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144 साल पहले 1882 के महाकुंभ में पहुंचे थे 10 लाख श्रद्धालु, 500 ब्रिटिश पुलिस की मौजूदगी में अखाड़ों ने संभाली थी व्यवस्था - MAHA KUMBH 2025

इस महाकुंभ से सरकार को आर्थिक क्षेत्र में दो लाख करोड़ से अधिक आमदनी होने की उम्मीद है.

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प्रयागराज महाकुंभ 2025 (pic credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 21, 2025, 7:54 PM IST

Updated : Jan 21, 2025, 11:09 PM IST

लखनऊ: 144 साल पहले साल 1882 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हुआ था. तब पूरे देश से 10 लाख लोग महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे थे. यह उस समय की कुल आबादी का 0.6% था. रिकॉर्ड डॉक्यूमेंट के अनुसार उस समय देश की कुल आबादी करीब 25 करोड़ थी. वहीं इस साल 2025 में हो रहे महाकुंभ में 1882 की तुलना में करीब 30% से अधिक हिंदू आबादी का इस महाकुंभ में पहुंचने का अनुमान है.

सरकार के अनुमान के अनुसार यह संख्या करीब 40 करोड़ होगी. इतना ही नहीं इस महाकुंभ से सरकार को आर्थिक क्षेत्र में भी विभिन्न प्रक्रिया के माध्यम से दो लाख करोड़ से अधिक आमदनी होने की उम्मीद है. लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एमके अग्रवाल के शुरुआती आर्थिक रिसर्च में यह डेटा सामने आया है.

अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने दी जानकारी (video credit; ETV Bharat)
इंफ्रास्ट्रक्चर में हुए बदलाव से कुंभ में आर्थिक गतिविधियां बढ़ीं: प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने बताया कि साल 2013 से पहले कुंभ को एक धार्मिक आयोजन के तौर पर ही देखा जाता था. सरकार आर्थिक मुनाफे पर ध्यान नहीं देती थी. उन्होंने कहा कि साल 1882 में प्रयागराज में लगे महाकुंभ को जिला स्तर पर आयोजित किया गया था. उस समय इलाहाबाद के पुलिस इंस्पेक्टर की निगरानी में इसका आयोजन किया गया था.

इसके अलावा मेडिकल फैसिलिटी की निगरानी इलाहाबाद के सिविल सर्जन डॉक्टर एचएस स्मिथ को सौपा गई थी. जबकि पूरे आयोजन की निगरानी निर्बानी, निरंजन, बजरंगी, निर्मोही, और दिगंबर जैसे अखाड़े ने अपने हाथ में ही ले रखी थी. प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि उसे समय प्रयागराज में आने वाले अधिकतर श्रद्धालु पड़ोस के ही राज्यों से आए थे.

आज यह स्थिति बदल गई है. आज देश में रोड, इंफ्रास्ट्रक्चर, रेलवे, फ्लाइट्स की कनेक्टिविटी बेहतर होने के कारण एक तिहाई आबादी प्रयागराज में स्नान करने के लिए पहुंचने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड डॉक्यूमेंट के अनुसार 1882 में पूरे कुंभ को आयोजित करने के लिए 500 पुलिसकर्मी की तैनाती की गई थी, जबकि पूरे कुंभ के दौरान 50 केस चोरी के दर्ज हुए थे.



कुंभ से होगा आर्थिक फायदा : प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने बताया कि महाकुंभ 2025 को अर्थशास्त्र की नजर से देखें तो कुंभ अब धार्मिक आयोजन के साथ आर्थिक आयोजन के तौर पर भी उभर कर सामने आया है. उन्होंने बताया कि अपने रिसर्च में 2013 से लेकर 2025 के कुंभ में हुए बदलाव इसके खर्च और आय पर रिसर्च किया है. जो अभी कुंभ के चलने तक जारी रहेगी और इसकी रिपोर्ट तैयार कर उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी जाएगी.

उन्होंने बताया कि 2013 में हुए महाकुंभ में 1300 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे. जबकि 2019 में लगे अर्द्धकुंभ में यह बजट बढ़ाकर तीन गुना बढ़कर 4200 करोड़ रुपये हो गया था. जबकि 2025 के महाकुंभ के आयोजन के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर 7000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि 2013 की तुलना में 2025 में महंगाई अधिक हो गई है. इसलिए कुंभ का बजट भी बढ़ा है.

राज्य सरकार को करीब 2 लाख करोड़ का होगा फायदा: प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि अभी तक के रिसर्च में यह सामने आया है कि करीब 60 से 7000 करोड़ प्रयागराज में वेंडर्स ऑटो चालक और दूसरे व्यवसाय से जुड़े लोगों को होने जा रहा है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा प्रचार टैक्स, रेलवे ठेका पट्टी से उत्तर प्रदेश सरकार को अभी तक कुल 25 से 30 हजार करोड़ का सीधा फायदा हो चुका है. जो कुंभ के खत्म होने तक 2 लाख करोड़ तक हो जाएगा. इतना ही अनुमानित फायदा केंद्र सरकार को भी होने का अनुमान है.

144 साल से पहले और अब कुंभ पहुंची आबादी:

वर्ष आबादी का प्रतिशत
18820.6%
20136%
201920%
2025 30%+


144 साल से पहले और अब कुंभ कितना खर्च

वर्ष खर्च
1882कोई आधिकारिक डेटा नहीं
2013 1300 करोड़
20194200 करोड़
20257000 करोड़


यह भी पढ़ें - प्रयागराज महाकुंभ, मेले में पहुंची अमेरिकी योगा टीचर, कहा- मेरा अनुभव शानदार, मैं अपने देश के अन्य लोगों को भी भेजूंगी - MAHA KUMBH MELA 2025

इसे भी पढ़ें - 25 किमी में बसा पूरा भारत; अलग-अलग संस्कृति और लोक नृत्य का हो रहा संगम - MAHA KUMBH MELA 2025

लखनऊ: 144 साल पहले साल 1882 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हुआ था. तब पूरे देश से 10 लाख लोग महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे थे. यह उस समय की कुल आबादी का 0.6% था. रिकॉर्ड डॉक्यूमेंट के अनुसार उस समय देश की कुल आबादी करीब 25 करोड़ थी. वहीं इस साल 2025 में हो रहे महाकुंभ में 1882 की तुलना में करीब 30% से अधिक हिंदू आबादी का इस महाकुंभ में पहुंचने का अनुमान है.

सरकार के अनुमान के अनुसार यह संख्या करीब 40 करोड़ होगी. इतना ही नहीं इस महाकुंभ से सरकार को आर्थिक क्षेत्र में भी विभिन्न प्रक्रिया के माध्यम से दो लाख करोड़ से अधिक आमदनी होने की उम्मीद है. लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एमके अग्रवाल के शुरुआती आर्थिक रिसर्च में यह डेटा सामने आया है.

अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने दी जानकारी (video credit; ETV Bharat)
इंफ्रास्ट्रक्चर में हुए बदलाव से कुंभ में आर्थिक गतिविधियां बढ़ीं: प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने बताया कि साल 2013 से पहले कुंभ को एक धार्मिक आयोजन के तौर पर ही देखा जाता था. सरकार आर्थिक मुनाफे पर ध्यान नहीं देती थी. उन्होंने कहा कि साल 1882 में प्रयागराज में लगे महाकुंभ को जिला स्तर पर आयोजित किया गया था. उस समय इलाहाबाद के पुलिस इंस्पेक्टर की निगरानी में इसका आयोजन किया गया था.

इसके अलावा मेडिकल फैसिलिटी की निगरानी इलाहाबाद के सिविल सर्जन डॉक्टर एचएस स्मिथ को सौपा गई थी. जबकि पूरे आयोजन की निगरानी निर्बानी, निरंजन, बजरंगी, निर्मोही, और दिगंबर जैसे अखाड़े ने अपने हाथ में ही ले रखी थी. प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि उसे समय प्रयागराज में आने वाले अधिकतर श्रद्धालु पड़ोस के ही राज्यों से आए थे.

आज यह स्थिति बदल गई है. आज देश में रोड, इंफ्रास्ट्रक्चर, रेलवे, फ्लाइट्स की कनेक्टिविटी बेहतर होने के कारण एक तिहाई आबादी प्रयागराज में स्नान करने के लिए पहुंचने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड डॉक्यूमेंट के अनुसार 1882 में पूरे कुंभ को आयोजित करने के लिए 500 पुलिसकर्मी की तैनाती की गई थी, जबकि पूरे कुंभ के दौरान 50 केस चोरी के दर्ज हुए थे.



कुंभ से होगा आर्थिक फायदा : प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने बताया कि महाकुंभ 2025 को अर्थशास्त्र की नजर से देखें तो कुंभ अब धार्मिक आयोजन के साथ आर्थिक आयोजन के तौर पर भी उभर कर सामने आया है. उन्होंने बताया कि अपने रिसर्च में 2013 से लेकर 2025 के कुंभ में हुए बदलाव इसके खर्च और आय पर रिसर्च किया है. जो अभी कुंभ के चलने तक जारी रहेगी और इसकी रिपोर्ट तैयार कर उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी जाएगी.

उन्होंने बताया कि 2013 में हुए महाकुंभ में 1300 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे. जबकि 2019 में लगे अर्द्धकुंभ में यह बजट बढ़ाकर तीन गुना बढ़कर 4200 करोड़ रुपये हो गया था. जबकि 2025 के महाकुंभ के आयोजन के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर 7000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि 2013 की तुलना में 2025 में महंगाई अधिक हो गई है. इसलिए कुंभ का बजट भी बढ़ा है.

राज्य सरकार को करीब 2 लाख करोड़ का होगा फायदा: प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि अभी तक के रिसर्च में यह सामने आया है कि करीब 60 से 7000 करोड़ प्रयागराज में वेंडर्स ऑटो चालक और दूसरे व्यवसाय से जुड़े लोगों को होने जा रहा है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा प्रचार टैक्स, रेलवे ठेका पट्टी से उत्तर प्रदेश सरकार को अभी तक कुल 25 से 30 हजार करोड़ का सीधा फायदा हो चुका है. जो कुंभ के खत्म होने तक 2 लाख करोड़ तक हो जाएगा. इतना ही अनुमानित फायदा केंद्र सरकार को भी होने का अनुमान है.

144 साल से पहले और अब कुंभ पहुंची आबादी:

वर्ष आबादी का प्रतिशत
18820.6%
20136%
201920%
2025 30%+


144 साल से पहले और अब कुंभ कितना खर्च

वर्ष खर्च
1882कोई आधिकारिक डेटा नहीं
2013 1300 करोड़
20194200 करोड़
20257000 करोड़


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Last Updated : Jan 21, 2025, 11:09 PM IST
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