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JNU में हिंदू, बौद्ध और जैन स्टडी सेंटर बनाने की मंजूरी, अगले सत्र से शुरू होगा एडमिशन - JNU STUDY CENTER - JNU STUDY CENTER

JNU establishes 3 new centres: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने विश्वविद्यालय में हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्र स्थापित करने की मंजूरी दे दी है. यूनिवर्सिटी ने इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. आइए जानते हैं कि इसमें एडमिशन कैसे होगा.

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (File Photo)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 13, 2024, 10:42 AM IST

Updated : Jul 13, 2024, 10:59 AM IST

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इसके लिए जेएनयू प्रशासन की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है. तीनों अध्ययन केंद्र (स्टडी सेंटर) संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के तहत स्थापित किए जाएंगे. इनमें स्नातकोत्तर (पीजी) कोर्स संचालित किए जाएंगे. हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन में छात्र पीएचडी भी कर सकेंगे. दाखिले एनटीए की ओर से आयोजित सीयूईटी के जरिये ही होंगे. दाखिला प्रक्रिया अगले वर्ष से शुरू होगी. नए केंद्र स्थापित करने के निर्णय को जेएनयू की कार्यकारी परिषद ने 29 मई को एक बैठक में मंजूरी दी थी. इसके बाद अधिसूचना जारी की गई है.

विश्वविद्यालय ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) और भारतीय ज्ञान प्रणाली के कार्यान्वयन का पता लगाने और सिफारिश करने के लिए जेएनयू द्वारा एक समिति का गठन किया गया था. कार्यकारी परिषद ने 29 मई को आयोजित अपनी बैठक में एनईपी-2020 और भारतीय ज्ञान प्रणाली का पता लगाने और विश्वविद्यालय में इसके आगे कार्यान्वयन और संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के तहत निम्नलिखित केंद्रों की स्थापना के लिए गठित समिति की सिफारिश को मंजूरी दे दी है.

शुरू में होंगी 20-20 सीटें, अगले साल होंगे दाखिले: संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के डीन प्रो. ब्रजेश कुमार पांडेय ने बताया कि, "इस साल दाखिले के लिए सीयूईटी पीजी की परीक्षाएं हो चुकी हैं. इसलिए इन नए केंद्रों में अगले सत्र से परीक्षा देने वाले छात्र यहां दाखिला ले पाएंगे. शुरुआत में तीनों केंद्रों में 20-20 सीटें होंगी. इसके बाद इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी. कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित के प्रयासों से ही तीनों केंद्रों की स्थापना की गई है. प्राचीन भारतीय परंपरा में शोध कार्यों को बढ़ावा देने का प्रयास जेएनयू प्रशासन कर रहा है. शुरुआत में संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान में इनकी शुरुआत होगी. इसके बाद इनके लिए अलग से इंफास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा."

यह भी पढ़ें- DU: पुलिस के साथ क्राइम सीन पर जाएंगे फोरेंसिक साइंस के छात्र ! AC की बैठक में प्रस्ताव पास होने का इंतजार

हिंदू अध्ययन में पढ़ाए जाएंगे ये विषय: ब्रजेश कुमार पांडेय ने बताया कि, "हिंदू अध्ययन केंद्र के तहत प्राचीन भारतीय साहित्य, वेद, उपनिषद, गीता के भाग, ऐसी ज्योतिष विद्या जो भारतीय गणितीय पद्धति का प्रतिनिधित्व करती है. लीलावती, आर्यभट्ट, चरक और सुश्रुत की आयुर्वेद संहिता का अध्ययन कराया जाएगा. इसके साथ ही अर्थशास्त्र की तंत्रयुक्ति, मीमांसा का अधिकरण, भारतीय प्रबंधन, पाणिनी और वाद परंपरा, शास्त्रार्थ की विधियां, अर्थ निर्धारण, शक्ति व प्रकृति का सिद्धांत, सौंदर्य लहरी, कश्मीर का शैव दर्शन, आयुर्विज्ञान, विधि शास्त्र इसके पाठ्यक्रम में शामिल हैं. विशेष रूप से सिख ज्ञापन परंपरा को इसके पाठ्यक्रम में रखा गया है, उनके पद्य भी पढ़ाए जाएंगे."

बौद्ध और जैन अध्ययन में पढ़ाए जाएंगे ये विषय: प्रो. पांडेय ने बताया कि बौद्ध अध्ययन केंद्र में मूल साहित्य त्रिपिटक, पाली व्याकरण, थेरवाद या स्थिरवाद, बौद्ध दर्शन के प्रमुख दार्शनिक सिद्धांत, क्षणिकवाद, चार शाखाओं के सिद्धांत, शून्यवाद और बौद्ध धर्म में मोक्ष की अवधारणा को इसके पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा. जैन अध्ययन केंद्र में जैन तत्व मीमांसा, कर्म सिद्धांत, पुर्नजन्म सिद्धांत, जैन गणितीय पद्धति और ज्योतिष, प्राकृत भाषा का इतिहास एवं व्याकरण, सम्यक दर्शन, पंच महाव्रत और जैन तीर्थंकरों का इतिहास इसके पाठ्यक्रम में शामिल होगा. प्रो. पांडेय ने कहा संस्कृत स्कूल में हिंदू अध्ययन, बौद्ध अध्ययन और जैन अध्ययन भारत की विविधता में एकता को समझने का मार्ग बनेगा और भारतीय मानस को जानने में सहायक होगा.

यह भी पढ़ें- डीयू की 6 साल पहले की डिग्री और मार्कशीट करेक्शन पर अब देनी होगी फीस, डीयू अकादमिक परिषद की बैठक में लगेगी मुहर

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इसके लिए जेएनयू प्रशासन की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है. तीनों अध्ययन केंद्र (स्टडी सेंटर) संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के तहत स्थापित किए जाएंगे. इनमें स्नातकोत्तर (पीजी) कोर्स संचालित किए जाएंगे. हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन में छात्र पीएचडी भी कर सकेंगे. दाखिले एनटीए की ओर से आयोजित सीयूईटी के जरिये ही होंगे. दाखिला प्रक्रिया अगले वर्ष से शुरू होगी. नए केंद्र स्थापित करने के निर्णय को जेएनयू की कार्यकारी परिषद ने 29 मई को एक बैठक में मंजूरी दी थी. इसके बाद अधिसूचना जारी की गई है.

विश्वविद्यालय ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) और भारतीय ज्ञान प्रणाली के कार्यान्वयन का पता लगाने और सिफारिश करने के लिए जेएनयू द्वारा एक समिति का गठन किया गया था. कार्यकारी परिषद ने 29 मई को आयोजित अपनी बैठक में एनईपी-2020 और भारतीय ज्ञान प्रणाली का पता लगाने और विश्वविद्यालय में इसके आगे कार्यान्वयन और संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के तहत निम्नलिखित केंद्रों की स्थापना के लिए गठित समिति की सिफारिश को मंजूरी दे दी है.

शुरू में होंगी 20-20 सीटें, अगले साल होंगे दाखिले: संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के डीन प्रो. ब्रजेश कुमार पांडेय ने बताया कि, "इस साल दाखिले के लिए सीयूईटी पीजी की परीक्षाएं हो चुकी हैं. इसलिए इन नए केंद्रों में अगले सत्र से परीक्षा देने वाले छात्र यहां दाखिला ले पाएंगे. शुरुआत में तीनों केंद्रों में 20-20 सीटें होंगी. इसके बाद इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी. कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित के प्रयासों से ही तीनों केंद्रों की स्थापना की गई है. प्राचीन भारतीय परंपरा में शोध कार्यों को बढ़ावा देने का प्रयास जेएनयू प्रशासन कर रहा है. शुरुआत में संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान में इनकी शुरुआत होगी. इसके बाद इनके लिए अलग से इंफास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा."

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हिंदू अध्ययन में पढ़ाए जाएंगे ये विषय: ब्रजेश कुमार पांडेय ने बताया कि, "हिंदू अध्ययन केंद्र के तहत प्राचीन भारतीय साहित्य, वेद, उपनिषद, गीता के भाग, ऐसी ज्योतिष विद्या जो भारतीय गणितीय पद्धति का प्रतिनिधित्व करती है. लीलावती, आर्यभट्ट, चरक और सुश्रुत की आयुर्वेद संहिता का अध्ययन कराया जाएगा. इसके साथ ही अर्थशास्त्र की तंत्रयुक्ति, मीमांसा का अधिकरण, भारतीय प्रबंधन, पाणिनी और वाद परंपरा, शास्त्रार्थ की विधियां, अर्थ निर्धारण, शक्ति व प्रकृति का सिद्धांत, सौंदर्य लहरी, कश्मीर का शैव दर्शन, आयुर्विज्ञान, विधि शास्त्र इसके पाठ्यक्रम में शामिल हैं. विशेष रूप से सिख ज्ञापन परंपरा को इसके पाठ्यक्रम में रखा गया है, उनके पद्य भी पढ़ाए जाएंगे."

बौद्ध और जैन अध्ययन में पढ़ाए जाएंगे ये विषय: प्रो. पांडेय ने बताया कि बौद्ध अध्ययन केंद्र में मूल साहित्य त्रिपिटक, पाली व्याकरण, थेरवाद या स्थिरवाद, बौद्ध दर्शन के प्रमुख दार्शनिक सिद्धांत, क्षणिकवाद, चार शाखाओं के सिद्धांत, शून्यवाद और बौद्ध धर्म में मोक्ष की अवधारणा को इसके पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा. जैन अध्ययन केंद्र में जैन तत्व मीमांसा, कर्म सिद्धांत, पुर्नजन्म सिद्धांत, जैन गणितीय पद्धति और ज्योतिष, प्राकृत भाषा का इतिहास एवं व्याकरण, सम्यक दर्शन, पंच महाव्रत और जैन तीर्थंकरों का इतिहास इसके पाठ्यक्रम में शामिल होगा. प्रो. पांडेय ने कहा संस्कृत स्कूल में हिंदू अध्ययन, बौद्ध अध्ययन और जैन अध्ययन भारत की विविधता में एकता को समझने का मार्ग बनेगा और भारतीय मानस को जानने में सहायक होगा.

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Last Updated : Jul 13, 2024, 10:59 AM IST
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