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जग्गी हत्याकांड में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला, 28 की सजा बरकरार, याचिका खारिज - Jaggi murder case

Ramavatar Jaggi Murder Case छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जग्गी हत्याकांड में 28 आरोपियों की सजा को बरकरार रखा है. सजा के खिलाफ लगाई गई उनकी याचिका को भी खारिज कर दिया है.

JAGGI MURDER CASE
जग्गी हत्याकांड में हाईकोर्ट का फैसला
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 4, 2024, 12:55 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में 2003 में हुए चर्चित हत्याकांड को लेकर कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने सभी 28 आरोपियों की सजा को बरकरार रखते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है. गुरुवार को कोर्ट का फैसला आया है. बिलासपुर हाईकोर्ट में चल रहे राम अवतार जग्गी हत्याकांड की सुनवाई 28 फरवरी को पूरी हो गई थी. हत्याकांड में बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

जग्गी हत्याकांड में अमित जोगी भी बने थे आरोपी: 2003 में हीरा व्यापारी राम अवतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी, उनके बॉडीगार्ड चिमन सिंह, याया ढेबर सहित तीन पुलिस अधिकारी और अन्य 28 लोगों को नामजद आरोपी सिद्ध किया गया. मामले को लेकर सीबीआई ने 29 आरोपियों को गिरफ्तार कर विशेष अदालत में चालान पेश किया. इसमें से एक आरोपी अमित जोगी को अदालत ने दोष मुक्त किया और 28 आरोपियों को सजा सुनाई.

28 फरवरी को हाईकोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित: अमित जोगी के दोष मुक्त होने के खिलाफ मृतक राम अवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने अमित जोगी की मामले में बाइज्जत बरी होने के फैसले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर सुनवाई चल रही थी. इसी दौरान अमित जोगी ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में एसएलपी याचिका दायर कर सुनवाई पर रोक की मांग की. तब से लेकर अब तक मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई रुकी हुई थी. सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के आदेश मिलने के बाद इस मामले में सुनवाई शुरू की गई. लगातार चार दिनों तक पूरे मामले में सुनवाई चलती रही. हत्याकांड की सुनवाई 28 फरवरी को पूरी की गई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.

भाजपा की ओर से कैंपेनिंग कर रहे थे जग्गी: रायपुर के हीरा कारोबारी रामावतार जग्गी 2003 विधानसभा के पहले भाजपा के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे. वह भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के करीबी माने जाते थे. कैंपेनिंग के दौरान उनकी हत्या कर दी गई. हत्या के मामले में शुरुआती दौर में राज्य पुलिस मामले की जांच कर रही थी, बाद में विधानसभा सत्र के दौरान तात्कालिक मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इसे जांच के लिए सीबीआई को सौंपने का प्रस्ताव पास किया. इसके बाद से लगातार सीबीआई मामले की जांच कर रही थी. सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी सहित 29 लोगों पर हत्याकांड में शामिल होने और साजिश रचने का आरोप लगाकर सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में चालान पेश किया. कई सालों तक मामले में सुनवाई चलती रही. आखिर में सीबीआई कोर्ट ने अमित जोगी को दोष मुक्त कर दिया था. इसी मामले से जुड़े 28 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट की सजा बरकरार रखते हुए सजा के खिलाफ उनकी तरफ से लगाई याचिका खारिज कर दी.

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बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में 2003 में हुए चर्चित हत्याकांड को लेकर कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने सभी 28 आरोपियों की सजा को बरकरार रखते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है. गुरुवार को कोर्ट का फैसला आया है. बिलासपुर हाईकोर्ट में चल रहे राम अवतार जग्गी हत्याकांड की सुनवाई 28 फरवरी को पूरी हो गई थी. हत्याकांड में बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

जग्गी हत्याकांड में अमित जोगी भी बने थे आरोपी: 2003 में हीरा व्यापारी राम अवतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी, उनके बॉडीगार्ड चिमन सिंह, याया ढेबर सहित तीन पुलिस अधिकारी और अन्य 28 लोगों को नामजद आरोपी सिद्ध किया गया. मामले को लेकर सीबीआई ने 29 आरोपियों को गिरफ्तार कर विशेष अदालत में चालान पेश किया. इसमें से एक आरोपी अमित जोगी को अदालत ने दोष मुक्त किया और 28 आरोपियों को सजा सुनाई.

28 फरवरी को हाईकोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित: अमित जोगी के दोष मुक्त होने के खिलाफ मृतक राम अवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने अमित जोगी की मामले में बाइज्जत बरी होने के फैसले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर सुनवाई चल रही थी. इसी दौरान अमित जोगी ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में एसएलपी याचिका दायर कर सुनवाई पर रोक की मांग की. तब से लेकर अब तक मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई रुकी हुई थी. सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के आदेश मिलने के बाद इस मामले में सुनवाई शुरू की गई. लगातार चार दिनों तक पूरे मामले में सुनवाई चलती रही. हत्याकांड की सुनवाई 28 फरवरी को पूरी की गई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.

भाजपा की ओर से कैंपेनिंग कर रहे थे जग्गी: रायपुर के हीरा कारोबारी रामावतार जग्गी 2003 विधानसभा के पहले भाजपा के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे. वह भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के करीबी माने जाते थे. कैंपेनिंग के दौरान उनकी हत्या कर दी गई. हत्या के मामले में शुरुआती दौर में राज्य पुलिस मामले की जांच कर रही थी, बाद में विधानसभा सत्र के दौरान तात्कालिक मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इसे जांच के लिए सीबीआई को सौंपने का प्रस्ताव पास किया. इसके बाद से लगातार सीबीआई मामले की जांच कर रही थी. सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी सहित 29 लोगों पर हत्याकांड में शामिल होने और साजिश रचने का आरोप लगाकर सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में चालान पेश किया. कई सालों तक मामले में सुनवाई चलती रही. आखिर में सीबीआई कोर्ट ने अमित जोगी को दोष मुक्त कर दिया था. इसी मामले से जुड़े 28 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट की सजा बरकरार रखते हुए सजा के खिलाफ उनकी तरफ से लगाई याचिका खारिज कर दी.

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