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प्रमिला की उखड़ती सांसों को एम्स ने दी संजीवनी, गोपेश्वर से अधूरे ऑपरेशन के बीच हुई थी एयरलिफ्ट - Pramilas treatment at AIIMS

Pramila Devi of Chamoli discharged from AIIMS Rishikesh, AIIMS Rishikesh treatment 24 अगस्त को चमोली के जिला अस्पताल गोपेश्वर में डॉक्टरों ने महिला के अधूरे ऑपरेशन के बीच हाथ खड़े कर दिए थे. डॉक्टरों ने अधूरे ऑपरेशन के बीच ही महिला को हायर सेंटर रेफर कर दिया था. इससे महिला की जान खतरे में पड़ गई थी. तब इस महिला को सरकार ने एयरलिफ्ट करके एम्स ऋषिकेश भेजा था. एम्स से अब इस महिला को लेकर खुशखबरी आई है. पढ़ें ये खबर.

AIIMS Rishikesh
एम्स ऋषिकेश समाचार (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 2, 2024, 11:30 AM IST

Updated : Oct 2, 2024, 11:39 AM IST

ऋषिकेश: यह किसी चमत्कार से कम नहीं. ऑपरेशन प्रक्रिया बीच में रोककर जिस महिला को गंभीर हालत में दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया हो, उसे एम्स ऋषिकेश ने नया जीवन दिया है. इस कामयाबी में एम्स के गायनी विभाग के डाॅक्टरों की टीम की मेहनत तो है ही, साथ ही मानसिक और शारीरिक दर्द से उबरी उस महिला का हौसला भी शामिल है, जिसे हेली सर्विस के माध्यम से 24 अगस्त को गोपेश्वर के अस्पताल से एम्स ऋषिकेश पहुंचाया गया था. एम्स में हुए इलाज के बाद महिला अब स्वस्थ है. उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.

चमोली की प्रमिला को मिला नया जीवन: जनपद चमोली के पोखनी गांव की रहने वाली एक 36 वर्षीय महिला को मासिक धर्म के दौरान अगले कुछ दिनों तक अत्यधिक रक्तस्राव होने की समस्या रहती थी. महिला का इलाज गोपेश्वर के जिला चिकित्सालय में चल रहा था. 24 अगस्त को महिला की बच्चेदानी का ऑपरेशन होना था. डाॅक्टरों की टीम ने जैसे ही ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू की तो चीरा लगाने के बाद उन्हें पता चला कि महिला की बच्चेदानी में एक असामान्य आकार की बड़ी गांठ बनी है. जिसका इलाज वहां संभव नहीं था.

आधे ऑपेरशन के बीच किया गया था एयरलिफ्ट: ऐसे में मामला गंभीर देख डाॅक्टरों ने निगेटिव लैप्रोटाॅमी (चीरा लगने के बाद बिना ऑपरेशन किए फिर से टांके लगाने की प्रक्रिया) की हालत में उसे तत्काल एम्स के लिए रेफर करना उचित समझा. गोपेश्वर के डाॅक्टरों ने एम्स में गायनी विभाग की हेड और संस्थान की डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी से संपर्क कर फोन द्वारा सारी बातें बतायीं और आपात स्थिति को देखते हुए हेली सर्विस के माध्यम से पेशेन्ट को एम्स भेजने की बात कही. आनन-फानन में महिला के ऑपरेशन की प्रक्रिया बीच में ही रोककर उसे हेली सर्विस द्वारा एम्स पहुंचा दिया गया.

एम्स में हुई सफल सर्जरी: उधर एम्स में प्रो. जया चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में गायनी विभाग सहित ट्राॅमा इमरजेन्सी और मेडिसिन विभाग की टीम पहले से तैयार थी. इमरजेन्सी में प्रारम्भिक इलाज के बाद पेशेन्ट को गायनी वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. वहां आवश्यक जांचों के बाद डाॅक्टरों ने अपने अनुभव के आधार पर महिला के बच्चेदानी की सफल सर्जरी की. उसके स्वास्थ्य में सुधार होने पर मंगलवार को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.

इस कारण आई थी जटिलता: सर्जरी करने वाली गायनी विभाग की सर्जन डाॅ. कविता खोईवाल ने बताया कि महिला की बच्चेदानी में 3.6 किलो का ट्यूमर था. उसे जब एम्स लाया गया तो उसके फेफड़े में थ्रोम्बस (थक्का जमने) की शिकायत थी. ऐसे में तत्काल सर्जरी नहीं की जा सकती थी. कुछ दिनों बाद सर्जरी के लिए फिट हो जाने पर उसकी बच्चेदानी ट्यूमर सहित निकाल ली गयी. सर्जरी करने वाली टीम में डाॅ. कविता खोईवाल के अलावा डाॅ. आकांक्षा देशवाली, डॉ. स्मृति सबनानी, डॉ. कृपा यादव और एनेस्थेसिया के डाॅ. गौरव जैन आदि शामिल थे.

डीन प्रो जया चतुर्वेदी ने क्या कहा?

'यह एक बहुत ही जटिल केस था. जब मुझे बताया गया कि मामला क्रिटिकल होने की वजह से महिला की सर्जरी प्रक्रिया बीच में ही रोकनी पड़ी है तो हमने तत्काल संबन्धित विभागों की टीम को अलर्ट कर तैयार रहने के निर्देश दिए थे. इस प्रकार के मामलों में रोगी को एम्स जैसे टर्शीयरी केयर अस्पताल ले जाने में देरी नहीं करनी चाहिए. महिलाओं को भी अपने स्वास्थ्य के प्रति गंभीर रहने की आवश्यकता है.'
-प्रो. जया चतुर्वेदी, डीन एकेडमिक और विभागाध्यक्ष गायनी विभाग, एम्स ऋषिकेश-

कार्यकारी निदेशक प्रो मीनू सिंह क्या बोलीं?

'संस्थान में कुशल और अनुभवी शल्य चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है. जटिल स्थिति के बावजूद महिला की सफल सर्जरी कर हमारे डाॅक्टरों ने निःसदेह सराहनीय कार्य किया है. एम्स ऋषिकेश तकनीक आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को तेजी से विकसित कर रहा है. एम्स पहुंचने वाले प्रत्येक रोगी और घायल व्यक्ति का जीवन बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है.'
-प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश-

ये भी पढ़ें: सिस्टम की खामी! बीच ऑपरेशन में डॉक्टर ने खड़े किए हाथ, एयरलिफ्ट कर AIIMS लाई गई पेशेंट

ऋषिकेश: यह किसी चमत्कार से कम नहीं. ऑपरेशन प्रक्रिया बीच में रोककर जिस महिला को गंभीर हालत में दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया हो, उसे एम्स ऋषिकेश ने नया जीवन दिया है. इस कामयाबी में एम्स के गायनी विभाग के डाॅक्टरों की टीम की मेहनत तो है ही, साथ ही मानसिक और शारीरिक दर्द से उबरी उस महिला का हौसला भी शामिल है, जिसे हेली सर्विस के माध्यम से 24 अगस्त को गोपेश्वर के अस्पताल से एम्स ऋषिकेश पहुंचाया गया था. एम्स में हुए इलाज के बाद महिला अब स्वस्थ है. उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.

चमोली की प्रमिला को मिला नया जीवन: जनपद चमोली के पोखनी गांव की रहने वाली एक 36 वर्षीय महिला को मासिक धर्म के दौरान अगले कुछ दिनों तक अत्यधिक रक्तस्राव होने की समस्या रहती थी. महिला का इलाज गोपेश्वर के जिला चिकित्सालय में चल रहा था. 24 अगस्त को महिला की बच्चेदानी का ऑपरेशन होना था. डाॅक्टरों की टीम ने जैसे ही ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू की तो चीरा लगाने के बाद उन्हें पता चला कि महिला की बच्चेदानी में एक असामान्य आकार की बड़ी गांठ बनी है. जिसका इलाज वहां संभव नहीं था.

आधे ऑपेरशन के बीच किया गया था एयरलिफ्ट: ऐसे में मामला गंभीर देख डाॅक्टरों ने निगेटिव लैप्रोटाॅमी (चीरा लगने के बाद बिना ऑपरेशन किए फिर से टांके लगाने की प्रक्रिया) की हालत में उसे तत्काल एम्स के लिए रेफर करना उचित समझा. गोपेश्वर के डाॅक्टरों ने एम्स में गायनी विभाग की हेड और संस्थान की डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी से संपर्क कर फोन द्वारा सारी बातें बतायीं और आपात स्थिति को देखते हुए हेली सर्विस के माध्यम से पेशेन्ट को एम्स भेजने की बात कही. आनन-फानन में महिला के ऑपरेशन की प्रक्रिया बीच में ही रोककर उसे हेली सर्विस द्वारा एम्स पहुंचा दिया गया.

एम्स में हुई सफल सर्जरी: उधर एम्स में प्रो. जया चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में गायनी विभाग सहित ट्राॅमा इमरजेन्सी और मेडिसिन विभाग की टीम पहले से तैयार थी. इमरजेन्सी में प्रारम्भिक इलाज के बाद पेशेन्ट को गायनी वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. वहां आवश्यक जांचों के बाद डाॅक्टरों ने अपने अनुभव के आधार पर महिला के बच्चेदानी की सफल सर्जरी की. उसके स्वास्थ्य में सुधार होने पर मंगलवार को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.

इस कारण आई थी जटिलता: सर्जरी करने वाली गायनी विभाग की सर्जन डाॅ. कविता खोईवाल ने बताया कि महिला की बच्चेदानी में 3.6 किलो का ट्यूमर था. उसे जब एम्स लाया गया तो उसके फेफड़े में थ्रोम्बस (थक्का जमने) की शिकायत थी. ऐसे में तत्काल सर्जरी नहीं की जा सकती थी. कुछ दिनों बाद सर्जरी के लिए फिट हो जाने पर उसकी बच्चेदानी ट्यूमर सहित निकाल ली गयी. सर्जरी करने वाली टीम में डाॅ. कविता खोईवाल के अलावा डाॅ. आकांक्षा देशवाली, डॉ. स्मृति सबनानी, डॉ. कृपा यादव और एनेस्थेसिया के डाॅ. गौरव जैन आदि शामिल थे.

डीन प्रो जया चतुर्वेदी ने क्या कहा?

'यह एक बहुत ही जटिल केस था. जब मुझे बताया गया कि मामला क्रिटिकल होने की वजह से महिला की सर्जरी प्रक्रिया बीच में ही रोकनी पड़ी है तो हमने तत्काल संबन्धित विभागों की टीम को अलर्ट कर तैयार रहने के निर्देश दिए थे. इस प्रकार के मामलों में रोगी को एम्स जैसे टर्शीयरी केयर अस्पताल ले जाने में देरी नहीं करनी चाहिए. महिलाओं को भी अपने स्वास्थ्य के प्रति गंभीर रहने की आवश्यकता है.'
-प्रो. जया चतुर्वेदी, डीन एकेडमिक और विभागाध्यक्ष गायनी विभाग, एम्स ऋषिकेश-

कार्यकारी निदेशक प्रो मीनू सिंह क्या बोलीं?

'संस्थान में कुशल और अनुभवी शल्य चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है. जटिल स्थिति के बावजूद महिला की सफल सर्जरी कर हमारे डाॅक्टरों ने निःसदेह सराहनीय कार्य किया है. एम्स ऋषिकेश तकनीक आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को तेजी से विकसित कर रहा है. एम्स पहुंचने वाले प्रत्येक रोगी और घायल व्यक्ति का जीवन बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है.'
-प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश-

ये भी पढ़ें: सिस्टम की खामी! बीच ऑपरेशन में डॉक्टर ने खड़े किए हाथ, एयरलिफ्ट कर AIIMS लाई गई पेशेंट

Last Updated : Oct 2, 2024, 11:39 AM IST
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