रायगढ़:रायगढ़ खरसिया के ग्राम पंचायत बिंजकोट के साहित्यकार रमेश सारथी गौर ने भारतीय संविधान को छंदबद्ध करने में अपना योगदान दिया है. रमेश ने इस महान ग्रंथ को काव्य का रूप देते हुए पेश किया है. रमेश के अलावा इस महान ग्रंथ को तैयार करने में भारत के विभिन्न राज्यों से आए 142 साहित्यकारों का भी महत्वपूर्ण योगदान है. इस विशेष उपलब्धि के लिए सभी साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र दिया गया. साथ ही गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया.
दिल्ली में किया गया सम्मानित: संविधान के इस महान ग्रंथ का विमोचन और सम्मान समारोह 15 जून को नई दिल्ली के हिंदी भवन में आयोजित किया गया. इस आयोजन में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व विदेश एवं संस्कृति मंत्री भारत सरकार मीनाक्षी लेखी मौजूद रहीं. इसके साथ ही वरिष्ठ साहित्यकार रमा सिंह, मीडिया पर्सन पंकज शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार शकुंतला कालरा, पूर्व न्यायाधीश संतोष खन्ना मौजूद रहे. यहां सभी साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया.
बता दें कि देश-विदेश के 142 साहित्यकारों की ओर से तैयार हुई कृति 'छंदबद्ध भारत का संविधान' अद्वितीय है. इसमें कुल 26 छंद, 2,110 दोहे, 422 रोले और 24 छंद गीत का प्रयोग किया गया है. इसके प्रमुख संपादक ओमकार साहू 'मृदुल' और सहसंपादक मधु संखधर 'स्वतंत्र' और सपना दत्ता 'सुहासिनी' हैं. इस ग्रंथ में छत्तीसगढ़ के रमेश सारथी गौर के योगदान महत्वपूर्ण रहा, ये छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है.