वाराणसी: कोयला व्यवसायी सुयश अग्रवाल के जमानतदार के विरुद्ध झूठा शपथ-पत्र/ मिथ्या साक्ष्य देने के मामले में वादी के द्वारा दिये प्रार्थनापत्र अंतर्गत सीआरपीसी की धारा 340 के तहत कोर्ट ने परिवाद दर्ज करने का आदेश दिया गया है. यह आदेश वादी उदय राजगड़िया के अधिवक्ता वरुण प्रताप सिंह के प्रार्थनापत्र पर सुनवाई करते हुए एसीजीएम (सप्तम) वर्तिका शुभानंद की अदालत ने दिया है.
अधिवक्ता वरुण प्रताप सिंह के मुताबिक आरोपी सुयश अग्रवाल की जमानत हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा स्वीकृत की जा चुकी है. हाईकोर्ट के आदेश अनुसार विचारण न्यायालय ने एक लाख के दो विश्वसनीय प्रतिभू व पीबी दाखिल करने का आदेश पारित किया था. जिसमें राज कृष्ण टकसाली ने वाहन संख्या यूपी 65 सीइ 8118 का पंजीकृत स्वामी बताते हुए बतौर प्रतिभू बन्ध पत्र दाखिल किया, लेकिन गाड़ी राजकृष्ण टकसाली के नाम से सरकारी दस्तावेज में पंजीकृत न होकर सुर्याश मचेन्टडाइस इण्डिया लि के नाम पंजीकृत है. जिसके डायरेक्टर सुयश अग्रवाल है.
राजकृष्ण टकसाली ने झूठा शपथ पत्र न्यायालय में दाखिल किया है. सुयश व कुवर कृष्ण अग्रवाल के कहने पर राजकृष्ण टकसाली द्वारा मय शपथ पत्र कूटरचित दस्तावेज पेश किया. अतः सुयश अग्रवाल, कुवर कृष्ण अग्रवाल व राजकृष्ण टकसाली के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दंडित करने की याचना की गयी.
अदालत ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में यह अवधारित किया कि समस्त विश्लेषण से विदित होता है कि शपथकर्ता राजकृष्ण टकसाली द्वारा झूठा शपथ पत्र / मिथ्या घोषणा दाखिल किया गया कि वह वाहन का साझेदार मालिक है.
प्रस्तुत मामले में अभियुक्त सुयश अग्रवाल की जमानत हाईकोर्ट इलाहाबाद से हुई उच्च न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में अभियुक्त द्वारा बन्ध पत्र व प्रतिभू दाखिल किये गये. वह वाहन के पंजीकृत स्वामी नहीं है. इसलिए परिवाद को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल करने का आदेश दिया है.
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