लखनऊ: परिवहन विभाग के प्रवर्तन दस्तों की सुस्ती का नतीजा है कि निजी गाड़ियों का स्कूली बच्चों को ढोने में धड़ल्ले से व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है. चेकिंग अभियान चलता है, लेकिन ऐसे वाहन प्रवर्तन दस्तों को नजर ही नहीं आते हैं. जब कोई हादसा होता है तब विभागीय अधिकारियों के नींद खुलती है. शुक्रवार को भी लखनऊ के शहीद पथ पर जब स्कूली बच्चों को ले जा रही एक निजी कार हादसे का शिकार हो गई तो परिवहन विभाग के चेकिंग दस्ते नींद से जागे.
अब ऐसे प्राइवेट वाहनों के व्यावसायिक इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर सघन चेकिंग अभियान चलाने की तैयारी कर रहे हैं. लखनऊ के आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप कुमार पंकज ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि जिस निजी कार का स्कूली बच्चों को ढोने में इस्तेमाल किया जा रहा था, धारा 53 के तहत अब उसका रजिस्ट्रेशन सस्पेंड करेंगे. वाहन से टैक्स की वसूली की जाएगी. परमिट, प्रदूषण और फिटनेस का जुर्माना भी वसूला जाएगा.
लखनऊ में शहीद पथ पर हुआ हादसा: लखनऊ के एक निजी स्कूलों की कार शुक्रवार सुबह हादसे का शिकार हो गई. जिस वक्त ये हादसा हुआ इस प्राइवेट कार में नौ बच्चे सवार थे. शहीद पथ पर टायर फट जाने के चलते यह हादसा हुआ. जैसे ही टायर फटा वाहन असंतुलित हो गया और पीछे से आ रही थार गाड़ी ने टक्कर मार दी. इससे बच्चे बुरी तरह चोटिल हो गए.
कार पलटी तो बच्चों के जूते उसके अंदर ही रह गए. टिफिन और कॉपी किताबें भी कार में बिखर गईं. कई बच्चे लहूलुहान हो गए. सभी बच्चों का शहर के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने जिस कार यूपी 32 एमयू 6654 से स्कूली बच्चे ढोए जा रहे थे, उसकी तहकीकात की. सामने आया कि यह कार प्राइवेट थी और कई सालों से स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम कर रही थी. शहर में ऐसी निजी कारों की भरमार है जो स्कूली बच्चों को ढोने के लिए व्यावसायिक इस्तेमाल में लाई जा रही हैं.
लखनऊ में नौनिहालों की जान से खिलवाड़: बीते माह आठ जुलाई से लेकर 22 जुलाई तक स्कूली वाहनों के खिलाफ सघन चेकिंग अभियान चलाया गया था, लेकिन इस अभियान पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. वजह है कि चेकिंग अधिकारियों को स्कूल में व्यवसायिक कार्य में लगीं यह निजी कारें नजर नहीं आती हैं. नौनिहालों की जान से खिलवाड़ करतीं ऐसी निजी कारों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है? परिवहन विभाग को राजस्व का चुनाव लगातीं इन निजी कारों पर अधिकारी क्यों एक्शन नहीं लेते हैं?
प्राइवेट गाड़ियों का कमर्शियल इस्तेमाल किया जा रहा: स्कूली बच्चों को ढोने में व्यावसायिक इस्तेमाल हो रही जिस निजी कार को लेकर अब कार्रवाई की तैयारी की जा रही है उस कार का प्रदूषण एक साल पहले ही खत्म हो चुका है. प्राइवेट कार के रूप में आरटीओ कार्यालय में दर्ज इस गाड़ी से परिवहन विभाग को टैक्स का बड़ा नुकसान हो रहा है. व्यवसायिक टैक्स के बजाय निजी कार का टैक्स चुकाकर व्यवसाय किया जा रहा है. ये कार व्यावसायिक वाहन के रूप में दर्ज होती तो परिवहन विभाग को टैक्स भी ज्यादा मिलता और फिटनेस की भी फीस मिलती. ऐसे हजारों प्राइवेट वाहन अपना व्यवसाय कर रहे हैं और परिवहन विभाग को भरपूर चपत लग रहे हैं.
क्या कहते हैं आरटीओ प्रवर्तन: निजी कार का व्यवसायिक इस्तेमाल होने के 'ईटीवी भारत' के सवाल पर लखनऊ के आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप कुमार पंकज का कहना है कि स्कूलों में जो पेरेंट्स टीचर मीटिंग होती है उसमें स्कूल प्रशासन की तरफ से बच्चों के माता-पिता को यह समझाया जाता है कि वह बच्चों के आवागमन के लिए सुरक्षित साधनों का ही इस्तेमाल करें. चाहे स्कूल की बस और वैन कर सकते हैं या फिर अपने निजी वाहन से बच्चे ला सकते हैं. अन्य किसी निजी कार का स्कूली बच्चों को भेजने में इस्तेमाल न करें.
परमिट शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा: बच्चों को भी समझाया जाता है कि वह अपने माता-पिता को यह बताएं कि वह स्कूली वाहन से ही स्कूल जाएंगे या फिर अगर अपना निजी वाहन है तो फिर उसी से स्कूल जाना बेहतर होगा. बच्चों का माता-पिता पर ज्यादा असर पड़ता है. ऐसे में बच्चों को भी लगातार जागरूक किया जाता है. जहां तक बात हादसे का शिकार हुई प्राइवेट कार के व्यावसायिक इस्तेमाल किए जाने को लेकर है तो हम जांच कर रहे हैं कि इस वाहन पर कितना टैक्स बनता है, टैक्स वसूला जाएगा. प्राइवेट वाहन से व्यावसायिक कार्य किया जा रहा है तो परमिट शर्तों का उल्लंघन है.
वाहन को व्यावसायिक वाहन के रूप में दर्ज कराना चाहिए, इसका जुर्माना वसूला जाएगा. वाहन की फिटनेस कराई जाएगी. उसका अब तक का शुल्क वसूला जाएगा. पिछले साल वाहन का प्रदूषण भी खत्म हो चुका है तो इसका भी जुर्माना वसूल किया जाएगा. धारा 53 के तहत इस वाहन का रजिस्ट्रेशन सस्पेंड किया जाएगा. स्कूलों में लगे ऐसे प्राइवेट वाहनों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी.
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