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सड़कों को मवेशी मुक्त करने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई, शासन से मांगी जानकारी - CHHATTISGARH HIGH COURT

छत्तीसगढ़ के सड़कों को मवेशी मुक्त करने रोड मैप बनाने को लेकर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश के परिपालन की जानकारी मांगी है.

Chhattisgarh High Court
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 13, 2025, 7:57 PM IST

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे सहित सड़कों को मवेशी मुक्त करने रोड मैप बनाने को लेकर जनहित याचिका पर आज बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डबल बेंच ने ने अपने पूर्व आदेश के परिपालन की जानकारी मांगी है.

शासन ने मांगा 15 दिन का समय : शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने अपना पक्ष रखा. जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में आवारा मवेशी से सड़कों को मुक्त करने और सटीक कार्य योजना को लेकर बनाई जाने वाली SOP का ड्राफ्ट फाइनल नहीं हुआ है. जिसके लिए शासन ने 15 दिन का समय मांगा है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निवेदन स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख आगामी 10 फरवरी तय की है.

आवारा पशुओं की समस्या पर सुनवाई : पिछली सुनवाई में राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रोड मैप बनाने के आदेश दिए थे. देश के 7 राज्यों के अपनाए तंत्र की जांच करने गठित समिति और उसकी रिपोर्ट प्रस्तुति पर भी शासन से जवाब नहीं आया था. इस मामले में सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने शासन और अन्य विभागों को समय दिया था.

संभागवार सर्वेक्षण की मांगी गई रिपोर्ट : 23 अक्टूबर 2024 के आदेश के परिपालन में छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को नया हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था. जिसमें प्रदेश के राजमार्गों और जिलों की सड़कों पर मवेशियों की निगरानी और रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी गई थी. इसमें राज्य के संभागीय आयुक्तों से संभागवार सर्वेक्षण रिपोर्ट मांगी गई थी. रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा के संभागीय आयुक्तों ने विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश पर सभी जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायतों और नगर निकायों में आवारा पशुओं की समस्या को लेकर जागरूकता लाने पशु मालिकों के साथ बैठकें की थी. बैठकों की संख्या को भी सर्वेक्षण रिपोर्ट में शामिल किया गया है.

पहले के प्रस्ताव के अनुसार, आवारा पशुओं के विश्राम के लिए सड़क के किनारे साफ-सफाई और समतलीकरण के लिए स्थान चिह्नित किए गए थे. ऐसे चिह्नित स्थानों की संख्या को सर्वेक्षण रिपोर्ट में शामिल किया गया है.

पहले के प्रस्ताव के अनुसार, सड़क से आवारा पशुओं को हटाने की जिम्मेदारी अधिकारियों को दी गई थी. लेकिन इन तमाम कोशिश के बावजूद मवेशियों की सड़क में मौत और उनकी वजह से हो रहे हादसे परेशानी का सबब बने हुए है. सुनवाई के दौरान इस समस्या को लेकर एक SOP जारी करने का ड्राफ्ट बनाने जानकारी दी गई थी, जिस पर अंतिम मुहर लगनी अभी बांकी है.

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बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे सहित सड़कों को मवेशी मुक्त करने रोड मैप बनाने को लेकर जनहित याचिका पर आज बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डबल बेंच ने ने अपने पूर्व आदेश के परिपालन की जानकारी मांगी है.

शासन ने मांगा 15 दिन का समय : शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने अपना पक्ष रखा. जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में आवारा मवेशी से सड़कों को मुक्त करने और सटीक कार्य योजना को लेकर बनाई जाने वाली SOP का ड्राफ्ट फाइनल नहीं हुआ है. जिसके लिए शासन ने 15 दिन का समय मांगा है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निवेदन स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख आगामी 10 फरवरी तय की है.

आवारा पशुओं की समस्या पर सुनवाई : पिछली सुनवाई में राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रोड मैप बनाने के आदेश दिए थे. देश के 7 राज्यों के अपनाए तंत्र की जांच करने गठित समिति और उसकी रिपोर्ट प्रस्तुति पर भी शासन से जवाब नहीं आया था. इस मामले में सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने शासन और अन्य विभागों को समय दिया था.

संभागवार सर्वेक्षण की मांगी गई रिपोर्ट : 23 अक्टूबर 2024 के आदेश के परिपालन में छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को नया हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था. जिसमें प्रदेश के राजमार्गों और जिलों की सड़कों पर मवेशियों की निगरानी और रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी गई थी. इसमें राज्य के संभागीय आयुक्तों से संभागवार सर्वेक्षण रिपोर्ट मांगी गई थी. रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा के संभागीय आयुक्तों ने विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश पर सभी जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायतों और नगर निकायों में आवारा पशुओं की समस्या को लेकर जागरूकता लाने पशु मालिकों के साथ बैठकें की थी. बैठकों की संख्या को भी सर्वेक्षण रिपोर्ट में शामिल किया गया है.

पहले के प्रस्ताव के अनुसार, आवारा पशुओं के विश्राम के लिए सड़क के किनारे साफ-सफाई और समतलीकरण के लिए स्थान चिह्नित किए गए थे. ऐसे चिह्नित स्थानों की संख्या को सर्वेक्षण रिपोर्ट में शामिल किया गया है.

पहले के प्रस्ताव के अनुसार, सड़क से आवारा पशुओं को हटाने की जिम्मेदारी अधिकारियों को दी गई थी. लेकिन इन तमाम कोशिश के बावजूद मवेशियों की सड़क में मौत और उनकी वजह से हो रहे हादसे परेशानी का सबब बने हुए है. सुनवाई के दौरान इस समस्या को लेकर एक SOP जारी करने का ड्राफ्ट बनाने जानकारी दी गई थी, जिस पर अंतिम मुहर लगनी अभी बांकी है.

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