रायपुर:छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा का अधिकार कानून यानी आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों की मनमानी किए जाने पर सख्त नजर आ रही है. सरकार इस मामले में प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसने की तैयारी भी कर रही है. मामले में स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने ड्राप आउट पर रिपोर्ट मांगा है. साथ ही कलेक्टरों को पिछले 5 साल के ड्राप आउट की समीक्षा करने को कहा है. ऐसे में प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों की चिंता बढ़ गई है.
70 करोड़ रुपया का भुगतान बाकी: दरअसल, छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचालनालय से मिली जानकारी के मुताबित निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम यानी कि आरटीई अंतर्गत साल 2022-23 में प्राइवेट स्कूलों को जनवरी 2024 से अप्रैल 2024 तक साल 2022-23 के लिए नर्सरी से 8वीं के स्टूडेंट की शुल्क प्रतिपूर्ति 185.91 करोड़ रुपए निजी स्कूलों के खाते में ट्रांसफर की जा चुकी है. साथ ही 9वीं क्लास से 12वीं तक के स्टूडेंट्स की शुल्क प्रतिपूर्ति 20.71 करोड़ रुपए के विरूद्ध कुल 134 करोड़ 30 लाख 27 हजार 339 रूपए की राशि निजी स्कूलों के खाते में ट्रांसफर की जा चुकी है. यानी कि साल 2022-23 में शेष लंबित राशि लगभग 70 करोड़ रूपए के भुगतान की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है.
वहीं, साल 2023-24 की प्रतिपूर्ति के लिए सत्रांत अगस्त माह का समय निर्धारित है. विद्यालयों की ओर से समय-सीमा में दावा आपत्ति किए जाने के बाद शुल्क प्रतिपूर्ति राशि के भुगतान की जाएगी. इसे लेकर लोक शिक्षण संचालनालय ने स्पष्ट किया गया है कि आरटीई के तहत निजी विद्यालयों को शुल्क प्रतिपूर्ति के लगभग 285 करोड़ रूपए की राशि लंबित होने की खबर गलत है.