चंडीगढ़: चंडीगढ़ पीजीआई टेली मेडिसिन में डॉक्टर के साथ मरीजों का इलाज आसान करते हुए एक कदम आगे बढ़ाया है. पीजीआई टेली मेडिसिन विभाग ऐसी सुविधा शुरू करने की योजना बना रहा है, जिसकी मदद से ओरल हेल्थ यानी मुंह से जुड़े कैंसर और लिवर हेल्थ यानी लिवर से जुड़े कैंसर का कैमरा से खींची हुई फोटो की मदद से बीमारी के स्तर का पता लगाया जाएगा.
'सही इलाज के लिए पीजीआई पहुंचते हैं मरीज': टेली मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि पीजीआई उत्तर भारत का सबसे बड़ा अस्पताल और रिसर्च सेंटर है. जहां पर अक्सर वह मरीज पहुंचता है, जिसे सही इलाज न मिलने से और उसकी बीमारी बढ़ती जाती है. वहीं मरीज अपनी आखिरी उम्मीद लेकर पीजीआई का रुख करता है. पीजीआई में रोजाना 10000 से अधिक मरीज अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं. जिनमें से 50 प्रतिशत वह लोग होते हैं, जो एक गंभीर बीमारी के चलते अपनी आखिरी उम्मीद लेकर पीजीआई इलाज करवाने के लिए पहुंचते है.
ऐसे काम करेगा AI विशेष मॉडल: इस तरह के मरीज के लिए पीजीआई टैली मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर अमित अग्रवाल की टीम एक विशेष मॉडल पर काम कर रही है. यह मॉडल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाया जा रहा है. पीजीआई के टैली मेडिसिन की टीम द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हुए एक नई एप्लीकेशन तैयार की जा रही है. जिसमें ग्रामीण इलाकों और पेरी फेरी जैसे इलाकों में मौजूद स्वास्थ्य संस्थानों पर पहुंचने वाले मरीज अपनी बीमारी से जुड़ी फोटो एप्लीकेशन में अपलोड करने की सुविधा मुहैया करवाई जाएगी. इस एप्लीकेशन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपने स्तर पर मरीज की बीमारी के लक्षण को देखते हुए की मरीज की बीमारी इलाज किया जा सकता है. या मरीज का इलाज करना मुश्किल है, जैसी स्थिति में रिपोर्ट जारी की जाएगी.
2022 से बनाई जा रही थी इस एप्लीकेशन की योजना: टेली मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि 2022 से पीजीआई में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने की योजना बनी थी. केंद्र का सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस की मदद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को 2022 में मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ द्वारा अपनाया गया था. इस दौरान सेहत मंत्रालय और पीजीआई टेली मेडिसिन ने मिलकर एक सर्वे किया, जहां पर लोगों की वो बीमारियां पूछी गयी जिन्हें कम्युनिटी हेल्थ के स्तर पर ही ठीक किया जा सकता है.
'देश के नामी स्वास्थ्य संस्थान मिलकर कर रहे काम': टेली मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि इन सुझाव में सबसे ज्यादा मुंह का कैंसर और लीवर के कैंसर से जुड़े सवाल से ज्यादा पूछे गए. सर्वे के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रेडिक्टेड मॉडल तैयार किये जाने को लेकर फैसला लिया गया. अब तक पीजीआई द्वारा ओरल हेल्थ से जुड़ी 20000 फोटो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रेडिक्टेड मॉडल में अपलोड की गई है. क्योंकि यह मरीज की बीमारी की फोटो से जुड़ा हुआ इलाज है. ऐसे में किसी भी तरह का मनुष्य ट्रायल नहीं किया गया है. वही लिवर कैंसर से जुड़े डाटा के लिए देश के 14 बड़े स्वास्थ्य संस्थान और रिसर्च सेंटर पीजीआई के साथ मिल कर काम कर रहे हैं.
समय से इलाज जरुरी: पीजीआई द्वारा जिन जिन छोटे सेहत संस्थानों में ए आई प्रेडिक्टेड मॉडल स्थापित किया जाएगा. उन सेंटर पर मरीज अपनी बीमारी से जुड़ी फोटो, जोकि मरीज के कैमरे से खींची जाएगी. वहां के डॉक्टर को देगा. जिससे वह डॉक्टर उस फोटो को एआई प्रेडिक्टेड मॉडल में अपलोड करेगा. इसके बाद प्रेडिक्टेड मॉडल उसकी बीमारी का स्तर पता करेगा. उदाहरण के तौर पर जिस किसी व्यक्ति को मुंह में लगातार सात दिन से ज़्यदा छाले हो रहें होंगे. ऐसी स्थिति में मरीज खाने से लाचार हो जाये. उसे इस मॉडल के जरिए, उसकी बीमारी का स्तर और इलाज बताया जाएगा. ताकि वह समय पर अपनी बीमारी से छुटकारा पा सके. इस मॉडल को पीजीआई के सीनियर डॉक्टर के सलाह के तहत तैयार किया जा रहा है.
मरीजों को घर बैठे मिलेगी मदद: टेली मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि इस पूरे ए आई प्रेडिक्टेड मॉडल का सीधा-सीधा फायदा उन लोगों को पहुंचेगा. जिन्हें पीजीआई आने से डर लगता है और वे अपनी बीमारी को लगातार अनदेखा करते आ रहे है. उन्हें मदद पहुंचाई जाएगी. वहीं जिन लोगों को पीजीआई जैसे बड़े संस्थान में आकर भीड़भाड़ का सामना करने से डर लगता है. उस तरह के मरीजों को उनके घर के पास मौजूद छोटे सेहत संस्थान पर ही अपनी बीमारी की गंभीरता का पता लगाने में मदद मिलेगी. क्योंकि इस योजना से कई मासूम लोगों की जान बचायी जा सकती है.
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