नई दिल्ली: दिल्ली वक्फ बोर्ड के गलत जानकारी देने पर केंद्रीय सूचना आयोग ने निगाहें टेढ़ी कर ली है और शिकायतकर्ता को राहत दी है. दरअसल मामला कुछ ऐसा है कि एक शिकायतकर्ता ने दिल्ली वक्फ बोर्ड से कुछ जानकारी मांगी थी, लेकिन वक्फ बोर्ड की ओर से कुछ जानकारियां अधूरी और गलत दी गई. इस पर मामला केंद्रीय सूचना आयोग तक पहुंच गया.
इसके बाद केंद्रीय सूचना आयोग ने शिकायतकर्ता की अपील पर दिल्ली वक्फ बोर्ड को 31 मई तक मांग के अनुसार जानकारी देने का आदेश दिया है. केंद्रीय सूचना आयोग ने सोमवार को जारी किए गए अपने आदेश में कहा है कि जैसा कि शिकायतकर्ता ने वक्फ बोर्ड से 9 फरवरी 2024 को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत 9 बिंदुओं पर सूचनायें मांगी थीं, जिनमें से छह बिंदुओं पर वक्फ बोर्ड द्वारा सूचनायें दी गईं और बाकी के तीन बिंदुओं पर अधूरी और गलत सूचनायें दी गईं.
इन तीन बिंदुओं में से पहले बिंदु में वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियां की उनके पते सहित जानकारी, उनसे वक्फ बोर्ड को मासिक या वार्षिक तौर पर कितना किराया मिल रहा है. साथ ही कितनी संपत्तियां ऐसी हैं, जो खाली हैं. उससो वक्फ बोर्ड को किराया नहीं मिल रहा है. ये जानकारियां मांगी गई थी. दूसरे बिंदू में उन संपत्तियों के बारे में जानकारी मांगी गई थी, जिनमें वक्फ बोर्ड किरायेदार है और मालिक व किरायेदार के बीच डिस्प्यूट है.
शिकायतकर्ता ने दिल्ली वक्फ बोर्ड से मांगी थीं ये नौ सूचनाएं
1. दिल्ली वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आने वाली सभी संपत्तियों का उनसे संबंधित विवरण. दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा प्राप्त पते और मासिक/वार्षिक किराए का उल्लेख, खाली संपत्तियां जो किराये पर नहीं है. 2. उपरोक्त प्रश्न (1) में निर्दिष्ट संपत्तियों का विवरण जहां मकान मालिक-किरायेदार और दिल्ली वक्फ बोर्ड के बीच विवाद हैं. 3. पिछले पांच वर्षों में दिल्ली वक्फ बोर्ड को प्राप्त कुल वर्षवार किराया. 4. पिछले पांच वर्षों में दिल्ली वक्फ बोर्ड के कुल वर्षवार खर्च का उल्लेख, जहां अधिकतम खर्च किया गया. 5. दिल्ली वक्फ बोर्ड को पिछले पांच वर्ष में दिल्ली सरकार से वर्षवार कुल कितना अनुदान प्राप्त हुआ. 6. कुल वर्षवार अन्य अनुदान/निधि आदि (दिल्ली सरकार के अलावा) पिछले पांच में दिल्ली वक्फ बोर्ड को प्राप्त हुआ. वर्षवार उन स्रोतों का उल्लेख करते हुए, जहां से प्राप्त हुआ. 7. उपरोक्त प्रश्नों में अंतिम रूप से उल्लिखित आय को छोड़कर कुल वर्ष-वार आय, पांच साल में आय के स्रोत का भी जिक्र. 8. अन्य कोई संबंधित जानकारी 9. आरटीआई आवेदन के संचलन पर फाइल-नोटिंग्स |
इसके अलावा शिकायतकर्ता ने नौवें बिंदु के रूप में ये जानकारी मांगी थी कि उनकी आरटीआई एप्लीकेशन कब-कब कहां-कहां मूव हुई है और उस पर नोटिंग हुई है. इन तीन बिंदुओं पर सूचनायें ना मिलने के बाद इसकी अपील करते हुए शिकायतकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया. जिसमें सोमवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान आयोग ने पाया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरफ से शिकायतकर्ता को बिंदु नंबर एक के जवाब में जो जानकारी दी गई है वह अधूरी है.
बिंदु नंबर दो के जवाब में दी गई जानकारी गलत और भ्रामक है. आयोग ने उत्तरदाता को बिंदुओं दो का फिर से अवलोकन करने और उसके पास रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर जवाब देने का आदेश दिया. इसी तरह आयोग ने बिंदु नंबर 9 के लिए भी उत्तरदाता को अपने पास रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर शिकायतकर्ता को जवाब देने का आदेश दिया.
केंद्रीय सूचना आयुक्त विनोद कुमार तिवारी ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में उत्तरदाता को जवाब न देने के लिए कोई राहत नहीं दी जा सकती. इसलिए दिल्ली वक्फ बोर्ड शिकायतकर्ता को 31 मई तक उसकी मेल आईडी पर या या निशुल्क स्पीड पोस्ट के माध्यम से तीनों बिंदुओं से संबंधित सूचना उपलब्ध कराए. बता दें कि दिल्ली वक्फ बोर्ड से बिंदु नंबर एक के जवाब में शिकायतकर्ता को जो सिर्फ इतनी जानकारी दी गई की वक्फ बोर्ड के पास कुल 1964 संपत्तियां हैं.
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