जयपुर. राजनीतिक नियुक्ति दिलवाने और मेडिकल-इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के नाम पर ठगी करने के आरोपी को पुलिस मुख्यालय की सीआईडी सीबी ने मुंबई से दबोचा है. वह 1.24 करोड़ की ठगी के मामले में सात साल से फरार था. उस पर 50 हजार रुपए का इनाम भी है. दरअसल, दिल्ली के पश्चिम विहार निवासी शातिर ठग पीयूष भारत सैनी के खिलाफ अलवर के एनईबी थाने में दर्ज 1.24 करोड़ रुपए की ठगी के मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है. इस मामले में वह सात साल से फरार था. उसे मुंबई में सीआईडी क्राइम ब्रांच ने हिरासत में लिया गया. पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश दिलवाने के नाम पर ठगी के 16 मुकदमे उसके खिलाफ विभिन्न थानों में दर्ज हैं.
एडीजी (क्राइम-एजीटीएफ) दिनेश एमएन के अनुसार आरोपी पीयूष सैनी की गतिविधियों पर आईजी (क्राइम) प्रफुल्ल कुमार के निर्देशन में क्राइम ब्रांच की टीम नजर रखे हुई थी. डीआईजी योगेश यादव को आरोपी के मुंबई एयरपोर्ट पर होने की सूचना मिली तो उन्होंने स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों से समन्वय कर इसे डिटेन करवाया. एएसपी विद्या प्रकाश के सुपरविजन व इंस्पेक्टर सुभाष सिंह तंवर के नेतृत्व में एक टीम मुंबई भेजी गई. जिसमें हेड कांस्टेबल महेंद्र कुमार, सुरेश कुमार, राम अवतार, सोहन सिंह, कांस्टेबल मोहन लाल, मनोज, चालक सुरेश कुमार शामिल थे. यह टीम आरोपी को दस्तयाब कर जयपुर लाई.
इसे भी पढ़ें - बेटा करता था फर्जी आईपीएस बनकर ठगी, पिता ने आईजी से की फरियाद- नाना ने दलदल में धकेला, बेटे को बचा लो
पीयूष ने की हैं दो शादियां : पुलिस की पड़ताल में यह सामने आया है कि आरोपी पीयूष सैनी ने दो शादियां कर रखी हैं. उसका एक परिवार मुंबई में और दूसरा परिवार दिल्ली में रहता है. आरोपी ठगी की रकम से लग्जरी लाइफ जी रहा था. उसके खिलाफ दर्ज मामले की जांच पुलिस मुख्यालय क्राइम ब्रांच की टीम कर रही है. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से फरार आरोपी पीयूष सैनी की गिरफ्तारी पर पुलिस मुख्यालय से 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था. वह पुलिस का दबाव पड़ने पर गिरफ्तारी से बचने के लिए अक्सर विदेश भाग जाता था.
राजनीतिक नियुक्ति का झांसा देकर ठगे 1.24 करोड़ : साल 2017 में एनईबी निवासी मजीद खान ने अपने रिश्तेदार नाजिर व कासिम निवासी अलवर, इनके साथी मनोज निवासी नौगांवा (अलवर), महेश गुर्जर व पीयूष सैनी निवासी दिल्ली के खिलाफ 1.24 करोड़ रुपए की ठगी का मुकदमा थाना एनईबी पर दर्ज कराया था. आरोपियों ने दिल्ली में एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के पदाधिकारियों से जान पहचान होने का झांसा देकर पत्नी को मेवात विकास बोर्ड का चेयरमैन बनाने के बदले ठगी की थी.
इसे भी पढ़ें - शेयर मार्केट और क्रिप्टो में निवेश के नाम पर लोगों से करोड़ों की ऑनलाइन ठगी, जानिए कैसे बचें इस जालसाजी से
इंजीनियरिंग के बाद बना कंसल्टेंट : उन्होंने बताया कि 1992 में महाराष्ट्र के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग करने के बाद आरोपी ने मॉडल टाउन में मैसर्स एबीसी एजुकेशनल कंसल्टेंट्स के नाम से एक कार्यालय खोला. जिसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश की व्यवस्था करने का दावा कर विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन भी दिए गए. उसने अपने संस्थान की वेबसाइट द्वारा भी प्रचार किया. इस वेबसाइट के होम पेज पर भारत में एमडी, एमएस, एमडीएस में सीधे प्रवेश तथा एमबीबीएस, बीडीएस बीटेक व एमबीए में प्रवेश की पुष्टि का आश्वासन दिया गया.
2002 में दिल्ली में दर्ज हुआ पहला मामला : उसके खिलाफ साल 2002 में इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए 1.50 लाख रुपए की धोखाधड़ी का पहला मामला दिल्ली के सरोजनी नगर थाने में दर्ज हुआ. अगस्त 2004 से जून 2006 तक जेल में रहने के बाद बाहर आने पर पुराने राजेंद्र नगर नई दिल्ली में एजुकेशन वाइज नाम से प्रवेश मार्गदर्शन केंद्र शुरू किया. साल 2016 में पीयूष के खिलाफ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच में एमडी कोर्स में दाखिले के नाम पर 90 लाख रुपए की ठगी का मामला दर्ज हुआ. उसके खिलाफ ठगी के कल 16 मामले दर्ज हैं.