भोपाल। अब 25 जून की तारीख देश में संविधान हत्या दिवस के रुप में मनाई जाएगी. केन्द्र सरकार ने इसका गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. मध्य प्रदेश में लोकतंत्र सेनानी संघ ने भारत सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. असल में 25 जून 1975 को जब आपातकाल लगा था, तो देश में सबसे ज्यादा जनसंघी एमपी में ही जेल भेजे गए थे. इनकी तादात करीब चार हजार के पार थी. मध्य प्रदेश में आपातकाल का संघर्ष स्कूलों में पढ़ाए जाने का फैसला सरकार पहले ही ले चुकी है.
भारत सरकार द्वारा 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय करोड़ों भारतीयों की आवाज को मुखर करते हुए उनके संघर्ष को नमन करने का ऐतिहासिक प्रयास है। इस निर्णय के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री @AmitShah जी का… pic.twitter.com/2Cvaq2xi0J
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 12, 2024
25 जून अब आपातकाल दिवस नहीं..संविधान हत्या दिवस
भारत सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी करके 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रुप में मनाए जाने का एलान कर दिया है. मध्य प्रदेश जैसे राज्य जहां सबसे ज्यादा जनसंघ के सदस्य जेल गए थे. वहां इस फैसले का स्वागत किया गया है. लोकतंत्र सेनानी संघ के अध्यक्ष तपन भौमिक कहते हैं, '25 जून 1975 को रात के 12 बजे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने पांच संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. ये पांच संगठन थे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद आनंद मार्ग, जमायती इस्लामी जमायती उल उलेमा. भौमिक बताते हैं इसके साथ ही पूरे देश में जनसंघ समाजवादी पार्टी लोकदल सीपीएम इन सब पार्टियों के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. हम इसे लोकतंत्र की हत्या का दिवस तो मनाते ही आ रहे थे. सरकार ने संविधान हत्या दिवस के रुप में मनाने का जो निर्णय लिया वो स्वागत योग्य है. असल में भारत के इतिहास में यही वो दिन है जब संविधान की हत्या हुई थी.
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एमपी में सबसे ज्यादा जेल भेजे गए जनसंघी
तपन भौमिक कहते हैं, वैसे पूरे देश में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां यूपी में हुई थी. वहां समावजादी बड़ी तादात में जेल में डाले गए, लेकिन एमपी वो राज्य था. जहां सबसे ज्यादा संख्या में जनसंघियों को जेल पहुंचाया गया. उस समय के हमारी पार्टी के सारे बड़े नेता कुशाभाऊ ठाकरे से लेकर कैलाश नारायण, सारंग, कैलाश जोशी, बाबूलाल गौर सब जेल में थे. भौमिक बताते हैं नौजवान पीढ़ी में मेरे अलावा शिवराज सिंह चौहान जैसे युवा थे. हम लोग 11-12वीं में थे और इस आंदोलन में जेल गए.