लखनऊ: हमारे आस पास भी बहुत से ऐसे बच्चे देखने को मिल जाते हैं, जो शारीरिक या मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होते. या सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy) नामक बीमारी से जूझ रहे होते हैं. सिविल अस्पताल के सीनियर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. संजय कुमार बताते हैं, कि सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है, जो बच्चों की शारीरिक गति, चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित करता है.
दरअसल, सेरेब्रल शब्द का अर्थ मस्तिष्क के दोनों भागों से होता है. पाल्सी शब्द का अर्थ शारीरिक गति की कमजोरी या समस्या से है. यह एक तरह की विकलांगता है, जिसमें बच्चो को वस्तु पकड़ने और चलने में समस्या होती है. यह रोग मस्तिष्क के किसी हिस्से में चोट लगने के कारण होता है. कुछ बच्चे जन्म के समय से ही मानसिक या शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं. जिसको जानने के बाद बच्चों के अभिवावक मायूस हो जाते हैं. सेरेब्रल बीमारी के शिकार हुए बच्चों में उठने- बैठने, चलने- फिरने और बोलने में दिक्कत होती है.
कई मामलों में देखा जाता है, कि गर्भवती महिलाएं प्रसव की निर्धारित तारीख के समय प्रसव दर्द होने का इंतजार करती हैं, ताकि नॉर्मल डिलीवरी हो. लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. क्योंकि विशेषज्ञ द्वारा जो निर्धारित तारीख दी जाती है वह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है. कई ऐसे मामले देखे गए हैं कि कुछ महिलाएं सिजेरियन प्रसव से बचने के लिए या जागरूकता की कमी होने के कारण प्रसव पीड़ा का इंतजार करती हैं. जिसके घर बच्चों के मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है. इससे बच्चों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता. तमाम दिक्कत नवजात को होने लगते हैं. जिसके कारण सेल पॉलिसी सिर्फ पीड़ित हो जाता है.
जन्मजात भी होता है डिसऑर्डर: उन्होंने बताया कि सेरेब्रल शब्द का अर्थ मस्तिष्क के दोनों भागों से होता है. पाल्सी शब्द का अर्थ शारीरिक गति की कमजोरी या समस्या से है. यह एक तरह की विकलांगता है. जिसमें बच्चों को वस्तु पकड़ने और चलने में समस्या होती है. एक तो जन्मजात डिसऑर्डर होता है और दूसरा यह रोग मस्तिष्क के किसी हिस्से में चोट लगने के कारण होता है. समय रहते अगर इस डिसऑर्डर का इलाज कराया जाए थेरेपी कराई जाए तो यह खतरनाक साबित नहीं होता है.
पीसी के कई कारण: डॉ संजय बताते है, कि पहले कुछ डॉक्टर्स ऐसा मानते थे, कि सेरेब्रल पाल्सी होने का मुख्य कारण गर्भाशय में बच्चे को ऑक्सीजन की सही मात्रा न मिल पाना था. लेकिन, बाद में रिसर्च के मुताबिक बहुत कम ऐसे मामले होते हैं, जिनमे बच्चे को आक्सीजन न मिल पाने के कारण उन्हें सेरेब्रल पाल्सी की समस्या होती है. सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित सभी बच्चे जन्म से ही इस बीमारी के साथ पैदा नहीं होते. कुछ मामलों में बच्चे जन्म के कुछ समय बाद उनके मस्तिष्क के विकास की अवधि के दौरान इस बीमारी से ग्रसित होते हैं.
- मस्तिष्क में सही से रक्त प्रवाह न होने के कारण
- सिर पर चोट लगने के कारण
- दिमाग की चोट के कारण
- कुछ इन्फेक्शन्स जैसे मैनिन्जाइटिस या एनसेफेलाइटिस (दिमागी बुखार)
सेरेब्रल पाल्सी के कुछ सामान्य लक्षण
- वाणी में कठिनाई
- विलंबित मोटर कौशल विकास
- शरीर के एक तरफ मूवमेंट में समस्याएं
- इंकॉन्टीनेंस
- कठोर या फ्लॉपी मांसपेशियां
- अनैच्छिक मूवमेंट्स और झटके
- ड्रूलिंग
- सीज़र्स
- समन्वय और संतुलन का अभाव
फिजियोथेरेपी मददगार: डॉ जैन बताते हैं, कि डॉक्टर अंतिम निदान करने के लिए विभिन्न इमेजिंग परीक्षणों की सिफारिश कर सकते हैं. इसमें एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग), सीटी स्कैन (कम्प्यूटेड टोमोग्राफी), ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम), क्रेनियल अल्ट्रासाउंड शामिल होता हैं. डॉ संजय कुमार बताते हैं कि भारत में सेरेब्रल पाल्सी उपचार में अधिक विशिष्ट स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता के साथ काफी सुधार हुआ है. अच्छी तरह से प्रशिक्षित विशेषज्ञ फिजियोथेरेपी सेरेब्रल पाल्सी उपचार में एक प्रमुख भूमिका निभाता है. सेरेब्रल पाल्सी थेरेपी को मांसपेशियों में अकड़न, दर्द से राहत और विभिन्न विशेष अभ्यासों के माध्यम से गतिशीलता में सुधार में मदद करने के लिए जाना जाता है. सेरेब्रल पाल्सी में फिजियोथेरेपी का मुख्य उद्देश्य सेरेब्रल पाल्सी वाले बच्चे को उनकी क्षमता के अनुसार पूर्ण फिटनेस और स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद करता है.
इन बातों का रखें ख्याल
- प्रसव प्रबंधन का उचित ध्यान रखना.
- बच्चे के जन्म के 1 मिनट बाद रोने की आवाज आना.
- जन्म के 1 मिनट बाद अगर बच्चा नहीं रोता है तो डॉक्टर को तुरंत कृत्रिम ऑक्सीजन देना चाहिए.
- रूबेला जैसी बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण की तारीख का ध्यान रखें, जो माना जाता है कि भ्रूण के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है.
- अपने आप की उचित देखभाल करें और किसी भी जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए एक पौष्टिक आहार का पालन करें जिससे भ्रूण की मस्तिष्क क्षति का बचाव हो सकता है.
- आप और बच्चे को किसी भी स्वास्थ्य जोखिम को कम करने के लिए प्रसव पूर्व देखभाल लें , कम जन्म के वजन और संक्रमण के मामलों को रोकने के लिए जल्दी और निरंतर देखभाल करें.
- अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए आदतों जैसे कार की सीटों, साइकिल की सवारी के लिए हेलमेट, आदि के बारे में सतर्क रहें.
यह भी पढ़े-इस बीमारी का इलाज कराने 7 समंदर पार से प्रयागराज आते हैं मरीज, 90 फीसदी ठीक होने का दावा