छतरपुर : बुंदेलखंड का जाना माना तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम देश-दुनिया में आज एक अलग ही पहचान बना चुका है. ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा-भक्ति से यहां अपनी अर्जी लगाते हैं, उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं. अर्जी पूरी होने के बाद कई भक्त पैदल चलकर बागेश्वर धाम तक पहुंचते हैं. ऐसा ही एक भक्त सोमवार को देखने को मिला, जो 115 किलोमीटर पैदल यात्रा कर बागेश्वर धाम जा रहा है.
बागेश्वर धाम पर रहता है श्रद्धालुओं का तांता
हिंदू राष्ट्र का सपना लेकर चल रहे प्रसिद्ध कथावाचक और बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुयायी देश-विदेश में बढ़ते जा रहे हैं. भक्तों में उनके प्रति काफी दीवानगी देखी जा रही है. महाराज की एक झलक पाने के लिए लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर से चले आते हैं. छतरपुर के गढ़ा गांव में स्थित बागेश्वर धाम पर रोजना हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. उत्तर प्रदेश के मऊरानीपुर निवासी हरदास कुशवाहा भी ऐसे भक्तों में से एक हैं, जो पैदल यात्रा कर बागेश्वर धाम जा रहे हैं.
शादी की मनोकामना पूरी होने के बाद शुरू की पैदल यात्रा
हरदास अभी तक 85 किलोमीटर पैदल यात्रा तय कर चुके हैं. धाम तक पहुचने में अभी करीब 25 किलोमीटर की दूरी और तय करनी है. हरदास बागेश्वर धाम के जयकारे लगाते हुए हाथों में ध्वज लेकर अपने साथी के साथ बागेश्वर धाम जा रहे हैं. हरदास ने बेटे की शादी की मनोकामना के लिए बागेश्वर धाम में अर्जी लगाई थी. शादी की मनोकामना पूरी होने के बाद बागेश्वर धाम पर आस्था रखने वाले यूपी के हरदास फिर से धाम पर दर्शन करने जा रहे हैं.
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बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने के नियम
झांसी जिले के मऊरानीपुर निवासी हरदास कुशवाहा ने बताया, '' मैंने अपने बेटे की शादी की अर्जी बागेश्वर धाम पर लगाई थी, जो पूरी हो गई है. अर्जी के दौरान मैंने कहा था कि अगर बेटे की शादी होती है तो मैं बागेश्वर धाम पैदल यात्रा कर दर्शन करने आउंगा, जो संकल्प लिया था उसको पूरा कर रहा हूं.बागेश्वर धाम पर अर्जी लगाने के नियम हैं. अगर आपकी समस्या नौकरी, प्रॉपर्टी, कोर्ट कचहरी से जुड़ी है तो आपको धाम में पहुंचकर लाल कपड़े में नारियल बांधकर अर्जी लगानी पड़ेगी. अगर आपकी या आपके परिवार में किसी की शादी कराने से संबंधित अर्जी है तो पीले कपड़े में नारियल बांधकर अर्जी लगाई जाती है. वहीं भूत-प्रेत बाधाओं को दूर करने के लिए धाम में काले रंग के कपड़े के साथ लौंग बांधकर अर्जी लगाई जाती है.''