छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 9 एकड़ में बन रहा 'श्रीबादल भोई जनजातीय संग्रहालय' का काम पिछले 7 साल में भी पूरा नहीं हुआ है. प्रदेश का यह पहला जनजातीय संग्रहालय है. 15 अगस्त 2016 को पीएम मोदी ने आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए देश में 10 राज्यों में जनजातीय संग्रहालय बनाने की घोषणा की थी. बताया जाता है कि बजट नहीं होने से संग्रहालय नहीं बन पा रहा है. इसे बनाने में 30 करोड़ की लागत आ रही है लेकिन अभी केवल 10 करोड़ रुपये ही मंजूर हुए हैं.
7 सालों में भी नहीं बन पाया म्यूजियम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 15 अगस्त 2016 को मध्य प्रदेश समेत देश में दस राज्यों में जिनमें गुजरात, झारखंड, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, तेलंगाना, मणिपुर, मिजोरम और गोवा में आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जनजातीय संग्रहालय बनाने की घोषणा की थी. साल 2019 में छिंदवाड़ा में इस संग्रहालय को बनाने के लिए 30 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी. छिंदवाड़ा में संग्रहालय के साथ-साथ कुछ दुकानें और कैफेटेरिया का भी निर्माण कर दिया गया जिसकी वजह से लागत डेढ़ गुना बढ़ गई.
17 करोड़ रुपये की डिमांड, 10 करोड़ की मंजूरी
जनजातीय कार्य विभाग छिंदवाड़ा के एक अधिकारी ने बताया कि बजट की कमी के चलते काम में कुछ देरी हुई है. हालांकि मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से संग्रहालय के लिए 17 करोड़ रुपए अतिरिक्त डिमांड की है जिसमें से सरकार ने करीब 10 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिल चुकी है. बजट मिलते ही जल्द काम पूरा कर लिया जाएगा. इसे बनाने में 30 करोड़ की लागत आ रही है.
9 एकड़ में बन रहा 'श्री बादल भोई जनजातीय संग्रहालय'
छिंदवाड़ा के खजरी रोड में 9 एकड़ जमीन में श्री बादल भोई जनजातीय संग्रहालय बनाया जा रहा है. इस संग्रहालय में जनजातीय कला संस्कृतियों को सहेजने के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिए जनजाति समुदाय के लोगों को भी स्थान दिया जाएगा. इसी जगह पर एक पुराना म्यूजियम भी है जिसमें आदिवासी संस्कृति को दर्शाया गया है.
क्रांतिकारी आदिवासी नेता थे बादल भोई
बादल भोई जिले के एक क्रांतिकारी आदिवासी नेता थे. उनका जन्म 1845 में परासिया तहसील के डूंगरिया तीतरा गांव में हुआ था. उनके नेतृत्व में 1923 में हजारों आदिवासियों ने कलेक्टर बंगला में प्रदर्शन किया था इसके बाद लाठीचार्ज किया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. 21 अगस्त 1930 को उन्हें अंग्रेजी शासक द्वारा रामाकोना में वन नियम तोड़ने के लिए गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया. इसके बाद 1940 में एक अंग्रेजी शासक ने उन्हें जेल में जहर देकर उनकी जान ले ली थी.
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संग्रहालय छिंदवाड़ा में मुख्यालय भोपाल में
20 अप्रैल 1954 को छिंदवाड़ा में शुरू किए गए ट्राइबल म्यूजियम को वर्ष 1975 में स्टेट म्यूजियम का दर्जा मिला था और 8 सितंबर 1997 को ट्राइबल म्यूजियम का नाम बदलकर श्री बादल भोई स्टेट ट्राइबल म्यूजियम कर दिया गया. 10 अप्रैल 1965 को संस्था का मुख्यालय भोपाल के श्यामला हिल्स में शिफ्ट कर दिया गया लेकिन संग्रहालय छिंदवाड़ा में ही रखा गया. इसलिए मध्य प्रदेश का पहला जनजातीय संग्रहालय यहीं बनाया जा रहा है.