गैरसैंण: उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में चल रहा है. ऐसे में तमाम मांगों को लेकर लोग आवाज मुखर कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी. यही वजह है कि गैरसैंण में धरना प्रदर्शन भी देखने को मिल रहे हैं. इसी कड़ी में भराड़ीसैंण से सटे चोरड़ा गांव की महिलाएं भी आ गरजीं, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया. जिससे गुस्साए महिलाओं और पुलिस की बीच गहमागहमी देखने को मिली. हालांकि, प्रशासनिक अमला और स्थानीय विधायक से वार्ता के बाद महिलाओं का गुस्सा शांत हुआ.
चोरड़ा गांव को सीधे भराड़ीसैंण से जोड़ने की मांग: दरअसल, गैरसैंण के भराड़ीसैंण से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर चोरड़ा गांव है. जहां बकरिया बैंड से चोरड़ा के लिए पीएमजीएसवाई के तहत सड़क तो बनी है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें सीधे भराड़ीसैंण से जोड़ा जाए. क्योंकि, बकरिया बैंड से होकर जाने से उनका काफी समय जाया हो जाता है. इसके अलावा यह सड़क काफी खस्ताहाल स्थिति में है. जिससे सफर करना खतरे से खाली नहीं है.
महिलाओं ने किया विधानसभा परिसर कूच: ग्रामीणों का कहना है कि यदि भराड़ीसैंण से इस सड़क को जोड़ दिया जाता है तो यह एक बाई पास रोड हो जाएगा. जिससे विधानसभा सत्र के दौरान जाम से निजात मिलेगी. वहीं, गांव को सीधे भराड़ीसैंण से जोड़ने की मांग को लेकर आज चोरड़ा की महिलाओं ने नारेबाजी करते हुए विधानसभा परिसर कूच किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें भराड़ीसैंण में ही रोक दिया. जिससे महिलाएं पुलिस से ही भिड़ गईं. इस दौरान महिलाएं हाथों में बैनर लेकर नारेबाजी करते हुए सीएम धामी से मिलने की मांग पर अड़ी रहीं.
महिलाओं की मांग थी कि यदि उन्हें विधानसभा कूच नहीं करने दिया जा रहा है तो उनका ज्ञापन लेने कोई वरिष्ठ अधिकारी आएं. हालांकि, पुलिस ग्रामीण महिलाओं को समझती रही, लेकिन महिलाएं तस से मस नहीं हुई. महिलाओं का कहना था कि भराड़ीसैंण से चोरड़ा तक सड़क पहुंचाने के लिए कई बार मांग की जा चुकी है, लेकिन उनकी मांगों को हर बार अनसुना कर दिया जाता है. उन्होंने मात्र सर्वे कर ग्रामीणों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया.
वहीं, ग्रामीणों की मांग पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता, कर्णप्रयाग तहसीलदार समेत तमाम आला अधिकारियों को सूचित किया गया. जिसके बाद लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता मौके पर पहुंचे और महिलाओं को समझाने का प्रयास किया. इसके अलावा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी महिलाओं को समझाने बुझाने का प्रयास किया, लेकिन महिलाएं अपनी मांगों पर अड़िग रही. महिलाएं विधायक से मिलने की मांग करने लगे.
कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल से मिला प्रतिनिधिमंडल: हालांकि, स्थानीय विधायक अनिल नौटियाल सत्र में व्यस्त होने के चलते नहीं मिल पाए. जिसके बाद पुलिस ने चोरड़ा प्रधान प्रधान विनीता देवी से बात की और कहा कि वे एक प्रतिनिधिमंडल महिलाओं का बनाएं. जिसके बाद उनकी विधायक से मुलाकात करवाई जाएगी. जिसके बाद महिलाओं का प्रतिनिधिमंडल कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल मिला. जहां उन्होंने विधायक नौटियाल के सामने अपनी समस्याएं रखी. इसके बाद विधायक ने 15 दिन के भीतर ग्रामीणों को फिर मिलने के लिए बुलाया.
क्या बोलीं ग्राम प्रधान विनीता देवी? वहीं, चोरड़ा की ग्राम प्रधान विनीता देवी ने कहा कि स्कूली बच्चों को चार किलोमीटर पैदल चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. जो जंगल का रास्ता है. जिस पर जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है. अगर कोई बीमार या घायल हो जाए तो उन्हें कंधों पर लाना पड़ता है. ऐसे में उनकी मांगों पर कार्रवाई की जाए. वहीं, इस मौके पर ग्राम प्रधान विनीता देवी, मागुली देवी, लक्ष्मी देवी, सुरेशी देवी, कलावती देवी, धना देवी, देवेश्वरी देवी, सामाजिक कार्यकर्ता हरीश सिंह, प्रेम सिंह, जगदीश सिंह आदि मौजूद रहे.
पण्डाव की महिलाओं ने भी किया विधानसभा कूच: वहीं, सड़क और शिक्षकों की मांग को लेकर पण्डाव गांव की महिलाओं ने भी महिला मंगल अध्यक्ष पूजा देवी के नेतृत्व में भराड़ीसैण विधानसभा कूच किया. इस दौरान महिलाएं अपने गांव पण्डाव से कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर भराड़ीसैण पहुंचीं. जिन्हें विधानसभा परिसर की सुरक्षा में तैनात पुलिस फोर्स ने विधानसभा हेलीपैड के नजदीक तक पहुंच चुकी महिलाओं को आगे बढ़ने से रोक दिया. इससे आक्रोशित महिलाएं वहीं पर धरने पर बैठ गईं. साथ ही सरकार, लोक निर्माण विभाग और शिक्षा विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
गौर हो कि इससे पहले में बीते साल विधानसभा सत्र के दौरान पण्डाव के ग्रामीण सड़क मार्ग की मांग को लेकर विधानसभा घेराव कर चुके हैं. इतना ही नहीं पण्डाव के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का पूर्ण बहिष्कार भी किया था. महिलाओं का कहना था कि चुनावों के समय नेताओं ने सड़क मार्ग निर्माण और शिक्षकों की तैनाती का वादा किया था, लेकिन अब कोई भी ग्रामीणों की फरियाद सुनने को तैयार नहीं है. अगर ग्रामीणों की मांग पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा.
वहीं, वन विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने धरना स्थल पर पहुंचकर प्रदर्शनकारी महिलाओं को आश्वासन दिया कि सितंबर महीने में सड़क मार्ग पर पड़ने वाले पेड़ों के छपान का काम शुरू कर दिया जाएगा. उधर, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने महिलाओं को आश्वासन दिया कि जल्द शिक्षकों की तैनाती कर दी जाएगी. अधिकारियों के इस आश्वासन के बाद महिलाओं ने अपना धरना प्रदर्शन समाप्त किया.
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