वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कई विभागों के छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन से नाराज चल रहे हैं. इन छात्रों ने बीते दिन जमकर प्रदर्शन भी किया है. कई संकायों के छात्र सड़क पर उतर गए और प्रदर्शन किया. मामला कक्षाओं के न चलाए जाने और परीक्षा कराने से लेकर जुड़ा हुआ है. छात्रों का आरोप है कि एक ही विषय की परीक्षाएं अलग-अलग महीनों में कराई जा रही हैं, जोकि ठीक नहीं है.
एबीवीपी ने विरोध का किया समर्थन: परीक्षा का विरोध किया जा रहा है. वहीं, एबीवीपी संगठन ने छात्रों के इस विरोध का समर्थन किया है. विश्वविद्यालय के छात्रों ने 11 जुलाई को परीक्षा कराने की मांग की है. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के बिड़ला छात्रावास के सामने अचानक से छात्रों के भीड़ जमा होने लगी. देखते ही देखते सभी छात्रावास के सामने सड़क पर बैठ गए और प्रदर्शन करने लगे. इन छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. छात्रों के इस प्रदर्शन ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्र मौजूद थे.
इन सभी छात्रों ने लगभग 2 घंटे तक कैंपस में प्रदर्शन किया. छात्रों के प्रदर्शन के कारण जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई. छात्र अभी भी नाराज चल रहे हैं. उनका कहना है कि कक्षाएं तय समय तक चलीं भी नहीं और परीक्षा अलग-अलग तिथि पर हो रही है.
90 दिन भी नहीं हुईं क्लासेस: छात्र परीक्षा को स्थगित कर जुलाई में कराए जाने की मांग कर रहे हैं. कला संकाय में पढ़ने वाले बीए प्रथम वर्ष, दूसरे सेमेस्टर के छात्रों का कहना है कि उनकी कक्षाएं यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक 90 दिन भी नहीं चली हैं. इसके बाद परीक्षा भी कराई जा रही है. बिना 90 दिनों तक कक्षाएं चलाए परीक्षा की तिथि घोषित कर दी गई है और एक ही विषय की परीक्षाओं को अलग-अलग महीनों में कराया जा रहा है. नाराज छात्रों ने अब परीक्षा 11 जुलाई को कराने की मांग की है.
विश्वविद्यालय ने क्लास अटेंड करने को कहा: इस मामले में विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि अलग-अलग संकायों के छात्रों ने विरोध जताया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनसे आगे की कक्षाओं में शामिल होने के लिए कहा है. ऐसे में उनकी उपस्थिति बढ़ जाएगी. इसके साथ ही विद्यार्थियों के हित में जो भी होगा किया जाएगा.
बता दें कि बीते दिन नाराज छात्रों ने भूगोल संकाय, विज्ञान संकाय, कला संकाय और बिड़ला छात्रावास के सामने दो घंटे तक प्रदर्शन किया था. प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम ने उन्हें समझा-बुझाकर शांत कराया था.