छिंदवाड़ा। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला प्राणप्रतिष्ठा का कांग्रेस द्वारा आमंत्रण ठुकराने के बाद अब छिंदवाड़ा में कमलनाथ की रामभक्ति शुरू हो गई है. उन्होंने यहां तीन दिवसीय श्रीराम महोत्सव की शुरुआत की है.वहीं उनके द्वारा शुरू किया गया श्रीराम नाम लेखन का काम भी जारी है.
कलश यात्रा के साथ महोत्सव की शुरुआत
एक तरफ अयोध्या में श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन का कांग्रेस द्वारा बहिष्कार और दूसरी तरफ छिंदवाड़ा में कांग्रेस की रामभक्ति. कमलनाथ ने यहां तीन दिवसीय श्रीराम महोत्सव की शुरूआत की है. जिसके चलते मां नर्मदा से लाया हुआ जल कलशों में रखकर महिलाओं ने पीले वस्त्र पहनकर यात्रा निकाली.
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प्राचीन श्रीराम मंदिर में आयोजन
महिलायें पीले वस्त्र धारणकर कलश लेकर अति प्राचीन श्रीराम मंदिर ऊंटखाना पहुंचीं. जहां आयोजन समिति मारुति नंदन सेवा समिति सिमरिया धाम की ओर से मातृशक्ति के कलशों में मां नर्मदा का पवित्र जल भरा गया. पूर्ण विधि विधान से पूजन अर्चन के पश्चात यज्ञ स्थल से कलश यात्रा प्रारम्भ हुई. यह यात्रा नगर के पुराना बैल बाजार चौक, लालबाग चौक होते हुये यज्ञ स्थल श्रीराम मंदिर पहुंची. कलश यात्रा का मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया. दोपहर में प्रायश्चित कर्म, यज्ञ मंडप पूजन, प्रधान पीठ पर भगवान श्रीराम की स्थापना, सर्वतो भद्र मंडल, षोडश मात्रिका, नवग्रह, दिगदिगपाल, क्षेत्रपाल मंडलों की स्थापना हुई.यज्ञ स्थल पर निरंतर भजन, कीर्तन का क्रम जारी है. शाम को आरती के साथ प्रसादी का वितरण किया गया.
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4 करोड़ 31 लाख राम नाम
कांग्रेस ने छिंदवाड़ा जिले में श्रीराम नाम महोत्सव के दौरान श्रीराम नाम लेखन का भी आयोजन किया है जिसके तहत 4 करोड़ 31 लाख राम नाम का लेखन किया जा रहा है. यह राम नाम लिखे हुए पत्र अयोध्या के श्रीराम मंदिर में समर्पित किए जाएंगे. 22 जनवरी को यह पत्र समर्पित किए जाने थे लेकिन वहां से मंजूरी नहीं मिलने के कारण इसे अब 27 जनवरी के बाद समर्पित किए जाएंगे. खुद कमलनाथ और छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ ने भी पत्रों में राम नाम का लेखन किया.
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आयोजन को लेकर कई सवाल
इस आयोजन को लेकर कई सवाल हैं. कांग्रेस का एक तरफ अयोध्या विरोध तो दूसरी तरफ रामभक्ति. ओरछा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी का जाना और श्रीराम राजा सरकार के दर्शन करना और सुंदरकांड पाठ का आयोजन.वहीं छिंदवाड़ा में कमलनाथ की रामभक्ति.श्रीराम महोत्सव का आयोजन. सवाल यही है कि ये आयोजन कांग्रेस के लिए क्या संकेत दे रहे हैं जिन्होनें अयोध्या के आमंत्रण को ठुकरा दिया है. कमलनाथ क्या ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि कांग्रेस के नकारात्मक रवैया से कहीं उनके जिले का हिंदू समाज नाराज नहीं हो जाए.