दुर्ग: पुनीत राम के पिता किसान और माता ग्रहिणी हैं. पुनीत की कामयाबी से परिजन खुश हैं. परिजनों ने कहा है कि पुनीत ने जिले सहित परिवार का नाम रोशन किया है. पुनीत राम ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि वह तिल्दा के पास के गांव छपारा के रहने वाले हैं. पूरी पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई है. इंजीनियरिंग भी एक सरकारी कॉलेज से ही कंप्लीट हुई. दो भाई और दो बहन हैं और पुनीत ही सबसे बड़े हैं.
8वीं बार में सीजीपीएससी में चयन: पुनीत राम ने बताया कि घर की स्थिति देखकर किसी भी हाल में नौकरी करना था. 2011 में शिक्षाकर्मी में चयनित हो गया,लेकिन उस समय इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, इसलिए शिक्षाकर्मी में ज्वाइन नहीं किया. 2018 पीएससी में मेरा सिलेक्शन सहायक अधीक्षक पद पर हो गया और इस पद पर रहते हुए समय निकालकर पढ़ाई किया और इस बार सीजीपीएससी में 9वीं रैंक हासिल हुई है.
मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. लगातार प्रयास और नाकामी से सीखते हुए सफलता तक पहुंचा जा सकता है. प्रयास में समर्पण और निष्ठा बेहद जरूरी है. आपको अपने लक्ष्य का पीछा करना होता है और कामयाबी उसी के बूते ही मिल पाती है-पुनीत राम, CGPSC 9th रैंक
पुनीत राम कहते हैं कि वह न तो फेसबुक पर हैं और ना ही व्हाट्सएप चलाते हैं. फोन का उपयोग सिर्फ बात करने के लिए करते हैं. पुनीत राम बताते हैं कि स्कूल कभी भविष्य डिसाइड नहीं करता. सरकारी स्कूल या छोटे स्कूल में पढ़कर भी उच्च पद पर पहुंचा जा सकता है.
गांव के स्कूल में की 12वीं तक की पढ़ाई: पुनीत राम ने अपने जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि वह तिल्दा के पास छपोरा गांव का रहने वाला हूं. प्रायमरी स्कूल की पढ़ाई गांव से पूरी हुई. मिडिल और हाईस्कूल की पढ़ाई पास के एक गांव से किया है. ग्रेजुएशन गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज रायपुर से किया है. गवर्नमेंट या प्राइवेट जॉब करना मेरी प्राथमिकता थी. प्राइवेट जॉब नहीं मिला. फिर कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी की. छह महीने में ही मुझे छात्रावास अधीक्षक की जॉब मिली. फिर भी तैयारी करता रहा. 2020 से वर्तमान में सहायक अधीक्षक भूअभिलेख पद पर पदस्थ हूं.
पुनीत राम ने ETV भारत से बताया "उन्होंने तैयारी कंटीन्यू रखा. 2016 से लेकर लगातार 8 पीएससी दिया. हर बार इंटरव्यू तक जाता रहा. तीन बार छोटे छोटे पद पर सिलेक्शन हुआ लेकिन मैंने ज्वाइन नहीं किया. अब मुझे 9वीं रैंक मिली है. यह मेरे लिए बहुत बड़ा अचीवमेंट है. एक किसान परिवार के बच्चे और सरकारी स्कूल से पढ़े लिखे को सफलता मिली है."
मेरा मानना है कि स्कूल डिसाइड नहीं करता कि आपको नौकरी लगेगी या नहीं. आज गवर्नमेंट स्कूल से निकले बच्चे भी अच्छे पदों पर नौकरी कर रहे हैं: पुनीत राम, , CGPSC 9th रैंक
पुनीत राम आगे बताते हैं कि जब 2016 में नौकरी लगी तो घरवालों ने शादी का प्रस्ताव रखा. लेकिन मैंने मना किया. 2020 में जब सहायक अधीक्षक बना तो दोबारा प्रस्ताव आया लेकिन मैंने फिर मना किया. घरवालों को पीएससी के बारे में कुछ पता नहीं है. परिजन बस इतना जानते हैं कि पीएससी परीक्षा देने पर अधिकारी बनते हैं.
युवाओं को पुनीत राम का संदेश: युवा साथियों से कहना चाहता हूं कि जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं. कभी सुख है तो कभी दुख है. 8 साल के दौरान हताश होने के कई अवसर आए. लेकिन उत्साह उमंग के साथ डटे रहा. कभी लगता था कि मैं टूट चुका हूं, लेकिन हिम्मत नहीं हारा. इस बार का रिजल्ट बेहतर रहा. परिवार, दोस्त, साथी अधिकारी कर्मचारियों का साथ मिला.
जीवन एक गाड़ी है. उतार चढ़ाव आते रहते हैं. कभी कभी आपको तैयारी करते करते ऐसी स्थिति आती है कि आप लगातार सफल होते रहते हैं. कई बार ठहराव आता है. गाड़ी रुक जाती है. वहां आपको धैर्य, धीरज, आत्मसंयम बनाए रखना है. पीएससी में एक बार अगर प्री नहीं निकला तो आपको साल भर इंतजार करना पड़ता है. हताश नहीं होना चाहिए.
जीवन में आप ईमानधारी, धैर्य, अनुशासन और लक्ष्य निर्धारित कर मेहनत करते हैं तो आप जरुर सफल होते हैं. हमेशा सकारात्मक रहें, निगेटिविटी से दूर रहें: पुनीत राम, , CGPSC 9th रैंक
"घर में सिर्फ 4-5 एकड़ की खेती, नहीं होती थी ज्यादा पैदावार": पीएससी के की तैयारी के दौरान आने वाली कठिनाइयों के बारे में वह बताते है कि कॉलेज के दौरान रहने खाने की दिक्कत आती थी. हमारे पास चार पांच एकड़ की खेती थी लेकिन ज्यादा पैदावार नहीं होती थी. पिताजी आसपास के लोगों के पास रोजी मजदूरी भी करते थे, क्योंकि खेती किसानी से ज्यादा कमाई नहीं होती थी. मैं रुम शेयर कर रायपुर में रहता था. मुझे बस तीन हजार रुपए मिलते थे. इसी पैसे में रूम रेंट, किताब कापी, खाना सब मैनेज करना पड़ता था.
पुनीत बताते हैं "हॉस्टल मेरे लिए बहुत सपोर्टिव रहा. हमारे छात्रावास अधीक्षक माधव सर का बहुत सपोर्ट मिला. वह मेरे लिए बहुत कारगर साबित हुआ. मैंने घर से मिले पैसे को डिपाजिट किया और उस पैसे से छात्रावास अधीक्षक के पद के लिए पढ़ाई की. छात्रावास अधीक्षक का पद मेरे लिए बड़ी चुनौती थी. मेरे साथी कहते थे कि इतना पढ़ता है कि तू मर जाएगा. मैं कहता था कि मेरे लिए यह करो या मरो की स्थिति है.
सीजीपीएससी में पुनीत राम का 9वां रैंक: पुनीत कहते हैं छात्रावास अधीक्षक बना तो मेरे लिए आर्थिक तंगी खत्म हुई. इसके बाद मेरे सामने पढ़ाई का लक्ष्य था. मुझे लगा कि छात्रावास अधीक्षक छह महीने में बन सकते हैं तो आगे कुछ और कर सकते हैं. फिर 2018 में सहायक अधीक्षक बना और अब पीएससी में 9वां रैंक लगा है. बहुत खुशी है.