शिमला: हिमाचल विधानसभा में मानसून सत्र के चौथे दिन 'सिर कलम' वाले बयान को लेकर सदन में खूब हंगामा बरपा. विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए विधानसभा स्पीकर कुलदीप पठानिया को घेरने की कोशिश की. वहीं, सदन के बाहर भी स्पीकर और जयराम ठाकुर के बीच तल्खी देखने को मिली. मामले में अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया के समर्थन में उतरे और विपक्ष को आड़े हाथ लिया है.
गौरतलब है कि सदन में बीजेपी विधायक इंद्र दत्त लखनपाल के ऑर्डर ऑफ प्वाइंट को लेकर हंगामा देखने को मिला. दरअसल, विधायक लखनपाल ने स्पीकर पर आरोप लगाया कि उन्होंने पूर्व में बयान दिया था कि 6 के सिर कलम कर दिए गए हैं और 3 के आरे के नीचे है. इस बयान पर विधायक ने स्पीकर को खेद जताने के लिए कहा, जिसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ. वहीं, अब सीएम सुक्खू ने स्पीकर का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा. वहीं, सीएम ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा.
सीएम सुक्खू ने कहा, "राजनीतिक पृष्ठभूमि की अपनी भाषा होती है. अरबी में बोलते हैं कि 6 पूर्व विधायक जो कानून के नियमों के दायरे में आते हैं, उनका सर कलम कर दिया. इसमें क्या गलत बोला है. जो अपना ईमान बेच सकते हैं, अगर उनके खिलाफ कानून में नियमों के तहत कार्रवाई होती है तो इसमें क्या गलत है. इसको लेकर विपक्ष इसलिए नारे लगा रहे है कि उन्हें लग रहा है कि छह विधायकों को खरीदने के बाद भी उनकी सरकार नहीं बन पाई है. वहीं, हिमाचल में विधानसभा में फिर से कांग्रेस विधायकों की संख्या 34 से बढ़कर 40 हो गई हैं. इसलिए इस तरह की वारदात करने वाले नेता अब नारेबाजी कर रहे हैं. विपक्ष ऐसे विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ नारे लगा रहे हैं, जिनकी जजमेंट को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने सही जजमेंट दी है. ये देश के अन्य राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों के लिए भी व्यवस्था देगी".
सीएम सुक्खू ने कहा कि जिनके पास मुद्दे नहीं होते हैं, वे इस तरह के नारे लगाकर मीडिया की सुर्खियों में बना रहना चाहते हैं. नेता प्रतिपक्ष के साथ भाजपा के जो विधायक हैं, वे भी उनके साथ छल कर रहे हैं. जब जयराम ठाकुर वॉक आउट के समय गेट तक पहुंच जाते हैं, पीछे विधायक अपनी सीटों में ही बैठे रहते हैं.
गौरतलब है कि हिमाचल में 27 फरवरी को राज्यसभा की एक सीट पर चुनाव हुए थे. जिसमें बहुमत वाली कांग्रेस सरकार के 6 विधायकों ने बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी. जिससे 40 विधायकों वाली कांग्रेस को राज्यसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. जबकि उस दौरान सदन में भाजपा विधायकों की संख्या 25 थी. ये सब कांग्रेस पार्टी के 6 पूर्व विधायकों की ओर से की गई क्रॉस वोटिंग की वजह से हुआ था.
हालांकि, बाद में विधानसभा स्पीकर ने सरकार की ओर बजट पारित करने के लिए जारी किए गए व्हिप की अवहेलना करने को लेकर इन सभी बागी विधायकों की सदस्यता को रद्द कर दिया था. जिसके बाद कांग्रेस के सभी छह पूर्व विधायकों ने भाजपा टिकट पर उपचुनाव लड़ा. जिसमें केवल दो ही पूर्व विधायक दोबारा चुनकर विधानसभा पहुंचे.
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