रायपुर: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कैबिनेट की बैठक शुक्रवार को रायपुर मंत्रालय महानदी भवन में की गई. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. मंत्रिपरिषद की बैठक में 5 प्राधिकरण के पुनर्गठन को लेकर फैसला लिया गया. इनमें छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण और अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण, सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण तथा बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन आदेश में संशोधन के प्रस्ताव को अप्रूव किया गया.
छत्तीसगढ में बनाए गए 5 विकास प्राधिकरण: राज्य मंत्रिमण्डल ने राज्य में गठित पांचों विकास प्राधिकरणों के पुनर्गठन आदेश में आंशिक रूप से संशोधन को मंजूरी दी है. इस संशोधन से पांचों प्राधिकरणों में जनप्रतिनिधित्व का दायरा काफी बढ़ाया गया है. पांचों प्राधिकरणों में अब राज्य मंत्रिमण्डल के सभी मंत्रिगणों को सदस्य के रूप में शामिल करने के साथ ही संबंधित क्षेत्र के राज्यसभा, लोकसभा के सांसद एवं प्राधिकरण क्षेत्रों के जिला पंचायत अध्यक्षों को अब इसका सदस्य बनाया गया है. पांचों प्राधिकरणों में प्रमुख सचिव/सचिव आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. बाकी सभी सदस्य पहले की तरह पद पर बने रहेंगे.
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण: छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन आदेश में प्रस्तावित संशोधन को मंत्रिमण्डल ने मंजूरी दी, जिसके तहत मुख्यमंत्री प्राधिकरण के अध्यक्ष और क्षेत्र के विधायक उपाध्यक्ष होंगे. इस प्राधिकरण में सदस्य के रूप में पूर्व में मात्र तीन विभागों के मंत्री के स्थान पर अब राज्य मंत्रिमण्डल के समस्त माननीय मंत्रीगणों को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. प्राधिकरण क्षेत्र के राज्यसभा, लोकसभा के सांसद, प्राधिकरण क्षेत्र के जिला पंचायत अध्यक्ष प्राधिकरण के सदस्य होंगे. प्रमुख सचिव और सचिव आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग को प्राधिकरण के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. प्राधिकरण के पुनर्गठन आदेश के अनुसार पूर्व में सदस्य के रूप में शामिल 35 विधायकगणों को और अन्य सदस्यों को यथावत रखा गया है.
सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण: सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन आदेश में संशोधन किया गया है. मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के अध्यक्ष और क्षेत्र के विधायक उपाध्यक्ष होंगे. पूर्व में सदस्य के रूप में शामिल आदिम जाति कल्याण विभाग मंत्री और वित्त मंत्री के स्थान पर अब राज्य मंत्रिमण्डल के सभी मंत्रीगण प्राधिकरण के सदस्य होंगे. प्राधिकरण क्षेत्र के राज्यसभा, लोकसभा के सांसद, प्राधिकरण क्षेत्र के जनजाति बाहुल्य जिलों के जिला पंचायत अध्यक्ष भी अब प्राधिकरण के सदस्य होंगे. आदिवासी विकास से जुड़े अधिकतम दो समाजसेवी और विशेषज्ञ, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव आदिम जाति इसके सदस्य होंगे. इसके अलावा अनुसूचित जाति विकास विभाग प्राधिकरण के सदस्य और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, सचिव प्राधिकरण के सदस्य सचिव होंगे.
अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण: मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के अध्यक्ष और विधायक प्राधिकरण के उपाध्यक्ष होंगे. राज्य मंत्रिमण्डल के दो मंत्रियों के स्थान पर अब राज्य मंत्रिमण्डल के सभी मंत्री, संबंधित क्षेत्र के राज्यसभा, लोकसभा के सांसद, प्राधिकरण के जिला पंचायत अध्यक्ष , अनुसूचित जाति विकास से जुड़े अधिकतम दो समाजसेवी और विशेषज्ञ इसमें शामिल किए गए हैं. इसके अलावा मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव आदिम जाति और एससी इस विकास प्राधिकरण के सदस्य होंगे.
मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण: मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के अध्यक्ष और क्षेत्र के विधायक उपाध्यक्ष होंगे. प्राधिकरण के पुनर्गठन आदेश में किए गए संशोधन के अनुसार अब दो मंत्रीगणों के स्थान पर राज्य मंत्रिमण्डल के समस्त मंत्रीगणों और प्राधिकरण क्षेत्र के राज्यसभा, लोकसभा के सांसद और जिला पंचायत अध्यक्ष को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. इसके अलावा संबंधित विभाग के सचिव और प्रमुख सचिव को भी इसमें सदस्य बनाया गया है.
बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण: मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के अध्यक्ष और प्राधिकरण क्षेत्र के निर्वाचित विधायक इसके उपाध्यक्ष होंगे. पूर्व में सदस्य के रूप में शामिल मात्र दो मंत्रियों के स्थान पर अब राज्य मंत्रिमण्डल के समस्त मंत्रीगणों, प्राधिकरण क्षेत्र के राज्यसभा, लोकसभा के सांसद तथा प्राधिकरण क्षेत्र के जनजातीय बाहुल्य जिलों के जिला पंचायत अध्यक्ष को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. आदिवासी विकास से जुड़े अधिकतम दो समाजसेवी और विशेषज्ञ और सचिव स्तर के अधिकारी को इसका सदस्य बनाया गया है.
कैबिनेट के अन्य फैसले: शहरी विकास के लिए टाउन डेवलमेंट नीति का भी निर्धारण किया गया है. राज्य के शहरों के सुव्यवस्थित विकास और राज्य की विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मंत्रिपरिषद की ओर से बड़ा निर्णय लिया गया. इसके तहत भूखण्डों का पुनर्गठन और प्रदेश में स्वीकृत विकास योजना के क्रियान्वयन के लिए शहरी विकास नीति का अनुमोदन किया गया. इस बारे में दिशा-निर्देश जारी करने को लेकर आवास और पर्यावरण विभाग को अधिकृत किया गया है.