किलोग्राम तक भार कम पाया गया. मैसेंजर का जो केबल था, उसमें भी भार में कमी पाई गई. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने आरडीएसएस योजना की सीबीआई जांच की मांग की. अवधेश वर्मा का कहना है कि जब यह मुद्दा उठाया था कि घटिया क्वालिटी के काम हो रहे हैं तो कोई मानने को तैयार नहीं था और अब मामला सामने आ गया है. अभी कुछ दिन पहले मेरठ में घटिया क्वालिटी के एरियल बंच कंडक्टर के मामले में एक कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया गया था और उसके 300 से 400 करोड़ के टेंडर कैंसिल किए गए थे. अब इन चार कंपनियों की घटिया क्वालिटी का खुलासा होने के बाद हंगामा मचा है, क्योंकि यह भारत सरकार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. उसमें इस प्रकार की कमियां मिलने के बाद बिजली कंपनी सोच रही है कि क्या कार्रवाई की जाए.



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