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सीबीआई करेगी झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाला की जांच, हाईकोर्ट का आदेश - JH Assembly appointment case - JH ASSEMBLY APPOINTMENT CASE

Appointment scam CBI investigation. झारखंड विधानसभा नियुक्ति में गड़बड़ी मामले की जांच अब सीबीआई करेगी. झारखंड हाईकोर्ट ने इस बाबत आदेश जारी किया है.

CBI will investigate appointments in Jharkhand assembly
झारखंड हाईकोर्ट (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 23, 2024, 5:38 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा में हुए अवैध नियुक्ति घोटाले की जांच अब सीबीआई करेगी. झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की जनहित याचिका पर 20 जून को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

प्रार्थी की दलील थी कि साल 2005 से 2007 के बीच विधानसभा में गलत तरीके से नियुक्तियां हुई हैं. इसकी जांच के लिए जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग का गठन भी हुआ था. आयोग ने साल 2018 में अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी थी. हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने यह जानकारी दी है.

अधिवक्ता धीरज कुमार (ईटीवी भारत)
इसके बाद राज्यपाल ने स्पीकर को कार्रवाई करने को कहा था. राज्यपाल के आदेश के आलोक में जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट की समीक्षा के लिए जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग का गठन किया गया था. मुखोपाध्याय आयोग की रिपोर्ट में बताया गया कि विक्रमादित्य आयोग को 29 बिंदुओं पर रिपोर्ट देने को कहा गया था लेकिन उन्होंने 30 बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों को इस प्रकरण के लिए जिम्मेवार ठहराया था. लेकिन उस रिपोर्ट की समीक्षा के लिए गठित जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग ने 30वें बिंदु को नैसर्गिक न्याय के खिलाफ बताया था. 20 जून को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा था कि जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट को कानूनी नहीं कहा जा सकता. क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार को रिपोर्ट देने के बजाए सीधे राज्यपाल को भेज दिया था.

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा में नियुक्ति गड़बड़ी मामला, हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिव को दिया आदेश, सात दिन के भीतर पेश करें जस्टिस विक्रमादित्य कमीशन की रिपोर्ट

रांची: झारखंड विधानसभा में हुए अवैध नियुक्ति घोटाले की जांच अब सीबीआई करेगी. झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की जनहित याचिका पर 20 जून को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

प्रार्थी की दलील थी कि साल 2005 से 2007 के बीच विधानसभा में गलत तरीके से नियुक्तियां हुई हैं. इसकी जांच के लिए जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग का गठन भी हुआ था. आयोग ने साल 2018 में अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी थी. हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने यह जानकारी दी है.

अधिवक्ता धीरज कुमार (ईटीवी भारत)
इसके बाद राज्यपाल ने स्पीकर को कार्रवाई करने को कहा था. राज्यपाल के आदेश के आलोक में जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट की समीक्षा के लिए जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग का गठन किया गया था. मुखोपाध्याय आयोग की रिपोर्ट में बताया गया कि विक्रमादित्य आयोग को 29 बिंदुओं पर रिपोर्ट देने को कहा गया था लेकिन उन्होंने 30 बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों को इस प्रकरण के लिए जिम्मेवार ठहराया था. लेकिन उस रिपोर्ट की समीक्षा के लिए गठित जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग ने 30वें बिंदु को नैसर्गिक न्याय के खिलाफ बताया था. 20 जून को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा था कि जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट को कानूनी नहीं कहा जा सकता. क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार को रिपोर्ट देने के बजाए सीधे राज्यपाल को भेज दिया था.

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