रायपुर: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल में साल 2010 के बाद बनी ओबीसी सूची को रद्द कर दिया है. छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले की सराहना की है. साथ ही इसे धर्म-आधारित तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों के चेहरे पर तमाचा बताया है.छत्तीसगढ़ के सीएम ने ये दावा किया कि कांग्रेस और विपक्षी भारतीय गुट संविधान की हत्या की साजिश रच रहे हैं.
पिछड़े वर्गों का अधिकार छीनना चाहता है INDI: कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सीएम साय ने कहा, "INDI गठबंधन लगातार आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों पर डाका डाल रहा है. ये सिर्फ अपनी वोट बैंक की राजनीति के कारण उनके अधिकारों को छीनकर मुसलमानों को सौंपना चाहते हैं. यह बेहद निंदनीय है. कांग्रेस और उसके गठबंधन की तुष्टीकरण की राजनीति को न तो भाजपा और न ही पिछड़े, आदिवासी और दलित बर्दाश्त करेंगे.इससे भी गंभीर बात यह है कि पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा है कि वह इस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी और इसे लागू नहीं करेंगी. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है."
यह देश के ओबीसी, आदिवासियों और सभी पिछड़े समुदायों के लिए एक बड़ा फैसला है.फैसले से पता चलता है कि कैसे ममता बनर्जी की सरकार असंवैधानिक तरीके से तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ा रही है.-विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
बंगाल की मुख्यमंत्री ने जाहिर की नाराजगी:कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि अब कोई भी नए प्रमाणपत्र जारी नहीं किए जाएंगे, हालांकि कोर्ट ने यह साफ किया है कि इस सूची के आधार पर जिन लोगों को नौकरी मिली है. उनके ऊपर इस फैसले का कोई असर नहीं होगा. मतलब उनकी नौकरी बरकार रहेगी. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथर की खंडपीठ ने बुधवार को ये फैसला सुनाया. कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नाराजगी जाहिर की.
13 साल बाद रद्द हुआ फैसला: अब नए तरीके से बनेगी सूची: कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल में नई ओबीसी आरक्षण सूची 1993 अधिनियम के अनुसार तैयार होगी. इसके बाद राज्य में लागू की जाएगी. हाईकोर्ट ने आश्वासन दिया है कि जिन लोगों को ओबीसी आरक्षण सूची में पहले ही नौकरी मिल चुकी है, उनकी नौकरी पर फैसले का कोई असर नहीं होगा. हाईकोर्ट के इस फैसले पर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि, "वह राज्य में कई वर्गों का ओबीसी दर्जा खत्म करने के आदेश को स्वीकार नहीं करेंगी." बता दें कि हाईकोर्ट ने 13 साल बाद इस फैसले को रद्द किया है. वहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का छत्तीसगढ़ के सीएम ने सराहना की है.
सोर्स: PTI