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पुश्तैनी जमीन-जायदाद के बंटवारे में अब नहीं होंगे झगड़े-झंझट; योगी सरकार लाएगी सेटेलमेंट का नया फार्मूला - CM Yogi Master Plan

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 6, 2024, 2:45 PM IST

मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक खर्च के कारण प्रायः परिवार में विभाजन की स्थिति में विवाद की स्थिति बनती है और कोर्ट केस भी होते हैं. न्यूनतम स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच सेटलमेंट आसानी से हो सकेगा. एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे तथा जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवारीजनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क भी 5,000 रुपये तय होगा.

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योगी सरकार लाएगी सेटेलमेंट का नया फार्मूला (Photo Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: मात्र 5,000 रुपये के स्टाम्प शुल्क के साथ अपनी अचल संपत्ति को रक्तसंबंधियों के नाम करने की बड़ी सहूलियत देने के बाद उत्तर प्रदेश में अब पारिवारिक बंटवारे और प्रबंधन में भी बड़ी सुविधा मिलने जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे तथा जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवारीजनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क भी 5,000 रुपये तय किया जाए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक खर्च के कारण प्रायः परिवार में विभाजन की स्थिति में विवाद की स्थिति बनती है और कोर्ट केस भी होते हैं. न्यूनतम स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच सेटलमेंट आसानी से हो सकेगा.

मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा आम आदमी के ईज ऑफ लिविंग के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं. संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापना प्रक्रिया में सरलीकरण से लोगों को और सुविधा होगी. विशेषज्ञ जानकार बताते हैं कि ये योगी सरकार का मास्टर स्ट्रोक हो सकता है.

क्या होता है सम्पत्ति बंटवारा

  • विभाजन विलेख में सभी पक्षकार विभाजित सम्पत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं एवं विभाजन उनके मध्य होता है.
  • विभाजन विलेख में प्रस्तावित छूट एक ही मृतक व्यक्ति के समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स, जो सहस्वामी हों, को आच्छादित करेगी अर्थात यदि दादा की मूल सम्पत्ति में वर्तमान जीवित हिस्सेदार चाचा/भतीजा/ भतीजी हैं, तो वह इसका उपयोग कर सकते हैं.

क्या होता है व्यवस्थापन

  • व्यवस्थापन विलेख में व्यवस्थापनकर्ता पक्षकार (जीवित) अपनी व्यापक सम्पत्ति को कई पक्षकारों के मध्य निस्तारित करता है.
  • व्यवस्थापन विलेख में प्रस्तावित छूट के अधीन व्यवस्थापनकर्ता पक्षकार अपने समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स/डीसेंडेंट्स, जो किसी भी पीढ़ी के हों, के पक्ष में व्यवस्थापन कर सकता है. अर्थात सम्पत्ति यदि परदादा परदादी जीवित हों, तो उनके पक्ष में, एवं यदि प्रपौत्र/प्रपौत्री जीवित हों, तो उनके पक्ष में भी किया जा सकता है.

ये भी पढ़ेंः यूपी की थप्पड़बाज DM; शिकायत लेकर आए युवक से बोलीं, 'दिमाग खराब है क्या, देख नहीं रहा मैं खड़ी हूं...'

लखनऊ: मात्र 5,000 रुपये के स्टाम्प शुल्क के साथ अपनी अचल संपत्ति को रक्तसंबंधियों के नाम करने की बड़ी सहूलियत देने के बाद उत्तर प्रदेश में अब पारिवारिक बंटवारे और प्रबंधन में भी बड़ी सुविधा मिलने जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे तथा जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवारीजनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क भी 5,000 रुपये तय किया जाए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक खर्च के कारण प्रायः परिवार में विभाजन की स्थिति में विवाद की स्थिति बनती है और कोर्ट केस भी होते हैं. न्यूनतम स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच सेटलमेंट आसानी से हो सकेगा.

मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा आम आदमी के ईज ऑफ लिविंग के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं. संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापना प्रक्रिया में सरलीकरण से लोगों को और सुविधा होगी. विशेषज्ञ जानकार बताते हैं कि ये योगी सरकार का मास्टर स्ट्रोक हो सकता है.

क्या होता है सम्पत्ति बंटवारा

  • विभाजन विलेख में सभी पक्षकार विभाजित सम्पत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं एवं विभाजन उनके मध्य होता है.
  • विभाजन विलेख में प्रस्तावित छूट एक ही मृतक व्यक्ति के समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स, जो सहस्वामी हों, को आच्छादित करेगी अर्थात यदि दादा की मूल सम्पत्ति में वर्तमान जीवित हिस्सेदार चाचा/भतीजा/ भतीजी हैं, तो वह इसका उपयोग कर सकते हैं.

क्या होता है व्यवस्थापन

  • व्यवस्थापन विलेख में व्यवस्थापनकर्ता पक्षकार (जीवित) अपनी व्यापक सम्पत्ति को कई पक्षकारों के मध्य निस्तारित करता है.
  • व्यवस्थापन विलेख में प्रस्तावित छूट के अधीन व्यवस्थापनकर्ता पक्षकार अपने समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स/डीसेंडेंट्स, जो किसी भी पीढ़ी के हों, के पक्ष में व्यवस्थापन कर सकता है. अर्थात सम्पत्ति यदि परदादा परदादी जीवित हों, तो उनके पक्ष में, एवं यदि प्रपौत्र/प्रपौत्री जीवित हों, तो उनके पक्ष में भी किया जा सकता है.

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