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सरकारी और निजी स्कूलों में फेल हुए बच्चों को उसी स्कूल में फिर से दाखिले का अधिकार, जानें पूरा मामला - Right to Education Act

दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में कुछ बच्चों को फेल करने की शिकायतों को लेकर सामाजिक संस्था सोशल जूरिस्ट के संयोजक डॉक्टर अशोक कुमार अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल किसी भी फेल हुए बच्चे को दोबारा उसी कक्षा में अपने स्कूल में दाखिला देने से इनकार नहीं कर सकता है.

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शिक्षा का अधिकार (ETV Bharat Reporter)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 19, 2024, 5:26 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में कुछ बच्चों को फेल करने की शिकायतें आ रही हैं. जिन स्कूलों ने इन्हें फेल किया है वह स्कूल अब बच्चों से सरकारी स्कूल में दाखिला लेने या ओपन से पढ़ाई करने के लिए कह रहे हैं. इसको लेकर सामाजिक संस्था सोशल जरिस्ट के संयोजक एवं दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर अशोक कुमार अग्रवाल के पास कई शिकायतें आई हैं.

इन शिकायतों को लेकर अशोक अग्रवाल का कहना है कि कोई भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल किसी भी फेल हुए बच्चे को दोबारा उसी कक्षा में अपने स्कूल में दाखिला देने से इनकार नहीं कर सकता है. अगर वह ऐसा करता है तो यह दिल्ली एजुकेशन एक्ट 1973 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन है. उल्लंघन करने पर स्कूल के खिलाफ शिक्षा निदेशालय द्वारा कार्रवाई भी हो सकती है. साथ ही बच्चों के अभिभावकों को कोर्ट जाने का भी अधिकार है.

डॉ. अशोक अग्रवाल ने बताया कि चार साल पहले दिल्ली सरकार ने एक सर्कुलर निकला था, जिसमें यह कहा गया था कि दिल्ली के सरकारी स्कूल में कोई भी बच्चा अगर लगातार 2 साल फेल हो जाता है तो उसको फिर रेगुलर उस कक्षा में दाखिला नहीं दिया जाएगा. वह बच्चा आगे की पढ़ाई ओपन स्कूल से कर सकता है.

अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार के सर्कुलर को हमने हाईकोर्ट में चार साल पहले स्टे करा दिया था. इससे अब दिल्ली सरकार का वह आदेश जिसमें दो बार फेल होने के बाद स्कूल से बाहर करने की बात कही गई थी, स्टे होने से लागू नहीं है. इसलिए अब कोई बच्चा दो बार से ज्यादा भी अगर फेल हो रहा है तो भी स्कूल उसको स्कूल छोड़ने के लिए नहीं कह सकते. स्कूल को रेगुलर रूप से ही बच्चे को पढ़ाना होगा.

ये भी पढ़ें : दिल्ली के निजी स्कूलों में फीस बढोतरी को लेकर सतर्कता निदेशालय ने शिक्षा विभाग से मांगी रिपोर्ट

डॉ अशोक अग्रवाल ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कोई भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल नर्सरी से लेकर चौथी क्लास तक और छठी व सातवीं क्लास तक भी किसी बच्चे को फेल नहीं कर सकता. अगर बच्चे का प्रदर्शन ज्यादा ही कमजोर है तो स्कूल उसे सिर्फ पांचवीं और आठवीं क्लास में ही फेल कर सकते हैं.

इसके बाद फेल हुए बच्चे को स्कूल को उसी कक्षा में दाखिला भी देना होगा. डॉ अशोक अग्रवाल ने बताया कि उनके पास इंडियन हाइट्स स्कूल द्वारा एक पांचवीं क्लास के बच्चे को फेल करने की शिकायत आई है. इसके अलावा और भी कई सरकारी और प्राइवेट स्कूलों से इस तरह की शिकायतें आई हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह की सैकड़ों शिकायतें हर साल आती हैं.

वहीं, दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने बताया कि उनके पास भी बच्चों को फेल करने की और कई स्कूलों में बच्चों को उनके मन मुताबिक विषय न देने की शिकायतें आई हैं, जिनको लेकर उन्होंने अभिभावकों से शिक्षा निदेशालय सहित अन्य कई जिम्मेदार संस्थानों में इस मामले में शिकायत करने का सुझाव दिया है.

ये भी पढ़ें : प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए अनुमति लेने के दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक

नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में कुछ बच्चों को फेल करने की शिकायतें आ रही हैं. जिन स्कूलों ने इन्हें फेल किया है वह स्कूल अब बच्चों से सरकारी स्कूल में दाखिला लेने या ओपन से पढ़ाई करने के लिए कह रहे हैं. इसको लेकर सामाजिक संस्था सोशल जरिस्ट के संयोजक एवं दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर अशोक कुमार अग्रवाल के पास कई शिकायतें आई हैं.

इन शिकायतों को लेकर अशोक अग्रवाल का कहना है कि कोई भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल किसी भी फेल हुए बच्चे को दोबारा उसी कक्षा में अपने स्कूल में दाखिला देने से इनकार नहीं कर सकता है. अगर वह ऐसा करता है तो यह दिल्ली एजुकेशन एक्ट 1973 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन है. उल्लंघन करने पर स्कूल के खिलाफ शिक्षा निदेशालय द्वारा कार्रवाई भी हो सकती है. साथ ही बच्चों के अभिभावकों को कोर्ट जाने का भी अधिकार है.

डॉ. अशोक अग्रवाल ने बताया कि चार साल पहले दिल्ली सरकार ने एक सर्कुलर निकला था, जिसमें यह कहा गया था कि दिल्ली के सरकारी स्कूल में कोई भी बच्चा अगर लगातार 2 साल फेल हो जाता है तो उसको फिर रेगुलर उस कक्षा में दाखिला नहीं दिया जाएगा. वह बच्चा आगे की पढ़ाई ओपन स्कूल से कर सकता है.

अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार के सर्कुलर को हमने हाईकोर्ट में चार साल पहले स्टे करा दिया था. इससे अब दिल्ली सरकार का वह आदेश जिसमें दो बार फेल होने के बाद स्कूल से बाहर करने की बात कही गई थी, स्टे होने से लागू नहीं है. इसलिए अब कोई बच्चा दो बार से ज्यादा भी अगर फेल हो रहा है तो भी स्कूल उसको स्कूल छोड़ने के लिए नहीं कह सकते. स्कूल को रेगुलर रूप से ही बच्चे को पढ़ाना होगा.

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डॉ अशोक अग्रवाल ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कोई भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल नर्सरी से लेकर चौथी क्लास तक और छठी व सातवीं क्लास तक भी किसी बच्चे को फेल नहीं कर सकता. अगर बच्चे का प्रदर्शन ज्यादा ही कमजोर है तो स्कूल उसे सिर्फ पांचवीं और आठवीं क्लास में ही फेल कर सकते हैं.

इसके बाद फेल हुए बच्चे को स्कूल को उसी कक्षा में दाखिला भी देना होगा. डॉ अशोक अग्रवाल ने बताया कि उनके पास इंडियन हाइट्स स्कूल द्वारा एक पांचवीं क्लास के बच्चे को फेल करने की शिकायत आई है. इसके अलावा और भी कई सरकारी और प्राइवेट स्कूलों से इस तरह की शिकायतें आई हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह की सैकड़ों शिकायतें हर साल आती हैं.

वहीं, दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने बताया कि उनके पास भी बच्चों को फेल करने की और कई स्कूलों में बच्चों को उनके मन मुताबिक विषय न देने की शिकायतें आई हैं, जिनको लेकर उन्होंने अभिभावकों से शिक्षा निदेशालय सहित अन्य कई जिम्मेदार संस्थानों में इस मामले में शिकायत करने का सुझाव दिया है.

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