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11 किलो की महाआरती से हुई मां जागेश्वरी की आराधना, सैकड़ों साल पहले फैली महामारी मिटाने शुरु हुई थी परंपरा - Ashoknagar Maha Aarti of 11 kg - ASHOKNAGAR MAHA AARTI OF 11 KG

अशोकनगर के चंदेरी में राम नवमी के मौके पर 11 किलो की महाआरती से मां जागेश्वरी की आराधना की गई. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में मौजूद रहे.

ASHOKNAGAR MAHA AARTI OF 11 KG
11 किलो की महाआरती से हुई मां जागेश्वरी की आराधना, सैकड़ों साल पहले फैली महामारी मिटाने शुरु हुई थी परंपरा
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 17, 2024, 9:27 PM IST

अशोकनगर। नवरात्रि में 9 दिनों से चल रही मां शक्ति की आराधना के आखरी दिन चंदेरी के ऐतिहासिक धार्मिक तीर्थ स्थल जगत जननी मां जागेश्वरी माता मंदिर में महाआरती की गई. शाम 6 बजे महाआरती के साथ नवरात्रि पर्व का समापन हुआ. महाआरती के समय आसपास क्षेत्र के श्रद्धालु बड़ी संख्या में मां जागेश्वरी मंदिर पहुंचे. नौ दिनों तक चले इस आस्था के पर्व में नवरात्रि के दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ माता के दरबार में नजर आई. मंदिर के पुजारी कुनाल चौबे ने बताया कि, नवमी के दिन महाआरती का भी अपना विशेष महत्व है.

महाआरती सत्र में दो नवरात्रि में अंतिम दिन नवमी के दिन होती है. महाआरती का वजन लगभग 11 किलो रहता है, जिसमें 5 किलो घी का प्रयोग होता है. स्नान के बाद मंदिर के पुजारी द्वारा माता की आरती की जाती है.

महाआरती की ये है मान्यता

नवरात्रि पर महा आरती सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है. पुरानी मान्यता के अनुसार सैकड़ों वर्षों पहले क्षेत्र में हैजा जैसी महामारी फैली थी. जिसके बाद सभी देवी देवताओं को मनाने के लिए माता के मंदिर पर महाआरती की गई थी. तब से लगातार क्षेत्र की सुख शांति के लिए महाआरती होती चली आ रही है. महा आरती के दिन पूरे शहर और आसपास के क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता जागेश्वरी मंदिर पहुंचते है. नवरात्रि पर बड़ी महाआरती के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

यहां पढ़ें...

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अष्टमी पर हुआ यज्ञ

नौ दिनों की आराधना के बाद अष्टमी पर रात्रि के समय माई के दरवार में हवन किया गया. मंदिर के पुजारी जुग्गे महाराज ने बताया कि 'दुर्गा अष्टमी का यज्ञ महानिशा पूजा है. जो जागृत और गुप्त नवरात्रियों में होती है. जिसमें योगी यज्ञ गुप्त नवरात्रों में करते हैं. साधक उपासक दोनों जागृत नवरात्रि पर हवन करते हैं. अधिकांश उपासना करने वाले सिर्फ जागृत अवस्था की नवरात्रि को अष्टमी महानिशा का पूजन करते हैं. इनमें मां दुर्गा की उपासना आदि दैविक और भौतिक आदि व्याधियों का विनाश हेतु मां की उपासना की जाती है.

अशोकनगर। नवरात्रि में 9 दिनों से चल रही मां शक्ति की आराधना के आखरी दिन चंदेरी के ऐतिहासिक धार्मिक तीर्थ स्थल जगत जननी मां जागेश्वरी माता मंदिर में महाआरती की गई. शाम 6 बजे महाआरती के साथ नवरात्रि पर्व का समापन हुआ. महाआरती के समय आसपास क्षेत्र के श्रद्धालु बड़ी संख्या में मां जागेश्वरी मंदिर पहुंचे. नौ दिनों तक चले इस आस्था के पर्व में नवरात्रि के दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ माता के दरबार में नजर आई. मंदिर के पुजारी कुनाल चौबे ने बताया कि, नवमी के दिन महाआरती का भी अपना विशेष महत्व है.

महाआरती सत्र में दो नवरात्रि में अंतिम दिन नवमी के दिन होती है. महाआरती का वजन लगभग 11 किलो रहता है, जिसमें 5 किलो घी का प्रयोग होता है. स्नान के बाद मंदिर के पुजारी द्वारा माता की आरती की जाती है.

महाआरती की ये है मान्यता

नवरात्रि पर महा आरती सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है. पुरानी मान्यता के अनुसार सैकड़ों वर्षों पहले क्षेत्र में हैजा जैसी महामारी फैली थी. जिसके बाद सभी देवी देवताओं को मनाने के लिए माता के मंदिर पर महाआरती की गई थी. तब से लगातार क्षेत्र की सुख शांति के लिए महाआरती होती चली आ रही है. महा आरती के दिन पूरे शहर और आसपास के क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता जागेश्वरी मंदिर पहुंचते है. नवरात्रि पर बड़ी महाआरती के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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अष्टमी पर हुआ यज्ञ

नौ दिनों की आराधना के बाद अष्टमी पर रात्रि के समय माई के दरवार में हवन किया गया. मंदिर के पुजारी जुग्गे महाराज ने बताया कि 'दुर्गा अष्टमी का यज्ञ महानिशा पूजा है. जो जागृत और गुप्त नवरात्रियों में होती है. जिसमें योगी यज्ञ गुप्त नवरात्रों में करते हैं. साधक उपासक दोनों जागृत नवरात्रि पर हवन करते हैं. अधिकांश उपासना करने वाले सिर्फ जागृत अवस्था की नवरात्रि को अष्टमी महानिशा का पूजन करते हैं. इनमें मां दुर्गा की उपासना आदि दैविक और भौतिक आदि व्याधियों का विनाश हेतु मां की उपासना की जाती है.

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