धमतरी: जल संरक्षण की कवायद को आगे बढ़ाने के मकसद से धमतरी में वाटर कंजर्वेशन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार इस आयोजन की मेजबानी कर रही है. धमतरी में पांच और छह अक्टूबर को यह सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. यह दो दिनों का होगा. जल विभाग और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के मुताबिक इस सम्मेलन का उद्देश्य जल संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम जल जगर पहल के माध्यम से पानी की कमी को दूर करना है.
पानी को बचाने पर होगा मंथन: इस सम्मेलन में पानी की मुहिम को बचाने पर चर्चा होगी. इसमें उन किसानों के योगदान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. जिन्होंने विविध फसलों को खेती में अपनाया है. इस तरीके से मिट्टी की शक्ति बढ़ी और जिले में जल संरक्षण भी हुआ है. पानी पर विचार के साथ साथ इस संदर्भ में दुनिया के क्या विचार हैं उसे भी लोगों तक पहुंचाने का काम इस सम्मेलन के जरिए किया जाएगा. इसके तहत कई चर्चाएं होंगी.
सीएम साय के नेतृत्व में जल संरक्षण जिले में बढ़ा: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में जल-जगर अभियान छत्तीसगढ़ में जल संकट से निपटने के लिए एक बेहतर उपाय के तौर पर साहित हुआ है. मुख्यमंत्री ने लोगों से इस कार्यक्रम में भाग लेने और जिले के परिवर्तन को प्रत्यक्ष रूप से देखने का आग्रह किया है. सीएम साय ने कहा कि जल-जगर धमतरी जिले में जल संरक्षण के लिए शुरू किया गया एक महत्वाकांक्षी अभियान है. इसमें जिले में जल संकट को दूर करने और प्रभावी जल संरक्षण का मार्ग हासिल करने में मदद मिलेगी. यह अभियान राष्ट्रीय जल मिशन के कैच द रेन और व्हेयर इट फॉल्स कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है. यह देश भर में लोगों को पानी के संरक्षण के प्रति सजग और प्रोत्साहित करता है. उससे जुड़ी जिम्मेदारी को बताता है.
धमतरी में जल संरक्षण की दिशा में कई कार्य हुए: केंद्रीय भूजल बोर्ड और राष्ट्रीय वाटरशेड के सर्वे के बाद धमतरी को 151 जिलों में चुना गया. यह जिला भूजल की कमी के प्रति संवेदनशील है. छत्तीसगढ़ सरकार और धमतरी जिला प्रशासन ने भूजल स्तर बढ़ाने के लिए जल जगर अभियान शुरू किया. इस अभियान से जिले ने प्रगति की और सूखे क्षेत्रों में पानी के स्रोत उभर उठे. इस जिले में लोग एक पेड़ माँ के नाम और बेटियों के नाम पहल के तहत पेड़ लगाकर हरियाली को बढ़ावा दे रहे हैं. जल-जागर का एक प्रमुख घटक नारी शक्ति से जल शक्ति भी है. जिसे बढ़ावा मिला है. इसके तहत जल संरक्षण को लेकर महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी गई. जिले के प्रत्येक ब्लॉक में जल शक्ति केंद्रों की स्थापना की गई है. इसमें मध्य प्रदेश के पर्यावरणविद् नीरज वानखेड़े ने अहम भूमिका निभाई है.
नीरज वानखेड़े ने निभाई अहम भूमिका: जल संरक्षण की दिशा में जल पुरुष के रूप में विख्यात पर्यावरणविद् नीरज वानखेड़े ने लोगों को ट्रेन किया. लोगों के अंदर पानी के संरक्षण को लेकर जागरुकता बढ़ाई है. इसके तहत भारतमाला परियोजना के जरिए 121 तालाब, जिन्हें अमृत सरोवर के रूप में जाना जाता है, बनाए गए हैं. इससे बजरी निष्कर्षण स्थलों को जल निकायों में बदल दिया गया. इसके अतिरिक्त, गंगरेल बांध की खुदाई के दौरान 35 ट्रक प्लास्टिक कचरा हटाया गया, जिससे जल निकायों के आसपास स्वच्छता बनाए रखने के महत्व पर बल दिया गया.जल-जगर अभियान को पीकू नामक शुभंकर और जल संरक्षण संदेश देने वाली 10 एनिमेटेड फिल्मों की श्रृंखला के माध्यम से आगे बढ़ाया गया है.इसके लिए कई प्रचार के सामान भी बांटे गए.
जिले में पूरे साल जल स्तर में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो फसल चक्र और जल संरक्षण पहल में सकारात्मक बदलाव को दिखाता है. इस सफलता का श्रेय जल-जगर पहल के प्रभावी कार्यान्वयन को दिया जाना चाहिए. जिसने भूजल स्तर और पानी की उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार किया है: नम्रता गांधी, कलेक्टर, धमतरी
पर्यावरण संतुलन पर हुआ काम: छत्तीसगढ़ में पर्यावरण संतुलन के क्षेत्र में भी काम हुए हैं. मुख्यमंत्री ने हरित आवरण के संरक्षण और जल निकायों के संरक्षण के माध्यम से पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया. जिससे जिले में तालाबों के जीर्णोद्धार और वर्षा जल संचयन पहलों को बढ़ावा दिया गया. जल निकायों की जियो-टैगिंग और इंडेक्सिंग की गई, जिसके तहत सभी जल स्रोतों की पहचान की गई और उनका डिजिटल मानचित्रण किया गया. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में जल शक्ति केंद्र का निर्माण किया गया. जिसके जरिए लोगों को पानी बचाने और उसके उचित उपयोग के तरीकों के बारे में ट्रेन किया गया.
सोर्स: एएनआई