चंडीगढ़: चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद पर राजनीति जारी है. चंडीगढ़ पहुंचीं अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्य्क्ष अलका लांबा ने मीडिया से रूबरू होते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. अलका लांबा ने कहा कि चंडीगढ़ लोकतंत्र की हत्या का केंद्र बन चुका है. उन्होंने चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त टिपणी की है. उन्होंने कहा कि यह घटना क्रम इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है.
चंडीगढ़ में दोबारा होंगे मेयर चुनाव: सेक्टर- 35 में मीडिया से रूबरू होते हुए अलका लंबा ने कहा कि चंडीगढ़ में लोकतंत्र की हत्या हो रही थी और यहां की महिला सांसद मेयर को कुर्सी पर बैठा रही थीं. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि चंडीगढ़ में जल्द ही एक बार फिर से मेयर चुनाव होंगे और चुनाव में इंडिया गठबंधन का मेयर बनेगा.
अलका लांबा का बीजेपी पर गंभीर आरोप: इसके अलावा अलका लांबा ने आरोप लगाया कि देश का मुख्य चुनाव आयुक्त कौन होगा, इसको लेकर पीएम मोदी दिल्ली में मीटिंग कर रहे है. इसके चयन को लेकर एक पैनल बनाया जाना था, लेकिन ऐसा नही हुआ. 150 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया. 2024 के चुनावों मे भी यह खेलना चाहते हैं और मोहरों को ऐसे पद पर बैठाना चाहते हैं. अलका लांबा ने कहा कि हम मुख्य चुनाव आयुक्त से पिछले काफी समय से मिलना चाहते हैं, कुछ सवाल पूछना चाहते हैं लेकिन पिछले 5 माह से वह मिलने का समय नहीं दे रहे हैं.
नए मेयर ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट डालकर पक्ष रखने की अपील की: सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नगर निगम के चुनाव में प्रेसिडिंग ऑफीसर पर की गई टिप्पणी के बाद जहां राजनीतिक गलियारों में हलचल फैल गई है. वहीं, नगर निगम के नए मेयर मनोज सोनकर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में कैविएट डालकर अपना पक्ष रखने की अपील की गई है. इस पर उनका कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा यकीन है कि वह तथ्यों को देखते हुए हमारे पक्ष में फैसला लेंगे.
बीजेपी उम्मीदवार ने हासिल की थी जीत: बता दें कि 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव बीजेपी ने 16 वोटों के साथ जीत दर्ज करते हुए अपना मेयर घोषित कर दिया था. इसको लेकर आम आदमी पार्टी के द्वारा प्रीसाइडिंग ऑफिसर की ड्यूटी को लेकर संदेह जताया गया था. आम आदमी पार्टी का आरोप है कि प्रीसाइडिंग ऑफिसर ने धांधली की है. इस संबंध ने आम आदमी पार्टी ने वीडियो भी जारी किया है. वहीं, सोमवार, 5 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो देखते हुए टिप्पणी की थी कि प्रीसिडिंग ऑफिसर द्वारा लोकतंत्र की हत्या की गई है. इसके बाद चंडीगढ़ के नए मेयर मनोज सोनकर ने भी अपना पक्ष रखते हुए कैविएट डाली है.
क्या होती है कैविएट?: कैविएट कार्रवाई के किसी भी चरण में दायर किया जा सकता है. यह दाखिल करने की तारीख में 90 दिनों की अवधि के लिए वैध होता है. कैविएट फाइल करने वाला व्यक्ति वह होता है जहां किसी न्यायालय में शुरू किए गए किसी भी मुकदमे या कार्रवाई में कोई आवेदन किए जाने की उम्मीद है. कोई भी व्यक्ति सुनवाई के दौरान न्याय के समक्ष उपस्थित होने के अधिकार का दावा कर रहा है. ऐसे में वह आवेदन संबंधी कैविएट दाखिल कर सकता है.
क्या कहते हैं मनोज सोनकर?: वहीं, इस मामले में मनोज सोनकर नें बताया कि यह ठीक है कि सुप्रीम कोर्ट में मामला गया हुआ है. अब जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला ले ही लिया है तो सदन की बैठक को लेकर हमें कोई जल्दबाजी नहीं है. कैविएट डालने का एक मकसद है कि कोर्ट इंसाफ करेगी. हमें और हमारी पार्टी को पूरा यकीन है कि इंसाफ होगा. ऐसे में हमने अपने पक्ष रखने को लेकर कैविएट डाली है.
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