लातेहारः राजनीतिक प्रयोगशाला के रूप में चर्चित चतरा लोकसभा सीट पर अभी तक किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, लेकिन अब तक की जो परिपाटी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की रही है उसके अनुसार यह कहा जा रहा है कि वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के भरोसे भारतीय जनता पार्टी तो विपक्ष भाग्य के भरोसे उम्मीदवार मैदान में उतारेगी.
अब तक कोई स्थानीय चतरा से नहीं बना है सांसद
दरअसल, चतरा लोकसभा क्षेत्र का अब तक इतिहास रहा है कि यहां से कोई भी स्थानीय निवासी सांसद नहीं बना है. क्षेत्र में मजबूत समझे जाने वाले किसी भी राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय दल ने चतरा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत निवास करने वाले किसी भी व्यक्ति को अपना प्रत्याशी आज तक नहीं बनाया है. अब, जब मजबूत राजनीतिक दलों के द्वारा स्थानीय लोगों को प्रत्याशी ही नहीं बनाया जाता है, तो फिर स्थानीय सांसद की कल्पना साकार कैसे होगी?
इस संबंध में वयोवृद्ध समाजसेवी जानकी सिंह की मानें तो चतरा संसदीय क्षेत्र में स्थानीय सांसद नहीं होने के कारण सांसदों का संपर्क आम लोगों से नहीं रहता है. बाहर के निवासी रहने के कारण सांसदों के प्रति आम लोगों के मन में भी अपनत्व की भावना नहीं बन पाती है. इसका प्रभाव यह पड़ता है कि सांसद दो चार लोगों के बीच घिरकर रह जाते हैं और जनता से पूरी तरह कट जाते हैं. परिणाम होता है कि दोबारा जब सांसद चुनाव मैदान में उतरते हैं तो उन्हें आम लोगों के साथ-साथ अपने ही लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है.
2014 के बाद बदल गया है माहौल
वर्ष 2014 के बाद देश के कई अन्य हिस्सों की तरह ही चतरा संसदीय क्षेत्र का माहौल भी बदल गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अब पूरी तरह प्रधानमंत्री के चेहरे पर ही निर्भर हो गई है. भाजपा के नेता और कार्यकर्ता भी जानते हैं कि जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही भाजपा को वोट करती है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता भी इस बात को स्वीकार करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस बात में सच्चाई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी का नाम ही भाजपा उम्मीदवार की जीत की गारंटी होती है. प्रत्याशी कौन होगा यह कोई मायने नहीं रखता है. हां, यदि किसी स्थानीय को प्रत्याशी बनाया जाए तो जीत का अंतर और अधिक बढ़ सकता है.
मोदी विरोधी वोट के भरोसे विपक्ष
देश भर में विपक्ष एकजुट होकर भाजपा विरोधी और मोदी विरोधी वोट को एकत्रित कर अपनी ओर लाने के लिए प्रयासरत है. चतरा संसदीय क्षेत्र में भी विपक्ष के द्वारा भाजपा विरोधी वोट के भरोसे चुनाव लड़ने की तैयारी है. वर्ष 2014 से पूर्व कई बार कांग्रेस और राजद के प्रत्याशी यहां से सांसद बन चुके हैं, लेकिन वर्ष 2014 के बाद स्थिति काफी बदल गई है. ऐसे में स्थानीयता को मुद्दा बनाकर विपक्षी खेमे में भी स्थानीय उम्मीदवार उतारने की मांग जोर पकड़ी हुई है, ताकि स्थानीयता का मुद्दा बनाकर भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाया जा सके. जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान सांसद से पार्टी के कार्यकर्ता नाराज हैं. इसे देखते हुए विपक्ष इस उम्मीद में है कि यदि भाग्य ने साथ दिया तो नाराज लोग उन्हें वोट देंगे और उनकी जीत पक्की हो जाएगी.
क्षेत्र में सक्रिय हैं निर्दलीय प्रत्याशी
चतरा संसदीय क्षेत्र से दो बार निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीत चुके हैं. इस कारण निर्दलीय प्रत्याशी भी चतरा लोकसभा सीट को अपने लिए अनुकूल मानते हैं. क्षेत्र में कई निर्दलीय प्रत्याशी पिछले दो-तीन वर्षों से लगातार सक्रिय हैं. निर्दलीय प्रत्याशियों को उम्मीद है कि जिस प्रकार राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशियों के द्वारा चतरा संसदीय क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है. उससे नाराज जनता निर्दलीय प्रत्याशियों को अपना आशीर्वाद देगी.
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