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Rajasthan: प्रोटेस्ट पिटीशन लंबित रहने के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से नहीं किया जा सकता वंचित: कोर्ट

हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि प्रोटेस्ट पिटीशन लंबित रहने के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 26, 2024, 7:23 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि मृतक सरकारी कर्मचारी की पत्नी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में पेश एफआर के खिलाफ प्रोटेस्ट पिटीशन लंबित रहने के आदेश पर उसने अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही अदालत ने संबंधित दस्तावेज जमा कराने के 12 सप्ताह में नियुक्ति देने को कहा है.

जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश विनोद कंवर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. दूसरी ओर अदालत ने याचिकाकर्ता के ससुर लाल सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने की गुहार की गई थी. याचिकाओं से जुड़े अधिवक्ता प्रणव पारीक व तन्यम ढंड ने अदालत को बताया कि विनोद कंवर का पति संदीप सिंह तृतीय श्रेणी शिक्षक था. उसने 6 अगस्त, 2022 के आत्महत्या कर ली थी. इस पर लाल सिंह ने जोधपुर पुलिस में विनोद कंवर व उसके परिजनों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कराया. जिस पर पुलिस ने एफआर पेश कर दी थी.

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट ने विधवा बहू को 3 माह में नौकरी देने का दिया आदेश

याचिकाकर्ता लाल सिंह की ओर से कहा गया कि उसकी ओर से मामले में पेश प्रोटेस्ट पिटिशन लंबित है. इसलिए उसे अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाए. वहीं याचिकाकर्ता विनोद कंवर की ओर से कहा गया कि पुलिस ने उसे मामले में दोषी नहीं माना और एफआर पेश कर दी है. इसके अलावा विभाग ने भी उसे प्रोटेस्ट पिटिशन लंबित रहने के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया, बल्कि उसने नियमों में बताए एक शपथ पत्र को तय प्रोफार्मा में पेश नहीं किया था. इसलिए उसे नियुक्ति दी जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने को कहा है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि मृतक सरकारी कर्मचारी की पत्नी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में पेश एफआर के खिलाफ प्रोटेस्ट पिटीशन लंबित रहने के आदेश पर उसने अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही अदालत ने संबंधित दस्तावेज जमा कराने के 12 सप्ताह में नियुक्ति देने को कहा है.

जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश विनोद कंवर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. दूसरी ओर अदालत ने याचिकाकर्ता के ससुर लाल सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने की गुहार की गई थी. याचिकाओं से जुड़े अधिवक्ता प्रणव पारीक व तन्यम ढंड ने अदालत को बताया कि विनोद कंवर का पति संदीप सिंह तृतीय श्रेणी शिक्षक था. उसने 6 अगस्त, 2022 के आत्महत्या कर ली थी. इस पर लाल सिंह ने जोधपुर पुलिस में विनोद कंवर व उसके परिजनों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कराया. जिस पर पुलिस ने एफआर पेश कर दी थी.

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याचिकाकर्ता लाल सिंह की ओर से कहा गया कि उसकी ओर से मामले में पेश प्रोटेस्ट पिटिशन लंबित है. इसलिए उसे अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाए. वहीं याचिकाकर्ता विनोद कंवर की ओर से कहा गया कि पुलिस ने उसे मामले में दोषी नहीं माना और एफआर पेश कर दी है. इसके अलावा विभाग ने भी उसे प्रोटेस्ट पिटिशन लंबित रहने के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया, बल्कि उसने नियमों में बताए एक शपथ पत्र को तय प्रोफार्मा में पेश नहीं किया था. इसलिए उसे नियुक्ति दी जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने को कहा है.

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