देहरादून: विश्व बैंक परियोजना 'उत्तराखंड डिजास्टर प्रिपेयर्डनेस एंड रिजिलिएंट परियोजना (यू-प्रिपेयर)' के लिए केंद्र ने अपनी स्वीकृति प्रदान की है. जिसके तहत उत्तराखंड में अगले पांच सालों के लिए आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में 1480 करोड़ के वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट के लिए लोन मिलेगा.
केंद्र से 1480 करोड़ का वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट स्वीकृत: केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को एक बड़ी सौगात दी है. उत्तराखंड आपदा प्रबन्धन विभाग के अंतर्गत आपदा प्रबन्धन को सुदृढ़ किये जाने और आवश्यक संसाधनों में वृद्धि किए जाने का केंद्र का लक्ष्य है. इसके अलावा लोगों को आपदा प्रबन्धन के दृष्टिगत बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं मिलें इसकी भी कोशिश हो रही है. आपदा के समय रिस्पांस टाइम को कम करने के मकसद से केन्द्र सरकार ने मंगलवार को 1480 करोड़ की विश्व बैंक फंडेंड 05 वर्षीय परियोजना 'उत्तराखंड डिजास्टर प्रिपेयर्डनेस एण्ड रिजिलिएंट परियोजना (यू-प्रिपेयर)' को मंजूरी दी है.
आपदा प्रबंधन के लिए यू-प्रिपेयर स्कीम में मिलेगा लोन: इसकी समय अवधि वर्ष 2024 से 2029 तक रहेगी. इस स्कीम की लोन साइनिंग 16 दिसम्बर को भारत सरकार, उत्तराखंड सरकार और विश्व बैंक के बीच हुई. भारत सरकार की ओर से आलोक तिवारी, संयुक्त सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार की ओर से विनोद कुमार सुमन, सचिव, आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास और विश्व बैंक की ओर से अगेस्ते तानो कोआमे, कन्ट्री डायरेक्टर (भारत), विश्व बैंक द्वारा हस्ताक्षरित किया गया.
सीएम धामी ने जताया आभार: केंद्र द्वारा मिली इस सौगात पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा वित्त मंत्री का भी आभार व्यक्त किया है. आपको बता दें कि इस परियोजना की समय अवधि 05 वर्ष की है. इसका क्रियान्वयन वर्ष 2024 से 2029 तक किया जाना प्रस्तावित है. परियोजना की प्रस्तावित लागत रु. 1480 करोड़ है. इसमें 80 प्रतिशत भारत सरकार का अंश एवं 20 प्रतिशत राज्यांश के रूप में वहन किया जाएगा.
ये विभाग करेंगे जमीन पर कार्य: यू-प्रिपेयर परियोजना आपदा प्रबन्धन विभाग के अन्तर्गत संचालित की जा रही है. परियोजना के प्रबन्धन हेतु परियोजना प्रबन्धन इकाई (पी.एम.यू.) का गठन किया गया है. परियोजना के क्रियान्यवयन हेतु लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण निर्माण विभाग, वन विभाग एवं यू.एस.डी.एम.ए. के अन्तर्गत पी.आई.यू. का गठन किया गया है. परियोजना के क्रियान्वयन से उत्तराखंड राज्य के सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का विकास होगा. वहीं दूसरी ओर आपदा के समय त्वरित रेस्पांस के स्तर में भी सुधार आएगा.
लोक निर्माण विभाग के जिम्मे होंगे ये काम: परियोजना के अन्तर्गत राज्य में आपदा से क्षतिग्रस्त हुए ग्रामीण स्कूल एवं अस्पतालों तक आवागमन सुलभ बनाने की उद्देश्य से लगभग 45 पुलों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है. इसके अतिरिक्त राज्य की मुख्य पर्वतीय क्षेत्रों की सड़कों पर निर्बाध रूप से यातायात सुलभ बनाने हेतु 08 स्थानों पर सड़क सुरक्षात्मक उपायों को भी परियोजना में सम्मिलित किया गया है. इनका क्रियान्वयन लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा.
वन विभाग की होगी ये जिम्मेदारी: वनाग्नि को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वन विभाग को वनाग्नि शमन हेतु उपकरणों की आपूर्ति भी परियोजना के अन्तर्गत की जानी है. इसके अतिरिक्त वनाग्नि पर नियंत्रण एवं रिस्पांस टाइम को कम करने के उद्देश्य से जनसहभागिता के माध्यम से वनाग्नि नियंत्रण प्रबन्धन एवं कार्बन फाइनेंसिंग के अन्तर्गत कार्य किया जाएगा. इसका क्रियान्वयन वन विभाग द्वारा किया जाएगा.
ग्रामीण निर्माण विभाग को मिला इन कामों का जिम्मा: आपदा की स्थिति में जनता को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने हेतु 10 आपदा आश्रय गृहों का निर्माण, अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा विभाग के अन्तर्गत 19 अग्निशमन केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण किया जाना है. इसके अतिरिक्त अग्निशमन उपकरणों की आपूर्ति, राज्य की आपदा के समय प्रतिवादन क्षमता उच्चीकृत करने के उद्देश्य से राज्य आपदा प्रतिवादन बल हेतु एवं ट्रेनिंग सेन्टरों का निर्माण प्रस्तावित है. इन कार्यों का क्रियान्वयन ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा.
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