शिमला: हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों व कांग्रेस सरकार के बीच डीए व एरियर सहित मंत्रियों-अफसरों के वेतन भत्तों को लेकर जोरदार जंग छिड़ी हुई है. इसी जंग के बीच सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान सलाहकार (इनोवेशन, डिजिटल तकनीक व गवर्नेंस) गोकुल बुटेल ने बचत वाला तीर छोड़ा है. एक रुपए वाले इस तीर से सरकार ने एक संदेश देने का प्रयास किया है. दरअसल, गोकुल बुटेल ने अपना ढाई लाख रुपए का वेतन छोड़ने का ऐलान किया है. साथ ही कहा है कि वे टोकन के तौर पर केवल एक रुपया मासिक वेतन लेंगे.
इस बारे में गोकुल बुटेल ने राज्य के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को पत्र लिखा और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया. उसके बाद मुख्य सचिव की तरफ से एक ऑर्डर जारी किया गया. उस आर्डर के अनुसार गोकुल बुटेल के ढाई लाख रुपए मासिक वेतन वाले स्पेस को एक रुपए टोकन मनी मानदेय से भरने को कहा गया. मुख्य सचिव के इस पत्र के बाद अब गोकुल बुटेल जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक का वेतन नहीं लेंगे. इसकी जगह एक रुपए वेतन टोकन मनी के रूप में लेंगे। जो वेतन पहले ड्रा हो चुका है, वो भी वापस कर दिया जाएगा. गोकुल बुटेल 17 अप्रैल 2023 को इस पद पर नियुक्त हुए थे.
क्या लिखा गोकुल ने अपने पत्र में: गोकुल बुटेल के लेटर हेड पर एक पत्र जारी किया गया था. राज्य के मुख्य सचिव को संबोधित ये पत्र गोकुल बुटेल के हस्ताक्षर के साथ जारी हुआ. इसमें बताया गया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए वे केवल एक रुपए टोकन मनी लेना चाहते हैं. बुटेल ने अपने पत्र में कहा कि राज्य की कमजोर आर्थिक हालत को देखते हुए उन्होंने स्वेच्छा से ये फैसला लिया है. बुटेल ने पत्र में लिखा कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रेरक नेतृत्व को देखते हुए ये फैसला लिया गया है. प्रदेश के समक्ष आर्थिक संकट है और ऐसे में वे एक रुपए टोकन मनी लेने के कदम को राज्य की बेहतरी में विनम्र योगदान की तरह देखते हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य के समक्ष आई आपदा के कठिन दौर में अपने जीवन की सारी पूंजी राहत कोष में दान कर दी थी. वे उसी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए ये कदम उठा रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि कर्ज में डूबी हिमाचल सरकार और इसके मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष इन दिनों एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. डीए एवं एरियर न मिलने पर सुक्खू सरकार के एक कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने ऐसा बयान दिया कि राज्य सचिवालय के कर्मचारी बिफर गए. अपने वित्तीय हक न मिलने पर कर्मचारियों ने सरकार के मंत्रियों और अफसरों की फिजूलखर्ची को निशाने पर ले लिया. कर्मचारियों ने कहा कि उनके हक देने के लिए सरकार के पास आर्थिक तंगी के बहाने हैं, लेकिन मंत्रियों और अफसरों की ऐश-परस्ती के लिए कोई कमी नहीं है.
इस समय डीए व एरियर का कम से कम 11 हजार करोड़ रुपए पेंडिंग है. अगस्त महीने में 15 तारीख को भी कर्मचारियों को न तो डीए मिला और न ही एरियर. ऐसे में कर्मचारी नाराज चल रहे थे कि उसी दौरान मंत्री राजेश धर्माणी के बयान ने आग में घी डालने का काम किया. हालांकि अब डैमेज कंट्रोल के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी हलचल के बीच गोकुल बुटेल ने एक बचत वाला तीर चलाया है.
वैसे गोकुल बुटेल एक बेहद संपन्न परिवार से आते हैं. उनके परिवार में ही बीबीएल बुटेल नामी राजनेता रहे हैं. इसी परिवार के एक सदस्य आशीष बुटेल सीपीएस के तौर पर कांग्रेस सरकार का हिस्सा हैं. गोकुल के इस कदम से हिमाचल की राजनीति में एक नई बहस छिड़ेगी. इससे पहले विद्या स्टोक्स भी मंत्री के रूप में महज एक रुपए वेतन ही लेती थी. उल्लेखनीय है कि बुटेल परिवार चाय बागानों के स्वामित्व के कारण विख्यात है. बीबीएल बुटेल वीरभद्र सिंह सरकार के समय विधानसभा अध्यक्ष रहे थे। सीपीएस आशीष बुटेल गोकुल के चचेरे भाई हैं.