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टीबी मुक्त होगा हिमाचल प्रदेश, स्कूली पाठयक्रम में शामिल किया जाएगा हेल्थ एजुकेशन: सीएम सुखविंदर - TB FREE HIMACHAL

शिमला में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू नि-क्षय अभियान में शामिल हुआ. इस दौरान उन्होंने हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा.

नि-क्षय अभियान में शामिल हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
नि-क्षय अभियान में शामिल हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 7, 2024, 7:12 PM IST

शिमला: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में आयोजित ‘नि-क्षय अभियान’ में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचें. इस अवसर पर उन्होंने पोर्टेबल एक्स-रे मशीन से टीबी की जांच भी करवाई. वहीं, उन्होंने इस अभियान के लिए समर्पित एक मोबाइल वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया. इस मौके पर सीएम ने कहा कि 100 दिनों तक चलने वाला यह अभियान हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में कारगर साबित होगा. इस अभियान का उद्देश्य टीबी के मामलों की समय पर पहचान, प्रभावी उपचार और समुदायों में जागरूकता फैलाना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान राज्य के सभी जिलों में चलाया जाएगा, जिसके तहत कमजोर वर्गों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा. उन्होंने सभी से अपने क्षेत्रों में नि-क्षय शिविर अभियान में सक्रियता से भाग लेने और लोगों को टीबी के लक्षणों को पहचानने और समय पर जांच करवाने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया.

सीएम ने कहा हिमाचल प्रदेश निकट भविष्य में टीबी मुक्त राज्य बनकर उभरेगा. इसके दृष्टिगत राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से प्राप्त सहायता के अलावा, मुख्यमंत्री टीबी उन्मूलन योजना के तहत 2 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. राज्य की 13 प्रतिशत आबादी 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की है, इसके दृष्टिगत वृद्धजनों के लिए प्रारंभिक निदान और रोकथाम आवश्यक है. उन्होंने बीमारियों की रोकथाम के लिए युवा पीढ़ी को जागरूक होने और स्वस्थ जीवन शैली अपनाने पर बल दिया.

स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगी स्वास्थ्य शिक्षा

सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार प्रारंभिक आयु से ही बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करने पर विचार कर रही है. प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता प्रदान करते हुए इस क्षेत्र में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए हैं. अस्पतालों में आपातकालीन विभागों को स्तरोन्नत किया जा रहा है. चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के लिए निविदाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं.

मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि एक साल के भीतर राज्य के लोगों के लिए उन्नत निदान और उपचार सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में रेफरल प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए दृढ़ता से कार्य किया जा रहा है. चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए सरकार सुपर-स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के मासिक भत्ते को 60,000 रुपये से बढ़ाकर 1.75 लाख रुपये और विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए एक लाख रुपये करने पर विचार कर रही है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश की वन संपदा उत्तर भारत को प्राणवायु प्रदान करती है. इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य के वनों के संरक्षण के प्रयासों को अधिमान देते हुए ‘ग्रीन बोनस’ प्रदान करने की अपील की. कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री ने टीबी मुक्त भारत की शपथ दिलाई और टीबी रोगियों को निक्षय पोषण किट वितरित की. उन्होंने अभियान में योगदान देने वाली संस्थाओं और संगठनों को भी सम्मानित किया.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में टीबी उन्मूलन अभियान का शुभारंभ, 80 हजार लोगों की घर द्वार पर होगी स्क्रीनिंग

शिमला: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में आयोजित ‘नि-क्षय अभियान’ में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचें. इस अवसर पर उन्होंने पोर्टेबल एक्स-रे मशीन से टीबी की जांच भी करवाई. वहीं, उन्होंने इस अभियान के लिए समर्पित एक मोबाइल वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया. इस मौके पर सीएम ने कहा कि 100 दिनों तक चलने वाला यह अभियान हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में कारगर साबित होगा. इस अभियान का उद्देश्य टीबी के मामलों की समय पर पहचान, प्रभावी उपचार और समुदायों में जागरूकता फैलाना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान राज्य के सभी जिलों में चलाया जाएगा, जिसके तहत कमजोर वर्गों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा. उन्होंने सभी से अपने क्षेत्रों में नि-क्षय शिविर अभियान में सक्रियता से भाग लेने और लोगों को टीबी के लक्षणों को पहचानने और समय पर जांच करवाने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया.

सीएम ने कहा हिमाचल प्रदेश निकट भविष्य में टीबी मुक्त राज्य बनकर उभरेगा. इसके दृष्टिगत राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से प्राप्त सहायता के अलावा, मुख्यमंत्री टीबी उन्मूलन योजना के तहत 2 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. राज्य की 13 प्रतिशत आबादी 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की है, इसके दृष्टिगत वृद्धजनों के लिए प्रारंभिक निदान और रोकथाम आवश्यक है. उन्होंने बीमारियों की रोकथाम के लिए युवा पीढ़ी को जागरूक होने और स्वस्थ जीवन शैली अपनाने पर बल दिया.

स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगी स्वास्थ्य शिक्षा

सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार प्रारंभिक आयु से ही बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करने पर विचार कर रही है. प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता प्रदान करते हुए इस क्षेत्र में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए हैं. अस्पतालों में आपातकालीन विभागों को स्तरोन्नत किया जा रहा है. चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के लिए निविदाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं.

मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि एक साल के भीतर राज्य के लोगों के लिए उन्नत निदान और उपचार सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में रेफरल प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए दृढ़ता से कार्य किया जा रहा है. चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए सरकार सुपर-स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के मासिक भत्ते को 60,000 रुपये से बढ़ाकर 1.75 लाख रुपये और विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए एक लाख रुपये करने पर विचार कर रही है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश की वन संपदा उत्तर भारत को प्राणवायु प्रदान करती है. इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य के वनों के संरक्षण के प्रयासों को अधिमान देते हुए ‘ग्रीन बोनस’ प्रदान करने की अपील की. कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री ने टीबी मुक्त भारत की शपथ दिलाई और टीबी रोगियों को निक्षय पोषण किट वितरित की. उन्होंने अभियान में योगदान देने वाली संस्थाओं और संगठनों को भी सम्मानित किया.

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