रायपुर: रायपुर के आदित्य राजे सिंह को पर्यावरण और योग के क्षेत्र में पीएचडी की मानद उपाधि मिली है. इस डिग्री के साथ वह छत्तीसगढ़ के सबसे कम उम्र में पीएचडी की मानद डिग्री हासिल करने वाले शख्स बन गए हैं. अमेरिका की मैरीलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी (यूएसए) से संबंधित संस्थान कॉन्सटीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया नई दिल्ली ने उन्हें यह सम्मान दिया है. ईटीवी भारत ने आदित्य राजे सिंह से और उनके परिजनों से उनकी सफलता पर बात की है.
सवाल :आपने पीएचडी किस सब्जेक्ट में हासिल की है. इस पीएचडी की प्रक्रिया की शुरुआत कब हुई?
जवाब :पांच साल की उम्र से मैं पर्यावरण और योग के क्षेत्र में काम कर रहा था, जिसे देखते हुए मुझे मैरीलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी ने पीएचडी की मानद उपाधि दी है.
सवाल : पर्यावरण के प्रति आपकी रुचि कब और कैसे हुई?
जवाब : पर्यावरण संरक्षण के लिए मुझे दादी ने प्रेरित किया. मैं उनके साथ गार्डनिंग करते-करते खुद भी पर्यावरण को लेकर सजग होने लगा. योग करना मेरी मम्मी ने मुझे सिखाया.
सवाल : गार्डनिंग के दौरान कौन से पौधे लगाने चाहिए जो पर्यावरण के लिए अच्छे हैं ?
जवाब : पीपल, नीम, एलोवेरा, तुलसी और भी बहुत सारे पौधे हैं यह पर्यावरण के लिए खास होते हैं. आजकल जितना नॉइस पॉल्यूशन हो रहा है ,उसको कम करने के लिए दो-तीन ट्री खुली जगह पर लगाने चाहिए.
सवाल : घर में भी अच्छा ऑक्सीजन हो और वातावरण स्वच्छ हो उसको लेकर भी कौन से पौधे लगाए जाते हैं?
जवाब : पीपल बड़ी और खुली जगह पर लगाया जाता है. वैसे घर में एलोवेरा, तुलसी और नीम ऑक्सीजन के लिए लगा सकते हैं.
सवाल : आप योग के क्षेत्र में भी काम कर चुके हैं. कौन-कौन से आसन हैं जो आप करते हैं ?
जवाब: मैं सूर्य नमस्कार, सेतु मंडाशन, कुटकुटा आसान, भुजंगासन, भद्रासन और भी बहुत सारे आसन करता हूं.
सवाल : गाड़ियों और फैक्ट्री से हो रहे प्रदूषण को लेकर क्या सोचते हैं?
जवाब : इतना ज्यादा पॉल्यूशन हो रहा है. क्योंकि पेड़ कट रहे हैं और पेड़ ही प्रदूषण को कम करने का काम करते हैं. हमें पेड़ काटने नहीं बल्कि लगाने हैं क्योकि ग्लोबल वार्मिंग का दौर चल रहा है. आज के दौर में पेड़ों की संख्या घटती जा रही है. जंगल कटते जा रहे हैं और इस वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है. हम लोगों को कैसे भी करके 2050 तक वनों की कटाई को कम करना पड़ेगा नहीं तो हमारे लिए बहुत बड़ा रिस्क बन जाएगा. पर्यावरण का मतलब सिर्फ पेड़ ही नहीं होता, बल्कि जल, जमीन और जंगल इसमें शामिल होता है.
सवाल : आपने यह सब जानकारी कहां से एकत्र की है. क्या आपको यह जानकारियां स्कूल और परिवार से मिली है.
जवाब : बहुत सारी चीजें टीवी पर देखी, दीदी गाइड करती है मेरे पेरेंट्स भी गाइड करते हैं और मैं खुद भी बहुत सारी चीजों पर रिसर्च करता रहता हूं. दूसरे लोगों से मुझे इस तरह की जानकारी मिलती रही है.
सवाल : क्या आप कार्टून देखते हैं क्योकि बच्चे ज्यादातर कार्टून पसंद करते हैं?
जवाब : नहीं मैं डिस्कवरी चैनल ज्यादा देखता हूं, मैं कार्टून बहुत कम देखता हूं. क्योंकि डिस्कवरी चैनल से ज्यादा नॉलेज मिलती है. इसलिए बच्चों को ज्यादा डिस्कवरी चैनल देखना चाहिए.
सवाल : आपने पीएचडी के दौरान किन-किन लोगों से मुलाकात की ?
जवाब : मैंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह से मुलाकात की थी. उसके बाद मैंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर से भी मुलाकात की है.
सवाल : भूपेश बघेल से मुलाकात दौरान की कोई चर्चा या ऐसी बात जो आप बताना चाहते हों ?
जवाब : जब मैंने उनसे मुलाकात की थी. उन्होंने उस दौरान मुझे एक योगासन बताया था जो वह खुद भी करते थे. वह योगासन था कुटकुटा आसान और उन्होंने मुझे भी यह आसन करने के लिए कहा था.
सवाल : आपने डॉक्टर रमन सिंह से भी मुलाकात की है?
जवाब : जब भी मैं रमन सिंह के पास जाता हूं ,वह मुझे पर्यावरण को लेकर जानकारी देते रहते हैं. रमन सिंह जी मुझे बताते हैं कि पर्यावरण कैसे और अच्छा किया जा सकता है, इसको लेकर भी समय-समय मुझे गाइड करते रहते हैं.
सवाल : पर्यावरण के लिए पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए, लेकिन आज विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं. पेड़ों की कटाई रोकने को लेकर आप क्या सोचते हैं?
जवाब : अभी जो पेड़ कट रहे हैं , सबसे ज्यादा उद्योग लगाने के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं.मैं यह नहीं कहता कि विकास गलत है लेकिन पेड़ों और जंगलों की बलि देकर विकास की दौड़ गलत है. सभी सरकारों को उद्योगपतियों को छोटी जमीन का टुकड़ा फ्री में देना चाहिए ताकि वह उसमें पेड़ लगा सके. जितने पेड़ कट रहे हैं, उसका 20 फीसदी पेड़ भी लग जाए तो पर्यावरण का संरक्षण होगा. हसदेव में औद्योगिक विकास के लिए भारी संख्या में पेड़ काटे गए हैं. करीब 1.4 लाख पेड़ काटे गए हैं.
आदित्य की बड़ी बहन आस्था सिंह ने बताया कि आदित्य ने कोरोना के समय ऑक्सीजन के लिए परेशान लोगों को देखकर पर्यावरण और योग के क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया. ईटीवी भारत ने आस्था सिंह से भी बातचीत की है.
सवाल : आप आदित्य को कैसे सहयोग करतीं हैं?
सवाल : जितने भी रिसर्च उसके द्वारा किया जा रहा है उसमें मैं उनके सारे सवाल और डाउट को क्लीयर करने का काम करती हूं. मैं साइंस बैकग्राउंड से हूं ऐसे में विज्ञान से जुड़े प्रश्नों के जवाब के लिए मैं उसे मदद करती हूं.
सवाल : ऐसा कब महसूस हुआ कि आदित्य पर्यावरण में ज्यादा रुचि दिखा रहा है?
जवाब : गार्डनिंग से इसने शुरुआत की थी, उसके बाद कोविड आ गया था. कोरोना के दौरान यह काफी छोटा था. वह न्यूज में देखता था कि लोग ऑक्सीजन के लिए बहुत ज्यादा परेशान हो रहे हैं. उस समय उसका यह पहला सवाल होता था कि ऑक्सीजन आता कहां से है और लोग इतने ज्यादा क्यों परेशान हो रहे हैं. उसे जब यह पता चला कि पेड़ों से ऑक्सीजन मिलता है तो उसका झुकाव पर्यावरण संरक्षण की ओर हो गया.
आदित्य राजे सिंह की मां नम्रता सिंह से भी ईटीवी भारत ने बातचीत की है. उन्होंने क्या कहा जानिए
सवाल : बच्चे में पर्यावरण के प्रति रुचि देखते हुए घर में किस तरह का माहौल बनाया गया ?
जवाब: आदित्य जब 5 साल का था , उस दौरान इसकी दादी गार्डनिंग करती थी. अधिकतर समय वह दादी के साथ ही रहता था. इस दौरान धीरे-धीरे इसका रुझान इस ओर बढ़ता गया. योग की बात की जाए, तो यह किसी भी चीज को जल्दी ऑब्जर्व कर लेता है. योग की शुरुआत भी ऐसे ही हुई.
"हम सभी, पूरे परिवार और मेरे मित्र भाई सभी को काफी खुशी है. क्योंकि इसका ऐसा क्षेत्र है जिससे हर किसी को लाभ मिलेगा. पर्यावरण तो हर किसी के लिए है. यह खुद के लिए नहीं कर रहा है, अब मुझे अच्छा लग रहा है कि यह कार्य किया है. आज पर्यावरण और योग ऐसी चीज है, जिसमें जी-20 जैसे सबमिट में भी इस पर चर्चा की गई है.आज यह 10 साल का है, जब उसने शुरुआत की थी , वह साढ़े चार साल का था. इस उम्र के बच्चों को जबरदस्ती काम नहीं कराया जा सकता है ,एक बार उन्हें कुछ करा सकते हैं, लेकिन बार-बार नहीं करा सकते. जब तक बच्चे में लगन नही हो": अखिलेश सिंह, आदित्य राजे सिंह के पिता
पीएचडी की प्रक्रिया पर ईटीवी भारत ने आदित्य के पिता से बात की है.
सवाल : पीएचडी के लिए कई सारे डॉक्यूमेंट लगते हैं. कई फाइलें बनानी पड़ती है और उन सभी को सबमिट करना पड़ता है. यह पूरी प्रक्रिया किस तरह की रही ?
जवाब : यह प्रक्रिया पूरे 1 साल तक चली. संबंधित यूनिवर्सिटी कई असाइनमेंट देते थे , प्रोजेक्ट वर्क देते थे और जो उसने 5 साल की आयु से काम किया था, उस चीजों को हमने अपने पास कलेक्ट करके रखा था. वह सारी चीजों को हमने सबमिट किया. उनकी बहुत सारी क्वेरीज आई थी, बहुत सारे पेपर की कटिंग दी गई और वीडियो दी गई. उस समय के मिले अवॉर्ड, सर्टिफिकेट या संस्था के लेटर देने पड़े . उन्होंने इसके वर्क प्रोफाइल के 5 साल के कार्य को देखा और इस उम्र में इतने सारे काम को देखते हुए जो उन्होंने प्रोजेक्ट और सबमिशन किया था उसे बेस पर इसे दिल्ली में पीचएडी का अवॉर्ड दिया गया.
सवाल : आदित्य आप अन्य बच्चों को क्या मैसेज देना चाहेंगे?
जवाब : मेरे अकेले के पर्यावरण और योग के क्षेत्र में काम करने से नहीं कुछ नहीं होगा. हम सभी को साथ होकर काम करना पड़ेगा और जितने भी बर्थडे और एनिवर्सरी आ रहे हैं. उस दौरान सबको ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे. मैं लोगों को पौधे गिफ्ट में देता हूं और लोगों से अपील करूंगा कि वह अपने परिचितों को गिफ्ट में पेड़ दें. तभी पर्यावरण की रक्षा हो सकेगी.
आदित्य राजे सिंह न केवल पर्यावरण मित्र और लिटिल योग चैंपियन हैं, बल्कि वे सीबीएसई स्कूल वर्ग में जूडो गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं. वह आयुष मंत्रालय केंद्र सरकार द्वारा प्रमाणित योग स्वयंसेवक भी हैं. आदित्य राजे पर्यावरण संरक्षण के लिए एक ऐप भी बना रहे हैं.