चंडीगढ़: भारतीय किसान यूनियन चढ़ूनी ग्रुप के प्रतिनिधि मंडल ने चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ उनके आवास पर मुलाकात की. जिसमें उन्होंने किसानों से संबंधित 13 मांगों का ज्ञापन सीएम को दिया. साथ ही इस दौरान उन्होंने खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन को लेकर भी अपनी बात सीएम नायब सैनी के सामने रखी.
गुरनाम चढूनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी सीएम से अच्छे और सौहार्दपूर्ण माहौल में मुलाकात हुई है. सीएम नायब सैनी ने हर माँग पर विस्तार से चर्चा करने का आश्वासन दिया है. सीएम ने बैठक के लिए अधिकारी भी बुलाए थे और उनका रुख हमारी मांगों को लेकर सकारात्मक था. जगजीत सिंह डल्लेवाल के संबंध में चढूनी ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री से कहा है कि आप केन्द्र सरकार से बात करें और मध्यस्थता करें और बातचीत शुरू करवाई जाए.
गुरनाम चढूनी ने कहा कि हमारा एजेंडा एक है, और दोनों संगठनों को दोबारा विचार करना चाहिए. राजनीतिक गैर राजनैतिक की शर्त हटानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हरियाणा में किसानों का कोई मुद्दा नहीं है. किसानों को अभी तक बीमा नहीं मिला है और 13 मुद्दे हमने CM के सामने रखे हैं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी द्वारा मीटिंग बुलाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हमारे पास कोई लेटर नहीं आया है. सेलेक्टेड संगठनों को बुलाया गया है अगर बुलाएंगे तो हम ज़रूर जाएंगे. उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है. आंदोलन कर रहे किसानों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से बातचीत करनी चाहिए. बातचीत के जरिए ही समस्या का समाधान होगा.
क्या हैं बीकेयू की 13 मांगें
1. तीन कृषि कानूनों को दोबारा से लाने की ओर अग्रसर केंद्र सरकार: केंद्र सरकार द्वारा कृषि विपणन (बजार) पर राष्ट्रीय नीति ढांचा मसौदा प्राइवेट मंडी बारे आया है, उसको हरियाणा के किसान पूरी तरह से नकारते हैं क्योंकि प्राइवेट यार्ड को मंडी मानने से मंडियो में प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाएगी. छोटे व्यापारी खत्म होकर केवल बड़े व्यापारी ही बचेंगे. सरकारी एजेंसी हैफेड के भी मायने खत्म हो जाएंगे. मंडियो के पूरे आढ़ती, मुनीम, मजदूर, ट्रांसपोर्टेशन, बारदाना, वाले सभी बेरोजगार हो जाएंगे. मंडी में आने वाला राजस्व खत्म हो जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्र का विकास रूकेगा और आम लोगों को खाद्य पदार्थ महंगे रेटों पर मिलेंगे. जिससे देशभर में भुखमरी बढ़ेगी. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इस कृषि ड्राफ्ट का हम विरोध करते हैं. कृपया केंद्र सरकार से इसको रद्द करवाया जाए.
2. आपसे विनती है कि आंदोलन 2021 की शेष रही मांगों सहित न्यूनतम समर्थन मूल्य (M.S.P.) को लेकर हरियाणा पंजाब के बॉर्डर पर किसान आंदोलनरत हैं. इस आंदोलन में सरदार जगजीत सिंह जी किसानो की माँगो को लेकर पिछले कई दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं उनकी सेहत बेहद नाजुक स्थिति में है. आंदोलनरत किसानों की सभी मांगें जायज व तथ्यात्मक हैं. किसानों की इन मांगों का हमारे संगठन का पूर्ण समर्थन है. केंद्र सरकार से जल्द से जल्द आंदोलनरत किसानों से पुनः बातचीत शुरू करवाकर सरदार जगजीत सिंह के जीवन को बचाए.
3. हरियाणा सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में फसलें खरीद की अधिसूचना को विधानसभा में पास करवाकर कानून बनाया.
4. इस बार गन्ना की फसल कम है. शुगर मिलें गन्ना कम होने के कारण आपस में एक-दूसरे का गन्ना खरीद रही हैं. गन्ने का भाव कम होने के कारण इस बार बिजाई कम होने की संभावना है, जिससे अगले साल गन्ने की खेती कम होगी और गन्ने का क्षेत्र धान की फसल में बदल जाएगा, जिससे बिजली और पानी के नुकसान के साथ-साथ सरकार को धान खरीद में भी दिक्कत आएगी. गन्ने का भाव पिछले काफी वर्षों से बाजार की महँगाई दर के अनुपात में काफी कम बढ़ाया गया जबकि इस दौरान किसान की इस फसल पर लेबर, कीटनाशक दवाइयों, उर्वरकों (खाद) व डीजल के रेटों में भारी वृद्धि हुई है. इसलिए गन्ने का भाव 450/- रुपए प्रति किवंटल तय किया जाए.
5. हरियाणा में किसानों पर साल 2020-21 वाले आंदोलन से पहले के कई मुकदमे दर्ज हैं. आंदोलन के पहले के सभी मुक़दमे वापस लिए जाने की सहमति पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी द्वारा जताई जा चुकी है और शाहबाद व कुरुक्षेत्र में 6 जून, 12 जून 2023 सूरजमुखी की MSP लागू करवाने को लेकर 2 मुकदमे दर्ज किए गए थे. आंदोलन के समझौते के समय प्रशाशन से दोनों मुकदमों की वापसी की सहमति पर समझौता हुआ था. परंतु आज तक वह केस भी वापस नहीं लिए गए हैं. इसी प्रकार किसान आंदोलन 2020-21 से पूर्व व बाद के काफी मुक़दमे अभी भी चल रहे हैं. जिस कारण से किसानों के पासपोर्ट व नए असला लाईसन्स व पुराने असला लाइसंसो का पंजीकरण नहीं हो रहा है. इसलिए किसानों के आज तक के सभी नए व पुराने मुकदमे वापस लिए जाएं.
6. किसान क्रेडिट कार्ड व अन्य लोन में किसानों व रकम का बीमा करवाया जाए, ताकि किसान के साथ किसी भी प्रकार की दुर्घटना व अनहोनी के कारण पीछे परिवार को आर्थिक बोझ ना उठाना पड़े और परिवार को मानसिक तनाव ना झेलना पड़े. जिस प्रकार मकान के लोन व गाड़ी के लोन में बैंक अपनी रकम सुरक्षित के लिए बीमा करवाते हैं, उसी प्रकार किसान के क्रेडिट कार्ड व लोन की रकम के लिए बीमा सुरक्षा जरूरी है, जिसका प्रीमियम राज्य सरकार अदा करे.
7. सोसायटी में किसानों के नए खाते नहीं बनाए जा रहे हैं. जिस परिवार के मुखिया की मृत्यु हुई है उसके परिवार के किसी भी सदस्य का उसकी मृत्युपरांत भी नया खाता नहीं बनाया जा रहा है. इसके साथ लोन की लिमिट भी काफी समय से नही बढ़ाई गई है, परंतु खेती की लागत हर वर्ष बढ़ रही है. जिस कारण से किसान को आर्थिक व मानसिक परेशानी उठानी पड़ रही है. आपसे विनती है कि कृपया किसानों के नए खाते बनाए जाएं और लोन की लिमिट बढ़ाई जाए.
8. मनरेगा को खेती से जोड़ा जाए, ताकि खेती में मजदूरों की भारी कमी को पूरा किया जा सके. दूसरी तरफ मनरेगा में मजदूरों को रोजगार देने में सरकार को परेशानियों का सामना ना करना पड़े. मनरेगा को खेती से जोड़ने से सरकार का राजस्व का भी लाभ होगा और किसानों को मजदूरों की कमी भी दूर होगी. इसलिए आपसे विनती है कि मनरेगा को खेती से जोड़ा जाए.
9. धान के सीजन के दौरान सूखा पड़ने से सरकार ने प्रति एकड 2 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी लेकिन बहुत से किसानों को अब तक मुआवजा नही मिला, जल्दी मुआवजा दें.
10. मंडी के अंदर फसल उठान में हर साल ठेकेदार पैसे लेने की नीयत से जानबूझकर उठान में देरी करते हैं और गोदाम मे उतारने वाली लेबर उतारने में देरी करके ट्रक वालों को ब्लैकमेल करती है. अनुरोध है कि जो आढ़ती सरकारी रेटों पर अपने मजदूर व ट्रांसपोर्ट से सरकार द्वारा निर्धारित भंडारण स्थल पर ले जाना चाहे तो उसे यह छूट दी जानी चाहिए.
11. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मे साल 2021, 22, 23, के रिलायंस बीमा कंपनी द्वारा सोनीपत के किसानों का अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है जबकि कई बार जिला प्रशासन भी बीमा कंपनी को मुआवजा देने के लिए लिख चुका है परंतु कंपनियों ने इस पर कोई भी जवाब नहीं दिया. कृपया फसल बीमा क्लेम जल्दी दिलवाया जाए और दोषी बीमा कंपनी पर कार्यवाही की जाए.
12. हरियाणा के किसानों का उत्तराखंड इकबालपुर (उत्तराखंड) शुगर मिल में 2017-18 का लगभग 34 करोड रुपए गन्ने का पैसा बकाया है जो किसानों को ब्याज सहित दिलवाया जाए. लेकिन शुगर मिल किसानो को पैसा देने में आना कानी करके हर बार टरका देती है.
13. सारसों, सूरजमुखी, बाजरा की औसतन पैदावार को 10 से 12 किवंटल प्रति एकड़ किया जाए.
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