जयपुर: राजनीति में थोड़ा बहुत मिलने के बाद अपने आपको काफी बड़ा समझने वाले नेताओं को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक बार फिर बड़ी नसीहत दी. राजे ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आपको सराफ समझ बैठते हैं. राजे ने कहा कि चाहत बेशक आसमां छूने की रखो, लेकिन पांव हमेशा जमीन पर रखो.
माथुर ने छुई बुलंदियां : पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि ओम माथुर चाहे कितनी ही बुलंदियों पर पहुंचें, इनके पैर सदा जमीन पर रहे हैं. इसीलिए इनके चाहने वाले भी असंख्य हैं, वरना कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आपको सराफ समझ बैठते हैं. उन्होंने कहा कि माथुर से ऐसे लोगों को सीख लेनी चाहिए कि 'चाहत बेशक आसमां छूने की रखो, लेकिन पांव हमेशा जमीन पर रखो. राजे ने उन्हें सिक्किम का गवर्नर बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया. राजे ने कहा कि पीएम के करीबी माथुर ऊपर से गरम, भीतर से नरम हैं, जिन्होंने छत्तीसगढ़ में कमल खिलाकर असंभव को संभव किया.
लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आप को सर्राफ समझ बैठते हैं। #Rajasthan pic.twitter.com/lBXTPD4UiN
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) September 3, 2024
विपक्षी कुछ भी कहें, गवर्नर Rubber Stamp नहीं Iron Fist in a Velvet Glove होता है, फिर जैसा घुड़सवार होगा घोड़ा वैसे ही दौड़ेगा. माथुर कुशल घुड़सवार हैं, जिन्हें लगाम खींचना और चाबुक चलाना अच्छे से आता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को रोक सकता है. वह मंत्री परिषद की सलाह से काम तो करता है, लेकिन अनुच्छेद 166 (2) के अनुसार उसका निर्णय ही अंतिम है.
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अनुच्छेद 356 में राज्यपाल की सिफारिश पर किसी भी बहुमत की सरकार को हटा कर उस प्रदेश में सरकार के सारे अधिकार राज्यपाल को मिल जाते हैं. इसलिए राज्यपाल शक्ति रहित नहीं, शक्ति सहित होता है. संविधान बनाते वक्त यह तय हुआ कि देश में जैसे राष्ट्रपति हैं, वैसे ही राज्य को गवर्न करने के लिए गवर्नर होंगे. इसलिए राज्य में गवर्नर ही सबसे शक्तिशाली होता है.
जमकर लगे ठहाके : कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद नेताओं ने राज्यपाल ओम माथुर के साथ बीते हुए अपने समय और अनुभवों को साझा किया. इस दौरान मंच पर अनुभव साझा करने के लिए जैसे ही राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी पहुंचे तो उन्होंने मंच पर आसीन सभी नेताओं का एक-एक करके नाम लिया. इस दौरान उन्होंने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को राजेंद्र राठौड़ के नाम से संबोधित किया. इसके बाद घनश्याम तिवाड़ी ने फिर से अपनी बात को संभालते हुए कहा कि आजकल पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का नाम जुबान पर चढ़ा हुआ है. यह सही है कि जब मदन राठौड़ को अध्यक्ष बनाया गया, उस समय कई लोग तो राजेंद्र राठौड़ के घर उनको बधाई देने पहुंच गए थे.
आज गुलाबी नगरी जयपुर में सिक्किम के माननीय राज्यपाल श्री @OmMathur_Raj जी के सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में सहभागिता सुनिश्चित करते हुए, उनके सफ़लतम कार्यकाल हेतु मंगलमय शुभकामनाएं प्रेषित की।
— Bhajanlal Sharma (@BhajanlalBjp) September 3, 2024
यह अवसर न केवल श्री माथुर जी के लिए गौरवपूर्ण है, अपितु समस्त राजस्थान… pic.twitter.com/EMXBXx3xL0
इसके बाद सभागार में जमकर ठहाके लगे. इतना ही नहीं, तिवाड़ी ने कहा कि राजनीति में धैर्य और शालीनता बहुत जरूरी है. मैं तो एक बार पार्टी से चला गया था, लेकिन ओम माथुर ने कभी भी अपना धैर्य नहीं खोया. इसलिए वो आज इस मुकाम पर हैं. ओम माथुर का यह धैर्य ही तो है, जिसकी वजह से आज वह महामहिम बन गए और मैं माननीय के रूप में रह गया. तिवाड़ी ने इस दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को लेकर भी कहा कि मेरा और वसुंधरा राजे का आमरस जैसा संबंध है. आमरस मीठा भी होता है और खट्टा भी, लेकिन स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है.
राठौड़-राठौड़ भाई-भाई : प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने भी अपने संबोधन के दौरान जमकर अपने किस्सों के जरिए ठहाके छुड़वाए. राठौड़ ने मंच को संबोधित करते हुए एक-एक का नाम पुकारा. उसके बाद जैसे ही पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के नाम की बारी आई तो उन्होंने कहा कि उनके लिए तो पहले ही प्रदेश अध्यक्ष बोला जा चुका है. मैं इनसे हमेशा सीखता रहता हूं. वैसे भी राजेंद्र राठौड़ अक्सर कहा करते हैं कि राठौड़-राठौड़ भाई-भाई, बाकी कॉम कहां से आई. इसके बाद सदन में जमकर ठहाके लगे. बता दें कि ओम माथुर के लिए सिक्किम का गवर्नर बनाने के बाद पहली बार राजस्थान आने पर स्वागत अभिनन्दन कार्यक्रम रखा गया. जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, डिप्टी सीएम दीया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा सहित पार्टी के कई बड़े नेता और भजनलाल सरकार के मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद रहे.