शिमला: हिमाचल के पालमपुर में मुख्य एसडीआरएफ प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया जाएगा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण आपदा की घटनाओं में वृद्धि हुई है. इसलिए आपदाओं का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित कर हमें इन चुनौतियों के साथ जीना सीखना होगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पर्याप्त धनराशि व्यय कर लोगों को आपदा से निपटने की तैयारियों के बारे में जागरूक कर रही है और आपदा से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए कई उपाय अपनाए जा रहे हैं. आपदा की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्राधिकरण को सदैव तैयार रहना चाहिए. इस दिशा में फ्रांस की एजेंसी एएफडी के सहयोग से 800 करोड़ रुपये की परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है और मिटीगेशन फंड से 500 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने पालमपुर में एक मुख्य एसडीआरएफ प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने की घोषणा भी की है.
लोगों ने मानसून सीजन में देखी थी तबाही
सीएम सुक्खू ने कहा कि पिछले साल मानसून के दौरान प्रदेश के लोगों ने तबाही का मंजर देखा. जिसमें 500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और 10 हजार करोड़ रुपये की सार्वजनिक और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ था. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से किसी प्रकार की वित्तीय सहायता न मिलने के बावजूद राज्य सरकार ने 23 हजार प्रभावित परिवारों का पुनर्वास किया और 4,500 करोड़ रुपये का आपदा राहत पैकेज लागू किया है. इस पैकेज के तहत पूरी तरह से नष्ट हो चुके घरों के लिए मुआवजे की राशि 1.30 लाख रुपये से बढ़ाकर सात लाख रुपए की गई है. मुख्यमंत्री ने आपदा राहत प्रयासों में राजनीतिक हस्तक्षेप की आलोचना करते हुए कहा कि प्रदेश को अभी तक आपदा उपरांत आवश्यकता आकलन (पीडीएनए) के 10 हजार करोड़ रुपये नहीं मिले हैं. विपक्ष की ओर से खड़ी की गई हर बाधाओं के बावजूद उनके निरंतर प्रयासों के फलस्वरूप इस दिशा में कुछ प्रगति हुई है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मामलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए और प्रभावित लोगों को पूरी सहायता प्रदान की जानी चाहिए.
आपदा में सरकार ने किया बेहतरीन कार्य
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि 72 घंटे तक उन्होंने स्वयं आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर बचाव व राहत कार्यों का निरीक्षण किया. उन्होंने व्यक्तिगत रूप से राज्य से 75 हजार पर्यटकों और 15 हजार वाहनों को सुरक्षित निकालने का अभियान चलाया. सीएम ने कहा कि इतनी बड़ी प्राकृतिक आपदा के बावजूद 48 घंटों के भीतर, बिजली, पानी और संचार जैसी आवश्यक सेवाओं को अस्थायी रूप से बहाल किया गया. जिससे राहत कार्यों को सुचारू रूप से चलाने में मदद मिली. राज्य सरकार ने किसानों, विशेष रूप से सेब उत्पादकों की उपज को सुरक्षित रूप से मंडियों तक पहुंचाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की, ताकि उन्हें अपने उत्पादों के बेहतर दाम मिले. विश्व बैंक, नीति आयोग और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने राज्य के प्रभावी आपदा प्रबंधन कार्यों की सराहना की. मुख्यमंत्री ने आपदा के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी की अगुवाई में प्रदेश सरकार ने लाहौल-स्पीति जिले के चंद्रताल से 303 फंसे पर्यटकों को सफलतापूर्वक बचाया और सभी पर्यटकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की गई.