दुर्ग : छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण सम्मान के लिए चयनित लोगों के नामों की घोषणा राज्य सरकार ने किया है. इस सूची में दुर्ग जिले की चित्ररेखा सिन्हा का नाम भी शामिल है. चित्ररेखा सिन्हा को सामाजिक जागरूकता और महिलाओं के उत्थान के लिए माता बहादुर कलारिन सम्मान देने की घोषणा सरकार ने की है.
किसान परिवार से आती है चित्ररेखा : छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण समारोह 2024 में माता बहादुर कलारिन सम्मान से चित्ररेखा सिन्हा को सम्मानित किया जाएगा. चित्ररेखा सिन्हा दुर्ग जिले के ग्राम नगपुरा की रहने वाली है. चित्ररेखा एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं. उनके पिता खेमलाल सिन्हा कृषक व माता राधिका सिन्हा गृहणी है.
सामाजिक जागरूकता की दिशा में रूचि : चित्ररेखा की स्कूली शिक्षा नगपुरा गांव में ही पूरी हुई. जिसके बाद चित्रलेखा ने उच्च शिक्षा की पढ़ाई साईंस कॉलेज दुर्ग से पूरी की. सामाजिक कार्यों में बचपन से ही रूचि होने की वजह से चित्रलोखा ने समाजकार्य विषय में दिग्विजय कॉलेज राजनांदगांव से अपना मार्स्टस किया. सेन्ट्रल इंडिया ऑफ इन्टीट्यूट मेडिकल एण्ड न्यूरो साइंस देवादा में अभी चित्ररेखा अध्ययनरत हैं. यहां वह एमफिल इन सायकियाट्रिक सोशल वर्क की पढ़ाई कर रही हैं.
महिला उत्थान के लिए चलाया कार्यक्रम : चित्ररेखा सिन्हा महिला उत्थान के लिए रेडियो लोकवाणी में "हिंसा को नो" कार्यक्रम कर रही है. इसके साथ ही नैरो कास्ट समुदाय में जाकर जन जागरूकता का कार्य भी चित्ररेखा कर रही हैं. उनके इन प्रयासों से महिलाएं घरेलू हिंसा के प्रति जागरूक हो रही हैं. चित्ररेखा के समाज के प्रति किए गए कार्य को ध्यान में रखकर राज्य सरकार नवा रायपुर में माता बहादुर कलारिन सम्मान से उन्हें पुरस्कृत कर रही है. उन्हे इनाम के रूप में 2 लाख का चेक भी दिया जाएगा.
घरेलू हिंसा के खिलाफ कर रही जागरूक : चित्ररेखा सिन्हा ने बताया कि वह लंबे समय से महिलाओं के साथ हो रहे घरेलू हिंसा के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए महिलाओं को जागरूक करती हैं. हिंसा के कई मामलों में उन्होंने महिलाओं को सखी वन स्टॉप सेंटर तक पहुंचने में मदद की है. आगे भी घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं के साथ खड़ी होकर न्याय दिलाने की बात चित्ररेखा ने कही है.
क्या है माता बहादुर कलारिन सम्मान : मां बहादुर कलारिन राज्य के कलार समाज में देवी की तरह पूजी जाती हैं. छत्तीसगढ़ के इतिहास में उन्होंने नारी उत्थान के लिए कई बड़े काम किए थे. बताया जाता जाता है कि मां बहादुर कलारिन ने महिलाओं का अपमान करने वाले अपने बेटे को भी नहीं छोड़ा था. उन्होंने अपने ही बेटे को कुएं में धकेल कर उसकी हत्या कर दी थी और खुद भी कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी थी. बहादुर कलारिन के इस बलिदान के सम्मान में छत्तीसगढ़ सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए काम करने वाली संस्था या महिलाओं को माता बहादुर कलारिन सम्मान देती है.