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द‍िल्‍ली में केंद्र सरकार के इस बड़े अस्‍पताल में नहीं है 'फायर सेफ्टी' के इंतजाम, र‍िजेक्‍ट हुई अप्‍लीकेशन - Lady Hardinge Medical College - LADY HARDINGE MEDICAL COLLEGE

दिल्ली के विवेक विहार स्‍थ‍ित बेबी केयर सेंटर के भीषण अग्निकांड के बाद से दिल्ली सरकार ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार के अस्पताल भी कोई सबक लेने को तैयार नहीं हैं. इस दर्दनाक हादसे में सात मासूम अपनी जान गवां चुके हैं. बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन फायर सेफ्टी के इंतजामों को लेकर कोई ज्यादा संजीदा नहीं दिख रहा है.

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फायर सेफ्टी (File Photo)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 2, 2024, 2:26 PM IST

नई द‍िल्‍ली: दिल्ली में केंद्र सरकार के अधीनस्‍थ लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं एसोसिएट अस्पताल के कई अलग-अलग ब्‍लॉकों ने फायर से न‍िपटने के पुख्‍ता इंतजाम नहीं है. इसके अलावा सेफ्टी सर्ट‍िफिकेट पाने की दरकार थी. लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल के न्यू अकेडमिक ब्लॉक और एन्‍कोलॉजी ब्लॉक की ओर से फायर सेफ्टी सर्ट‍िफ‍िकेट और क्लीयरेंस को लेकर आवेदन क‍िया गया था, ज‍िसको खाम‍ियां पाए जाने के चलते अब द‍िल्ली फायर सर्विस (डीएफएस) व‍िभाग ने रिजेक्ट कर दिया है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल की ओर से फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए दिल्ली फायर सर्विस विभाग को मई माह में आवेदन किये गए थे. इन आवेदनों पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली फायर सर्विसेज की ओर से जून माह में अस्पताल के संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति में बारीकी से निरीक्षण भी किया गया.

इस दौरान आग लगने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए पूर्व में किए जाने वाले सभी इंतजामों का जायजा लिया गया. इस निरीक्षण के दौरान अस्पताल में तमाम खामियां पाई गई जिसके चलते दिल्ली फायर सर्विस विभाग की ओर से अस्पताल प्रशासन को साफ और स्पष्ट कर दिया गया है कि इन मौजूदा हालातों में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा सकता. इसकी वजह से अस्पताल की ओर से अप्लाई किए गए आवेदन को रद्द किया जाता है.

दिल्ली फायर सर्विस विभाग के निदेशक अतुल गर्ग की ओर से लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड एसोसिएटेड अस्पताल के डॉयरेक्‍टर को पत्र जारी कर अवगत करा दिया गया है. साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि इन सभी कम‍ि‍यों के चलते अगर अस्पताल प्रशासन इनको दूर नहीं करता है और इसका संचालन करता है तो यह उसके खुद के रिस्क पर ही होगा. यह सभी जिम्मेदारियां बिल्डिंग ऑनर/ऑक्यूपायर की ही होगी. साथ ही अस्‍पताल लाइसेंस अथॉरिटी को सभी जरूरी मनको का अनुपालन करने की दिशा में सख्त कदम उठाने का आग्रह किया है. अस्पताल में पायी गई खाम‍ियों में कई जगहों और ऑफ‍िसेज पर फायर डिटेक्टर का नॉन फंग्शनल पाया जाना शाम‍िल है. वैकल्पिक सीढ़‍ियों की व्यवस्था तो हैं लेक‍िन सभी लॉक/ब्लॉक पाई गईं और उन तक पहुंच भी आसान नहीं है. इलेक्ट्रिकल सॉफ्ट को समुचित तरीके से सील नहीं किया गया है. पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम चालू हालत में नहीं म‍िले हैं और लिफ्ट लॉबी का प्रेशराइजेशन और सॉफ्ट चालू हालत में नहीं म‍िला.

जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में म‍िली तमाम खाम‍ियां

दिल्ली सरकार के जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, जनकपुरी का भी निरीक्षण किया गया है, जिसमें अस्पताल बिल्डिंग के बेसमेंट (पार्किंग/सर्विसेज), ग्राउंड फ्लोर के साथ-साथ 5 और फ्लोर्स का भी गहन निरीक्षण किया गया, जिसमें तमाम खामियां मिली हैं. इस अस्पताल की बिल्डिंग के चारों तरफ की रोड पार्किंग शेड की वजह से ब्लॉक पाई गई. सीढ़‍ियां लॉक्ड और ब्लॉक म‍िली. हौज रील/हाइड्रेंट मिले लेकिन फंक्शनल हालत में नहीं पाए गए. मैन्युअल ऑपरेटेड इलेक्ट्रॉनिक फायर अलार्म सिस्टम और पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम तो हैं, लेकिन चालू हालत में नहीं हैं. वहीं, फायर पंपिंग सिस्टम उपलब्ध हैं, लेकिन ऑटो मोड में चालू हालत में नहीं मिले. लिफ्ट लॉबी, बेसमेंट, बेसमेंट फ्लोर, ग्राउंड फ्लोर आदि पर भी कई और कमियां पाई गईं. इन कम‍ियों के चलते अस्‍पताल को फायर सेफ्टी सर्ट‍िफ‍िकेट के ल‍िए कंसीडर नहीं क‍िया गया है.

द‍िल्‍ली सरकार के ये अस्‍पताल भी न‍िरीक्षण में हो चुके 'फेल'

दिल्ली सरकार के कई अस्‍पतालों ने भी दिल्ली फायर सर्विस से फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट पाने को आवेदन क‍िए थे, ज‍िनका जून माह में ही निरीक्षण क‍िया गया था. इन अस्पतालों में अग्‍न‍ि सुरक्षा को लेकर खरे नहीं उतरे थे. दरअसल, इन अस्पतालों में प्रशासन की तरफ से आग की घटनाओं से निपटने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किए थे और तमाम खामियां इन अस्पतालों में पाई गईं. जिसके चलते दिल्ली सरकार के इन अस्पतालों को भी फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट देने से इनकार कर द‍िया गया. कई अस्पतालों का आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया तो कई को कमियां दूर करने की सलाह दी गई. इन अस्पतालों में खासकर नरेला का सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल, अशोक विहार के कोकीवाला बाग का दीपचंद बंधु अस्पताल, हरि नगर का डीडीयू अस्पताल, पीतमपुरा का भगवान महावीर अस्पताल, गीता कॉलोनी का चाचा नेहरू बाल च‍िक‍ित्‍सालय समेत कई अस्पताल शाम‍िल हैं, जोक‍ि पहले ही फायर सेफ्टी इंतजामों के निरीक्षण में खरे नहीं उतर पाए हैं.

ये भी पढ़ें: द‍िल्‍ली के सरकारी अस्पताल DFS के फायर सेफ्टी के 'ग्राउंउ र‍ियल‍िटी' चेक में हुए फेल, कई चौंकाने वाली कम‍ियां आईं सामने

ये भी पढ़ें: द‍िल्‍ली सरकार के ब्‍लाइंड स्‍कूल में फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम नहीं, फायर डिपार्टमेंट का NOC देने से इनकार

नई द‍िल्‍ली: दिल्ली में केंद्र सरकार के अधीनस्‍थ लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं एसोसिएट अस्पताल के कई अलग-अलग ब्‍लॉकों ने फायर से न‍िपटने के पुख्‍ता इंतजाम नहीं है. इसके अलावा सेफ्टी सर्ट‍िफिकेट पाने की दरकार थी. लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल के न्यू अकेडमिक ब्लॉक और एन्‍कोलॉजी ब्लॉक की ओर से फायर सेफ्टी सर्ट‍िफ‍िकेट और क्लीयरेंस को लेकर आवेदन क‍िया गया था, ज‍िसको खाम‍ियां पाए जाने के चलते अब द‍िल्ली फायर सर्विस (डीएफएस) व‍िभाग ने रिजेक्ट कर दिया है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल की ओर से फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए दिल्ली फायर सर्विस विभाग को मई माह में आवेदन किये गए थे. इन आवेदनों पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली फायर सर्विसेज की ओर से जून माह में अस्पताल के संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति में बारीकी से निरीक्षण भी किया गया.

इस दौरान आग लगने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए पूर्व में किए जाने वाले सभी इंतजामों का जायजा लिया गया. इस निरीक्षण के दौरान अस्पताल में तमाम खामियां पाई गई जिसके चलते दिल्ली फायर सर्विस विभाग की ओर से अस्पताल प्रशासन को साफ और स्पष्ट कर दिया गया है कि इन मौजूदा हालातों में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा सकता. इसकी वजह से अस्पताल की ओर से अप्लाई किए गए आवेदन को रद्द किया जाता है.

दिल्ली फायर सर्विस विभाग के निदेशक अतुल गर्ग की ओर से लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड एसोसिएटेड अस्पताल के डॉयरेक्‍टर को पत्र जारी कर अवगत करा दिया गया है. साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि इन सभी कम‍ि‍यों के चलते अगर अस्पताल प्रशासन इनको दूर नहीं करता है और इसका संचालन करता है तो यह उसके खुद के रिस्क पर ही होगा. यह सभी जिम्मेदारियां बिल्डिंग ऑनर/ऑक्यूपायर की ही होगी. साथ ही अस्‍पताल लाइसेंस अथॉरिटी को सभी जरूरी मनको का अनुपालन करने की दिशा में सख्त कदम उठाने का आग्रह किया है. अस्पताल में पायी गई खाम‍ियों में कई जगहों और ऑफ‍िसेज पर फायर डिटेक्टर का नॉन फंग्शनल पाया जाना शाम‍िल है. वैकल्पिक सीढ़‍ियों की व्यवस्था तो हैं लेक‍िन सभी लॉक/ब्लॉक पाई गईं और उन तक पहुंच भी आसान नहीं है. इलेक्ट्रिकल सॉफ्ट को समुचित तरीके से सील नहीं किया गया है. पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम चालू हालत में नहीं म‍िले हैं और लिफ्ट लॉबी का प्रेशराइजेशन और सॉफ्ट चालू हालत में नहीं म‍िला.

जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में म‍िली तमाम खाम‍ियां

दिल्ली सरकार के जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, जनकपुरी का भी निरीक्षण किया गया है, जिसमें अस्पताल बिल्डिंग के बेसमेंट (पार्किंग/सर्विसेज), ग्राउंड फ्लोर के साथ-साथ 5 और फ्लोर्स का भी गहन निरीक्षण किया गया, जिसमें तमाम खामियां मिली हैं. इस अस्पताल की बिल्डिंग के चारों तरफ की रोड पार्किंग शेड की वजह से ब्लॉक पाई गई. सीढ़‍ियां लॉक्ड और ब्लॉक म‍िली. हौज रील/हाइड्रेंट मिले लेकिन फंक्शनल हालत में नहीं पाए गए. मैन्युअल ऑपरेटेड इलेक्ट्रॉनिक फायर अलार्म सिस्टम और पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम तो हैं, लेकिन चालू हालत में नहीं हैं. वहीं, फायर पंपिंग सिस्टम उपलब्ध हैं, लेकिन ऑटो मोड में चालू हालत में नहीं मिले. लिफ्ट लॉबी, बेसमेंट, बेसमेंट फ्लोर, ग्राउंड फ्लोर आदि पर भी कई और कमियां पाई गईं. इन कम‍ियों के चलते अस्‍पताल को फायर सेफ्टी सर्ट‍िफ‍िकेट के ल‍िए कंसीडर नहीं क‍िया गया है.

द‍िल्‍ली सरकार के ये अस्‍पताल भी न‍िरीक्षण में हो चुके 'फेल'

दिल्ली सरकार के कई अस्‍पतालों ने भी दिल्ली फायर सर्विस से फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट पाने को आवेदन क‍िए थे, ज‍िनका जून माह में ही निरीक्षण क‍िया गया था. इन अस्पतालों में अग्‍न‍ि सुरक्षा को लेकर खरे नहीं उतरे थे. दरअसल, इन अस्पतालों में प्रशासन की तरफ से आग की घटनाओं से निपटने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किए थे और तमाम खामियां इन अस्पतालों में पाई गईं. जिसके चलते दिल्ली सरकार के इन अस्पतालों को भी फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट देने से इनकार कर द‍िया गया. कई अस्पतालों का आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया तो कई को कमियां दूर करने की सलाह दी गई. इन अस्पतालों में खासकर नरेला का सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल, अशोक विहार के कोकीवाला बाग का दीपचंद बंधु अस्पताल, हरि नगर का डीडीयू अस्पताल, पीतमपुरा का भगवान महावीर अस्पताल, गीता कॉलोनी का चाचा नेहरू बाल च‍िक‍ित्‍सालय समेत कई अस्पताल शाम‍िल हैं, जोक‍ि पहले ही फायर सेफ्टी इंतजामों के निरीक्षण में खरे नहीं उतर पाए हैं.

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