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Delhi: नोएडा के एक निजी स्कूल में बैड टच का मामला, धरने पर बैठे अभिभावक

- सेक्टर 12 स्थित निजी स्कूल में बैड टच का मामला. - आक्रोशित अभिभावकों ने स्कूल के गेट पर धरना दिया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 2 hours ago

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नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के प्रतिष्ठित प्राइवेट स्कूल में 'बैड टच' के गंभीर मामले ने शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है. इससे पहले, शहर के एक और नामचीन स्कूल में भी इसी तरह की घटना सामने आ चुकी है, जो कि अभिभावकों और छात्रों के लिए चिंता का सबब बन गई है. इस नई घटना ने न केवल अभिभावकों के मन में गुस्सा पैदा किया है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और मानसिक विकास के मुद्दों पर सवाल उठाने के लिए मजबूर किया है.

अभिभावकों का विरोध प्रदर्शन: इस मामले के सामने आने के बाद, अभिभावकों ने स्कूल के गेट के बाहर प्रदर्शन किया और प्रिंसिपल को तुरंत हटाने की मांग की. अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और उचित कार्रवाई नहीं की. इस लापरवाही के कारण अभिभावकों के बीच असुरक्षा का एक गहरा एहसास पैदा हो गया है, जिससे न केवल बच्चों का बल्कि उनके मानसिक विकास का भी खतरा हो गया है.

प्रदर्शन में शामिल माता-पिता ने यह भी बताया कि वे अपने बच्चों को सुरक्षित शिक्षा देने के उद्देश्य से ही इस स्कूल में दाखिला दिलाने आए थे, लेकिन इस घटना ने उनके विश्वास को हिला दिया. एक अभिभावक ने कहा, "हमारा बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए. ऐसे संवेदनशील मामलों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए, ना कि उन्हें दबाने की कोशिश की जाए."

यह भी पढ़ें- गाजियाबाद: स्कूलों में अध्यापकों और बच्चों को मिलेगा गुड टच और बैड टच का ज्ञान

प्रशासन की प्रतिक्रिया: इस घटना पर स्कूल प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. हालांकि, सूत्रों के अनुसार, स्थानीय प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और प्रिंसिपल को उनके पद से हटाने की संभावना व्यक्त की जा रही है. इसके अलावा, प्रशासन द्वारा स्कूल के अंदर ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.

शिक्षा विभाग की भूमिका: शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच में जुटने की बात कही है. अधिकारियों का मानना है कि बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, और यदि कोई दोषी पाया गया, तो उसे कठोर सजा दी जाएगी. इस मामले ने यह दर्शाया है कि बच्चों की सुरक्षा केवल स्कूलों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसे समाज के हर हिस्से के द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें- नोएडा: स्कूल में 6 साल की मासूम को बैड टच करने वाला गिरफ्तार

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के प्रतिष्ठित प्राइवेट स्कूल में 'बैड टच' के गंभीर मामले ने शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है. इससे पहले, शहर के एक और नामचीन स्कूल में भी इसी तरह की घटना सामने आ चुकी है, जो कि अभिभावकों और छात्रों के लिए चिंता का सबब बन गई है. इस नई घटना ने न केवल अभिभावकों के मन में गुस्सा पैदा किया है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और मानसिक विकास के मुद्दों पर सवाल उठाने के लिए मजबूर किया है.

अभिभावकों का विरोध प्रदर्शन: इस मामले के सामने आने के बाद, अभिभावकों ने स्कूल के गेट के बाहर प्रदर्शन किया और प्रिंसिपल को तुरंत हटाने की मांग की. अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और उचित कार्रवाई नहीं की. इस लापरवाही के कारण अभिभावकों के बीच असुरक्षा का एक गहरा एहसास पैदा हो गया है, जिससे न केवल बच्चों का बल्कि उनके मानसिक विकास का भी खतरा हो गया है.

प्रदर्शन में शामिल माता-पिता ने यह भी बताया कि वे अपने बच्चों को सुरक्षित शिक्षा देने के उद्देश्य से ही इस स्कूल में दाखिला दिलाने आए थे, लेकिन इस घटना ने उनके विश्वास को हिला दिया. एक अभिभावक ने कहा, "हमारा बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए. ऐसे संवेदनशील मामलों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए, ना कि उन्हें दबाने की कोशिश की जाए."

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प्रशासन की प्रतिक्रिया: इस घटना पर स्कूल प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. हालांकि, सूत्रों के अनुसार, स्थानीय प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और प्रिंसिपल को उनके पद से हटाने की संभावना व्यक्त की जा रही है. इसके अलावा, प्रशासन द्वारा स्कूल के अंदर ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.

शिक्षा विभाग की भूमिका: शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच में जुटने की बात कही है. अधिकारियों का मानना है कि बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, और यदि कोई दोषी पाया गया, तो उसे कठोर सजा दी जाएगी. इस मामले ने यह दर्शाया है कि बच्चों की सुरक्षा केवल स्कूलों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसे समाज के हर हिस्से के द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

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