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नक्सल उन्मूलन को लेकर सरकार की कारगर नीति,जानिए पहले और अब में क्या है अंतर - NAXAL ERADICATION

नक्सल उन्मूलन को लेकर सरकार फ्रंट फुट पर है.सरकार अपनी नीति और फोर्स के सहारे 2026 तक लाल आतंक पर काबू पाना चाहती है.

policy regards Naxal eradication
नक्सल उन्मूलन को लेकर सरकार की कारगर नीति (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 6, 2024, 6:16 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खात्मे के लिए 2026 की डेडलाइन केंद्र सरकार ने जारी की है.जिसे लेकर प्रदेश की विष्णुदेव साय सरकार फोर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. बात यदि इस साल की करें तो जनवरी 2024 से लेकर नवंबर 2024 तक सुरक्षा बल ने 257 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया है. अब तक 861 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं.जबकि 789 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. नक्सलियों के खिलाफ सरकार का ये अभियान जारी रहेगा.

नक्सलियों के खिलाफ पहली बार बड़ा प्लान : नक्सल एक्सपर्ट की माने तो इतनी बड़ी कार्रवाई नक्सलियों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई पहले नहीं हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद के खात्मे के लिए 2026 तक की डेडलाइन तय की है. जिसे पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार नक्सलियों को जड़ से उखाड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है. नक्सलियों में दहशत पैदा करने उनके मांद में घुसकर हमला बोला जा रहा है. एनकाउंटर किया जा रहा है, काफी संख्या में नक्सलियों की गिरफ्तारी भी हो रही है , इतना ही नहीं नक्सली लगातार आत्म समर्पण भी कर रहे हैं.

नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश : दूसरी ओर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के विकास उत्थान के लिए लगातार सरकार काम कर रही है. शिक्षा स्वास्थ्य पर जोर दिया जा रहा है, शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिए जा रहे हैं. बस्तर ओलंपिक जैसे खेलों का आयोजन किया जा रहा है जिससे उन क्षेत्रों में नक्सलियों का भय खत्म हो और शांति का वातावरण बन सके.

प्लान बी पर सरकार कर रही काम : नक्सलियों के खात्मे को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री पहले ही कई बार कह चुके हैं कि बातचीत के रास्ते खुले हुए, उन्होंने कभी बातचीत से रोक नहीं है, हालांकि इन दिनों वे यह बात नहीं बोल रहे हैं .उन्होंने पूर्व में जो बोला था, उसे सरकार गंभीरता से ले रही है. बातचीत का मतलब यही है कि आप आत्मसमर्पण कीजिए, आपकी शिक्षा, रोजगार ,प्रधानमंत्री आवास इसकी व्यवस्था सरकार करेगी. नक्सलियों से निपटने पहले बोली और फिर गोली होनी चाहिए.

नक्सल उन्मूलन को लेकर सरकार की कारगर नीति (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सली के मुद्दे को लेकर बड़ा ऐलान किया था, उन्होंने चुनावी सभाओ में छत्तीसगढ़ को 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त करने का वादा किया था. अब इस बात के अनुरूप नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तेजी से सुरक्षा बल के कैंप खोले जा रहे हैं. इतने कैम्प पहले कभी नहीं खोले गए. पूर्व की बात की जाए तो जवानों और नक्सलियों की मुठभेड़ में नक्सली कम मरते थे और जवान ज्यादा शहीद होते थे. लेकिन अब की मुठभेड़ में जवान कम शहीद हो रहे हैं और नक्सली ज्यादा मारे जा रहे हैं- अनिरुद्ध दुबे , वरिष्ठ पत्रकार

सरकार की नीतियों का बड़ा असर : वहीं सैन्य मनोवैज्ञानिक एवं रक्षा विशेषज्ञ डॉ. वर्णिका शर्मा का कहना है कि जब भी कोई सरकार आती है तो वह अपनी कुछ नीतियों को लेकर आती है और उसके तहत ही काम करती है, जिसके तहत कोई सरकार आक्रामक तरीका अपनाती है तो कोई सरकार सुरक्षात्मक तरीके अपनाती हैं. लेकिन इस सरकार ने एक नई नीति के तहत काम किया है, पैरेलर मोर्चे पर काम करना शुरू किया है.नक्सल प्रभावित क्षेत्र को तीन कैटिगरी रेड ऑरेंज और ग्रीन में रखा गया है. अत्यधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र, मध्य नक्सल क्षेत्र और आंशिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र , इन तीनों क्षेत्र के अनुसार सरकार ने नक्सलियों की मांद में घुसकर कार्रवाई की है. जिसे पुख्ता कार्रवाई कहा जा सकता है. इससे सुरक्षा बल का मनोबल भी काफी बढ़ा है

नक्सली कार्रवाई करें या फिर जवान दोनों का केंद्र बिंदु वहां की जनता होती है. ऐसे में यदि आम जनता का मन नहीं जीतेंगे ,जब तक उन तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंचाया जाएगा, तब तक हम यह नहीं मान सकते नक्सल उन्मूलन की कगार पर है. इसी वजह से इस सरकार ने 2026 को टारगेट किया है. उसमें पैरेलर यानी समानांतर योजनाएं चला रहे हैं. एक तरफ क्षेत्र में पुख्ता तरीके से कम कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कॉन्फिडेंस ओर विश्वास बहाली के तमाम उपाय किए जा रहे हैं.इसके तहत उन क्षेत्रों में खेल को बढ़ावा देने के लिए ओलंपिक का आयोजन किया गया. वहां पर नियद नेल्ला नार योजना (आपका अच्छा गांव) शुरू की गई. इसके तहत कैंप के आसपास विकास को फोकस किया गया है. यहां के लोगों कोई समस्या होती थी वह कैंप में आकर कहते थे. - डॉ वर्णिका शर्मा, सैन्य मनोवैज्ञानिक एवं रक्षा विशेषज्ञ

कैंप खुलने से बड़ा बदलाव : डॉ. वर्णिका शर्मा ने कहा कि पहले कैंप काफी दूर होते थे. तो सुरक्षा बलों को कार्रवाई करने के लिए काफी दूर तक पैदल जाना पड़ता था. उस दौरान कई बार नक्सली घटनाएं भी होती थी ,एंबुश में सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचता था. लेकिन अब घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी चौकियां बन चुकी है. ऐसी बहुत सी चीज है जो समानांतर रूप से चल रही है. इन दिनों एनकाउंटर से ज्यादा आत्म समर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या कहीं ज्यादा है. इससे यह जाहिर होता है कि सरकार की पुनर्वास नीति हो या फिर कोई और नीति हो , कुछ लोगों में अंदर में विश्वास जगा है. बहुत दिन से वहां के युवा यह प्रतीक्षा कर रहे थे कि हम क्यों विकास से अछूते रहे . वह भी रास्ता देख रहे थे कि कोई उनको विकास की बयार से अवगत कराए, जो आज के दिनों में देखने को मिली है.

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खात्मे के लिए 2026 की डेडलाइन केंद्र सरकार ने जारी की है.जिसे लेकर प्रदेश की विष्णुदेव साय सरकार फोर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. बात यदि इस साल की करें तो जनवरी 2024 से लेकर नवंबर 2024 तक सुरक्षा बल ने 257 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया है. अब तक 861 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं.जबकि 789 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. नक्सलियों के खिलाफ सरकार का ये अभियान जारी रहेगा.

नक्सलियों के खिलाफ पहली बार बड़ा प्लान : नक्सल एक्सपर्ट की माने तो इतनी बड़ी कार्रवाई नक्सलियों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई पहले नहीं हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद के खात्मे के लिए 2026 तक की डेडलाइन तय की है. जिसे पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार नक्सलियों को जड़ से उखाड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है. नक्सलियों में दहशत पैदा करने उनके मांद में घुसकर हमला बोला जा रहा है. एनकाउंटर किया जा रहा है, काफी संख्या में नक्सलियों की गिरफ्तारी भी हो रही है , इतना ही नहीं नक्सली लगातार आत्म समर्पण भी कर रहे हैं.

नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश : दूसरी ओर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के विकास उत्थान के लिए लगातार सरकार काम कर रही है. शिक्षा स्वास्थ्य पर जोर दिया जा रहा है, शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिए जा रहे हैं. बस्तर ओलंपिक जैसे खेलों का आयोजन किया जा रहा है जिससे उन क्षेत्रों में नक्सलियों का भय खत्म हो और शांति का वातावरण बन सके.

प्लान बी पर सरकार कर रही काम : नक्सलियों के खात्मे को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री पहले ही कई बार कह चुके हैं कि बातचीत के रास्ते खुले हुए, उन्होंने कभी बातचीत से रोक नहीं है, हालांकि इन दिनों वे यह बात नहीं बोल रहे हैं .उन्होंने पूर्व में जो बोला था, उसे सरकार गंभीरता से ले रही है. बातचीत का मतलब यही है कि आप आत्मसमर्पण कीजिए, आपकी शिक्षा, रोजगार ,प्रधानमंत्री आवास इसकी व्यवस्था सरकार करेगी. नक्सलियों से निपटने पहले बोली और फिर गोली होनी चाहिए.

नक्सल उन्मूलन को लेकर सरकार की कारगर नीति (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सली के मुद्दे को लेकर बड़ा ऐलान किया था, उन्होंने चुनावी सभाओ में छत्तीसगढ़ को 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त करने का वादा किया था. अब इस बात के अनुरूप नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तेजी से सुरक्षा बल के कैंप खोले जा रहे हैं. इतने कैम्प पहले कभी नहीं खोले गए. पूर्व की बात की जाए तो जवानों और नक्सलियों की मुठभेड़ में नक्सली कम मरते थे और जवान ज्यादा शहीद होते थे. लेकिन अब की मुठभेड़ में जवान कम शहीद हो रहे हैं और नक्सली ज्यादा मारे जा रहे हैं- अनिरुद्ध दुबे , वरिष्ठ पत्रकार

सरकार की नीतियों का बड़ा असर : वहीं सैन्य मनोवैज्ञानिक एवं रक्षा विशेषज्ञ डॉ. वर्णिका शर्मा का कहना है कि जब भी कोई सरकार आती है तो वह अपनी कुछ नीतियों को लेकर आती है और उसके तहत ही काम करती है, जिसके तहत कोई सरकार आक्रामक तरीका अपनाती है तो कोई सरकार सुरक्षात्मक तरीके अपनाती हैं. लेकिन इस सरकार ने एक नई नीति के तहत काम किया है, पैरेलर मोर्चे पर काम करना शुरू किया है.नक्सल प्रभावित क्षेत्र को तीन कैटिगरी रेड ऑरेंज और ग्रीन में रखा गया है. अत्यधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र, मध्य नक्सल क्षेत्र और आंशिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र , इन तीनों क्षेत्र के अनुसार सरकार ने नक्सलियों की मांद में घुसकर कार्रवाई की है. जिसे पुख्ता कार्रवाई कहा जा सकता है. इससे सुरक्षा बल का मनोबल भी काफी बढ़ा है

नक्सली कार्रवाई करें या फिर जवान दोनों का केंद्र बिंदु वहां की जनता होती है. ऐसे में यदि आम जनता का मन नहीं जीतेंगे ,जब तक उन तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंचाया जाएगा, तब तक हम यह नहीं मान सकते नक्सल उन्मूलन की कगार पर है. इसी वजह से इस सरकार ने 2026 को टारगेट किया है. उसमें पैरेलर यानी समानांतर योजनाएं चला रहे हैं. एक तरफ क्षेत्र में पुख्ता तरीके से कम कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कॉन्फिडेंस ओर विश्वास बहाली के तमाम उपाय किए जा रहे हैं.इसके तहत उन क्षेत्रों में खेल को बढ़ावा देने के लिए ओलंपिक का आयोजन किया गया. वहां पर नियद नेल्ला नार योजना (आपका अच्छा गांव) शुरू की गई. इसके तहत कैंप के आसपास विकास को फोकस किया गया है. यहां के लोगों कोई समस्या होती थी वह कैंप में आकर कहते थे. - डॉ वर्णिका शर्मा, सैन्य मनोवैज्ञानिक एवं रक्षा विशेषज्ञ

कैंप खुलने से बड़ा बदलाव : डॉ. वर्णिका शर्मा ने कहा कि पहले कैंप काफी दूर होते थे. तो सुरक्षा बलों को कार्रवाई करने के लिए काफी दूर तक पैदल जाना पड़ता था. उस दौरान कई बार नक्सली घटनाएं भी होती थी ,एंबुश में सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचता था. लेकिन अब घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी चौकियां बन चुकी है. ऐसी बहुत सी चीज है जो समानांतर रूप से चल रही है. इन दिनों एनकाउंटर से ज्यादा आत्म समर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या कहीं ज्यादा है. इससे यह जाहिर होता है कि सरकार की पुनर्वास नीति हो या फिर कोई और नीति हो , कुछ लोगों में अंदर में विश्वास जगा है. बहुत दिन से वहां के युवा यह प्रतीक्षा कर रहे थे कि हम क्यों विकास से अछूते रहे . वह भी रास्ता देख रहे थे कि कोई उनको विकास की बयार से अवगत कराए, जो आज के दिनों में देखने को मिली है.

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