धौलपुर : शहर की आशियाना कॉलोनी के पीछे रेलवे ट्रैक पर गुरुवार को एक मगरमच्छ घायल मिला, जिसे वन विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत करके रेस्क्यू किया. विभाग की टीम मगरमच्छ का उपचार कराकर उसे क्षेत्रीय वन अधिकारी चंबल सेंचुरी कार्यालय लेकर पहुंची, लेकिन सेंचुरी के अधिकारियों ने सुपुर्दगी लेने से मना कर दिया है. इस दौरान वन विभाग के कर्मचारियों से नोक-झोंक की भी नौबत आ गई.
वन विभाग की टीम के रेस्क्यू स्पेशलिस्ट राधा कृष्ण शर्मा ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी अमर सिंह, गोपाल सिंह, रामविलास और गजेंद्र सिंह को सूचना मिली कि आशियाना कॉलोनी के पीछे रेलवे ट्रैक पर एक मगरमच्छ चंबल नदी से पहुंच गया है, जो बुरी तरह से घायल हो चुका है. मगरमच्छ का मुंह बुरी तरह घायल होने के साथ पूंछ का पिछला हिस्सा कटा हुआ है. स्थानीय लोगों की सूचना पर विभाग के कर्मचारी और रेस्क्यू एक्सपर्ट राधा कृष्ण शर्मा मौके पर पहुंचे. टीम ने करीब 2 घंटे की मशक्कत के बाद कुशलतापूर्वक मगरमच्छ का रेस्क्यू किया. जिसका बाद में उपचार कराया गया. चिकित्सकों की टीम ने मगरमच्छ का उपचार करके करीब 8 दिन तक संरक्षण में रखकर उपचार कराने के निर्देश दिए थे. ऐसे में वन विभाग की टीम मगरमच्छ को क्षेत्रीय वन अधिकारी चंबल सेंचुरी नाका दीपक मीणा और विनोद कुमार के पास लेकर पहुंची. वहीं, रेंजर दीपक कुमार मीणा ने मगरमच्छ का रेस्क्यू अधिकार क्षेत्र में नहीं होने का हवाला देकर सुपुर्दगी लेने से मना कर दिया. इसी बात को लेकर वन विभाग के कर्मचारियों से उसकी बहस हो गई.
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विभाग ने लगाया बदतमीजी का आरोप : राधा कृष्ण शर्मा ने बताया कि वन्य एवं जलीय जीवों की रक्षा करना अपना काम है. मगरमच्छ को रेस्क्यू करके चंबल सेंचुरी कार्यालय में परवरिश और संरक्षण के लिए सुपुर्द करने आए थे, लेकिन चंबल सेंचुरी के अधिकारियों ने उनके साथ बदतमीजी की है. रेंजर विनोद कुमार ने कहा कि इस बेजुबान मगरमच्छ की जिम्मेदारी चंबल सेंचुरी विभाग की बनती है, लेकिन जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए घायल मगरमच्छ को संरक्षण देने से उन्होंने साफ इनकार कर दिया है. वहीं, सेंचुरी के अधिकारी दीपक कुमार मीणा ने बताया कि मगरमच्छ को वन विभाग ने रेस्क्यू किया है तो ऐसे में जिम्मेदारी वन विभाग की बनती है. अगर चंबल सेंचुरी मगरमच्छ का रेस्क्यू करती तो वो इसे अपने पास रखते.
दोनों विभाग की गफलत में बेजुबान की अटकी जान : वन विभाग एवं क्षेत्रिय चंबल सेंचुरी विभाग की गफलत में बेजुबान की जान अटकी पड़ी है. इस पूरे मिशन में वन विभाग की काफी सराहनीय भूमिका रही है. वन विभाग के कर्मचारियों ने कड़ी मशक्कत के बाद मगरमच्छ का रेस्क्यू करके पशु चिकित्सकों से बेहतर उपचार भी कराया है. घायल मगरमच्छ और घड़ियाल का उपचार कराने के बाद चंबल सेंचुरी में ही परवरिश की जाती है. फिलहाल घायल मगरमच्छ वन विभाग की गाड़ी में पड़ा हुआ है. वन विभाग की टीम मगरमच्छ को सुरक्षित रखने के लिए विकल्प तलाश रही है.