जयपुर. राजधानी जयपुर जल्द मेडिकल हब बनेगा. यहां बच्चों में होने वाली दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए प्रदेश में 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ट्रीटमेंट ऑफ रेयर डिजीज' बनाया जाएगा. जयपुर स्थित जेके लोन अस्पताल में ये सेंटर बनाने के लिए जल्द एक प्रस्ताव भारत सरकार को भिजवाया जाएगा. वहीं, जयपुर में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र की राज्य शाखा स्थापित करने के लिए भारत सरकार और चिकित्सा विभाग के बीच एमओयू भी साइन हुआ है.
राजस्थान में रोग निदान के लिए अब राष्ट्रीय स्तर की जांच सुविधा उपलब्ध होगी. इसके लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र (एनसीडीसी) नई दिल्ली की राज्य शाखा जयपुर में स्थापित की जाएगी. इसे लेकर बुधवार को भारत सरकार के साथ एमओयू किया गया. उधर, एसीएस हेल्थ शुभ्रा सिंह ने डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) रोग से ग्रसित बच्चों की समस्याओं के समाधान के लिए निर्देश देते हुए कहा कि आर्थिक संसाधनों के अभाव में आमजन बच्चों में होने वाले दुर्लभ रोगों का पूरा इलाज पाने में बेहद परेशानी का सामना करते हैं. ऐसे में चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह ने इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की पहल की है.
दुर्लभ रोगों के उपचार और रिसर्च के लिए सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में मेडिकल जेनेटिक्स विभाग की स्थापना के निर्देश दिए हैं. साथ ही कहा है कि जेके लोन अस्पताल में वर्तमान में संचालित नोडल सेंटर फॉर रेयर डिजीज का सुदृढ़ीकरण किया जाए. वहीं, प्रदेशभर में जन्म लेने वाले नवजात शिशु की जन्मजात बीमारियों का जल्द पता लगाने के लिए यूनिवर्सल न्यूबोर्न स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाया जाए. उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पतालों में दुर्लभ रोगों से पीड़ित मरीजों की समस्याओं का समाधान करने के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने के लिए भी निर्देशित किया.
महीने में एक बार होगा मस्कुलर डिस्ट्रोफी से इलाज : सुभ्रा सिंह ने कहा कि प्रदेश में संभाग स्तर पर कार्यरत डॉक्टर्स में से शिशु रोग विशेषज्ञों, न्यूरोलॉजी विभाग और फिजियोथैरेपी विभाग का पैनल बनाकर महीने में एक बार मस्कुलर डिस्ट्रोफी से पीड़ित मरीजों का इलाज करवाया जाए. उन्होंने इस रोग के उपचार के लिए आवश्यक दवाओं और वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए.
इसके अलावा उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और विशेष योग्यजन निदेशालय के अधिकारियों को निर्देश दिए कि मस्कुलर डिस्ट्रोफी से पीड़ित रोगियों को दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया को सुगम बनाया जाए. वहीं जिला पुनर्वास केंद्र में इन मरीजों को उपचार प्रदान करने की संभावना तलाशी जाए. इन रोगियों को हाई सपोर्ट नीड सर्टिफिकेट देने के प्रयास किए जाएं. एसीएस ने डीएमडी रोग के उपचार और रोकथाम के लिए व्यापक आईईसी एक्टिविटी किए जाने पर भी जोर दिया.
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महिला अस्पताल के विकास को गति दें : उधर, एसीएस ने सवाई मानसिंह अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार को देखते हुए सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से चल रहे निर्माण कार्यों के लिए एसओपी बनवाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने आरएसआरडीसी को निर्देशित किया है कि महिला चिकित्सालय में आईपीडी टॉवर और हॉस्टल निर्माण के कार्य को गति दें. साथ ही उन्होंने एसएमएस अस्पताल से मेडिकल कॉलेज के बीच आवागमन सुगम बनाने के लिए जेडीए को अण्डरपास या ओवरब्रिज और पार्किंग निर्माण के लिए फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए. यही नहीं, एसएमएस मेडिकल कॉलेज और इससे सम्बद्ध अस्पतालों में बीसलपुर पेयजल परियोजना से जलापूर्ति के लिए जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को 15 दिवस में डिमांड रिक्वेस्ट बनाकर भेजने के निर्देश दिए.
ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम चलाएं संयुक्त अभियान : वहीं निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए कि एसएमएस अस्पताल की सीवरेज लाइनों से संबंधित कार्य को शीघ्र पूरा कराएं. क्षेत्र से अतिक्रमणों को हटाने के लिए ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम का एक संयुक्त अभियान चलाए. एसीएस ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज में इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहतर रखने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से समन्वय बनाने के भी निर्देश दिए.