रायपुर: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले में ईओडब्ल्यू ने सौम्या चौरसिया, रानू साहू, समीर बिश्नोई और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को रिमांड पर लेकर पूछताछ की, हालांकि कोई खास जानकारी हाथ नहीं लगी. सोमवार 3 जून को रिमांड खत्म होने के बाद फिर से ईओडब्ल्यू की टीम ने निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया और रानू साहू को कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने फिर एक बार चारों को ईओडब्ल्यू की रिमांड पर भेज दिया है. सौम्या चौरसिया और रानू साहू 5 जून तक ईओडब्ल्यू की रिमांड पर रहेंगे. वहीं, समीर बिश्नोई और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी 10 जून तक ईओडब्ल्यू की रिमांड पर रहेंगे.
सौम्या चौरसिया और रानू साहू की मुश्किलें नहीं हो रही खत्म: जानकारी के मुताबिक ईओडब्ल्यू ने सौम्या चौरसिया, रानू साहू, समीर बिश्नोई और सूर्यकांत तिवारी को रिमांड में लेकर पूछताछ की थी, लेकिन ईओडब्ल्यू की टीम को कोई खास जानकारी हाथ नहीं लगी. इस कारण रिमांड पर लेने के लिए ईओडब्ल्यू की टीम ने फिर से एक बार कोर्ट में आवेदन लगाया था, जिसे कोर्ट ने मंजूर करते हुए सौम्या चौरसिया और रानू साहू को 5 जून तक ईओडब्ल्यू की रिमांड पर सौंपा है. वहीं, समीर बिश्नोई और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को 7 दिनों के लिए यानी कि 10 जून तक ईओडब्ल्यू की रिमांड पर भेजा है.
स्पेशल कोर्ट में किया गया पेश: ईओडब्ल्यू ने स्पेशल कोर्ट में आवेदन पेश किया, जिसमें यह कहा गया था कि सौम्या चौरसिया को सूर्यकांत तिवारी के रिश्तेदार मनीष उपाध्याय और जय नामक व्यक्ति के जरिए 36 करोड़ रुपए पहुंचाए गए थे. यह पैसा अवैध रूप से लेवी के जरिए आया था. वहीं, निलंबित आईएएस रानू साहू ने कोयला घोटाला मामले में कारोबारी सूर्यकांत तिवारी और उनके साथियों के जरिए ट्रांसपोर्टरों से अवैध वसूली करने में मदद की थी. मदद के बदले में मिलने वाले पैसे से निलंबित आईएएस रानू साहू ने अपने भाई पीयूष साहू और अन्य रिश्तेदारों के नाम से कई चल और अचल संपत्तियां खरीदी हैं.
बता दें कि कोयला घोटाले मामले में सभी आरोपी लगभग डेढ़ साल से जेल में बंद है. ईडी ने कोयला घोटाला मामले में 11 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें कारोबारी सुनील अग्रवाल को जमानत मिली है. जानकारी के मुताबिक ईओडब्ल्यू उसे भी गिरफ्तार करने वाली है. ईओडब्ल्यू का आरोप है कि पूर्ववर्ती सरकार में प्रभावशाली लोगों से मिलकर अवैध रूप से कोयले का परिवहन किया था. यह घोटाला पूरे प्रदेश में लगभग 540 करोड़ रुपये से ज्यादा का था.