कानपुर: आईआईटी कानपुर में अब रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में नवाचार और बेहतर शोध कार्यों के लिए डीआरडीओ की ओर से पहली बार सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना की गयी है. इसके माध्यम से यह विभिन्न डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों के प्रयासों के साथ, अनुभवी संकाय और प्रतिभाशाली विद्वानों के माध्यम से शैक्षणिक वातावरण में प्रौद्योगिकी विकास की सुविधा के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा. आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों का कहना है कि यह नया केंद्र प्रारंभ में कुछ खास क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास क्षेत्रों में केंद्रित अनुसंधान का नेतृत्व करेगा.
इसमें महत्वपूर्ण ऐप के लिए पतली फिल्मों पर उपकरणों और प्रणालियों के निर्माण के लिए फ्लेक्सिबल सबस्ट्रेट्स पर प्रिंटिंग, सामग्री चयन और डिजाइन में मौलिक योगदान प्रदान करने के लिए उन्नत नैनोमटेरियल्स, उच्च प्रदर्शन वाले विस्फोटकों के मॉडलिंग और धातुयुक्त विस्फोटकों के प्रदर्शन की भविष्यवाणी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उच्च ऊर्जा सामग्री और खतरनाक अपशिष्ट को पहचानने से लेकर घाव भरने तक के ऐप के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए बायो-इंजीनियरिंग वाले प्रोजेक्ट्स शामिल हैं.
रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की उन्नति की जरूरत पहले से कहीं अधिक: इस सेंटर को लेकर आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा कि बदलते समय के साथ, सही अर्थों में आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की उन्नति की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है. इसके लिए डीआरडीओ, शिक्षा जगत और उद्योग जगत को मिलकर काम करना होगा. डीआरडीओ द्वारा उद्योग अकादमी उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना इस दिशा में एक उपयुक्त कदम है.
लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स, नैनोमटेरियल्स, सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग, उच्च ऊर्जा और बायोइंजीनियरिंग में मजबूत अनुसंधान एवं विकास विशेषज्ञता और अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ, आईआईटी कानपुर इस सहयोगात्मक प्रयास में योगदान देने के लिए तैयार है.
कई जरूरी प्रौद्योगिकियों के स्वदेशीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा: रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने कहा कि यह केंद्र लंबी अवधि में विभिन्न महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के स्वदेशीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा. इससे रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनेगा. इससे भविष्य की रक्षा प्रणालियों के लिए नई सामग्रियों के विकास में तेजी आएगी, जिसमें अन्यथा 10-15 साल लग सकते थे. उन्होंने कहा कि डीआरडीओ और आईआईटी कानपुर रक्षा क्षेत्र की दीर्घकालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पहचाने गए प्रौद्योगिकी डोमेन में सहयोगात्मक अनुसंधान करेंगे.
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस रक्षा क्षेत्र की भविष्य की जरूरतों को पूरा करेंगे: डीआरडीओ के प्रौद्योगिकी प्रबंधन महानिदेशक डॉ. सुब्रत रक्षित ने कहा कि 15 शैक्षणिक संस्थानों में स्थापित डीआईए सीओई रक्षा क्षेत्र की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुसंधान एवं विकास केंद्र के रूप में काम करेंगे.
ये केंद्र डीआरडीओ वैज्ञानिकों के डोमेन ज्ञान, हमारे प्रीमियम शैक्षणिक संस्थानों में निहित अनुसंधान क्षमताओं और उभरती घरेलू रक्षा प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण के लिए हमारे उद्योगों के अभियान के साथ तालमेल बिठाने का काम करेंगे. यह उद्घाटन और पहली गवर्निंग काउंसिल की बैठक इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.