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नवरात्रि के पांचवे दिन करें स्कंदमाता की पूजा, संतान सुरक्षा में होगी उपयोगी, मां को लगाएं ये भोग - Skanda Mata worship

नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता की पूजा संतान की सुरक्षा के लिए की जाती है. जानिए स्कंद माता को क्या-क्या है प्रिय और किस चीज का भोग लगाएं.

SKANDA MATA WORSHIP
नवरात्रि के पांचवे दिन करें स्कंदमाता की पूजा, संतान सुरक्षा में होगी उपयोगी, मां को लगाएं ये भोग
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 12, 2024, 10:29 PM IST

शहडोल। चैत्र नवरात्रि चल रही है. 13 अप्रैल यानि की शनिवार को को चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन है. चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन किस देवी की पूजा की जाती है. किस विधि विधान से पूजा करें, कौन से रंग का पुष्प अर्पित करें, भोग में कौन सा प्रसाद चढ़ाएं, जानते हैं ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से.

पांचवें दिन करें स्कंद माता की पूजा

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंद माता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता की पूजा के लिए सर्वप्रथम सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे स्नान करें और व्रत करने का संकल्प करें. फिर इसके बाद ताम्र के लोटे में शुद्ध जल लेकर के देवी को स्नान कराएं. वहां पर फूल चावल अक्षत बेल पत्र अर्पित करें. इस बात का ध्यान रखें कि जब स्कंदमाता की पूजा करें तो पीला वस्त्र जरूर धारण करें, क्योंकि माता को पीला कलर बहुत पसंद है. जब माता को पुष्प अर्पित करें तो पीले कलर का ही पुष्प अर्पित करें तो स्कंदमाता बहुत प्रसन्न होती हैं.

जल के अलावा ये अभिषेक जरूर कराएं

जल से स्नान कराने के बाद स्कंदमाता को दूध, दही, गंगाजल, शहद, शक्कर से भी स्नान करावें और सूखा मेवा जैसे काजू,किशमिश, छुहारा, बादाम हो इसका भोग लगाएं. वहां पर आरती करें तो स्कंद माता बहुत प्रसन्न होती हैं. ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि स्कंदमाता को पंचामृत बहुत पसंद है. अगर पंचामृत का भोग लगाया जाए तो स्कंदमाता मनचाहा वर देती हैं. ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि अगर दूध से बनी कोई चीज उसमें पंचमेवा डालकर भोग लगाएं, खीर का भोग लगाएं तो भी माता बहुत प्रसन्न होती हैं.

यहां पढ़ें...

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संतान और परिवार का होता है कल्याण

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि अगर स्कंद माता की विधि विधान से पूजा की जाए. जिन चीजों से वो प्रसन्न होती हैं. वो चीज उन्हें अर्पित की जाए, तो माता प्रसन्न तो होती हैं. इसके अलावा माता अपने भक्तों को मनचाहा वर देती हैं. घर में समृद्धि होती है. परिवार में बरक्कत होती है. पूरे परिवार की रक्षा स्कंदमाता करती हैं. संतान की रक्षा होती है, संतान की तरक्की होती है, रुके हुए कार्य बनते हैं.

शहडोल। चैत्र नवरात्रि चल रही है. 13 अप्रैल यानि की शनिवार को को चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन है. चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन किस देवी की पूजा की जाती है. किस विधि विधान से पूजा करें, कौन से रंग का पुष्प अर्पित करें, भोग में कौन सा प्रसाद चढ़ाएं, जानते हैं ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से.

पांचवें दिन करें स्कंद माता की पूजा

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंद माता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता की पूजा के लिए सर्वप्रथम सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे स्नान करें और व्रत करने का संकल्प करें. फिर इसके बाद ताम्र के लोटे में शुद्ध जल लेकर के देवी को स्नान कराएं. वहां पर फूल चावल अक्षत बेल पत्र अर्पित करें. इस बात का ध्यान रखें कि जब स्कंदमाता की पूजा करें तो पीला वस्त्र जरूर धारण करें, क्योंकि माता को पीला कलर बहुत पसंद है. जब माता को पुष्प अर्पित करें तो पीले कलर का ही पुष्प अर्पित करें तो स्कंदमाता बहुत प्रसन्न होती हैं.

जल के अलावा ये अभिषेक जरूर कराएं

जल से स्नान कराने के बाद स्कंदमाता को दूध, दही, गंगाजल, शहद, शक्कर से भी स्नान करावें और सूखा मेवा जैसे काजू,किशमिश, छुहारा, बादाम हो इसका भोग लगाएं. वहां पर आरती करें तो स्कंद माता बहुत प्रसन्न होती हैं. ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि स्कंदमाता को पंचामृत बहुत पसंद है. अगर पंचामृत का भोग लगाया जाए तो स्कंदमाता मनचाहा वर देती हैं. ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि अगर दूध से बनी कोई चीज उसमें पंचमेवा डालकर भोग लगाएं, खीर का भोग लगाएं तो भी माता बहुत प्रसन्न होती हैं.

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संतान और परिवार का होता है कल्याण

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि अगर स्कंद माता की विधि विधान से पूजा की जाए. जिन चीजों से वो प्रसन्न होती हैं. वो चीज उन्हें अर्पित की जाए, तो माता प्रसन्न तो होती हैं. इसके अलावा माता अपने भक्तों को मनचाहा वर देती हैं. घर में समृद्धि होती है. परिवार में बरक्कत होती है. पूरे परिवार की रक्षा स्कंदमाता करती हैं. संतान की रक्षा होती है, संतान की तरक्की होती है, रुके हुए कार्य बनते हैं.

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